अर्थजगतः शेयर बाजार हुआ धड़ाम, सेंसेक्स 964 अंक फिसला और निवेशकों की संपत्ति 9.65 लाख करोड़ रुपये घटी

दिल्ली के सर्राफा बाजार में गुरुवार को सोने की कीमत 800 रुपये टूटकर 78,300 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई। चांदी भी 2,000 रुपये गिरकर 90,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। गुरुवार को भारतीय रुपया 18 पैसे गिरकर 85.12 के सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गया।

शेयर बाजार हुआ धड़ाम, सेंसेक्स 964 अंक फिसला और निवेशकों की संपत्ति 9.65 लाख करोड़ रुपये घटी
शेयर बाजार हुआ धड़ाम, सेंसेक्स 964 अंक फिसला और निवेशकों की संपत्ति 9.65 लाख करोड़ रुपये घटी
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नवजीवन डेस्क

शेयर बाजार हुआ धड़ाम, सेंसेक्स 964 अंक फिसला

भारतीय शेयर बाजार के लिए गुरुवार का कारोबारी सत्र नुकसान वाला रहा। सेंसेक्स 964 अंक या 1.20 प्रतिशत गिरकर 79,218 अंक और निफ्टी 247 अंक या 1.02 प्रतिशत गिरकर 23,951 पर बंद हुआ। बाजार के गिरने की वजह अमेरिकी फेड के ब्याज दरों में कटौती का फैसला और आगे के आउटलुक को माना जा रहा है, जिसमें 2025 के लिए केवल दो बार ब्याज दरों में कमी की संभावना जताई गई है। वहीं, बाजार को अगले साल चार बार ब्याज दरों में कटौती होने की आशा थी। शेयर बाजार में चौतरफा गिरावट थी।

निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 167 अंक या 0.28 प्रतिशत गिरकर 58,556 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 97.25 अंक या 0.51 प्रतिशत की गिरावट के साथ 19,133 पर बंद हुआ। फार्मा और हेल्थकेयर को छोड़कर सभी इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए हैं। ऑटो, आईटी, फिन सर्विस, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी और प्राइवेट बैंक सबसे ज्यादा गिरने वाले इंडेक्स थे। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 1,684 शेयर हरे निशान में और 2,309 शेयर लाल निशान में और 102 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए हैं। सेंसेक्स के 30 में से 27 शेयर लाल निशान में बंद हुए हैं। बजाज फिनसर्व, जेएसडब्लू स्टील, बजाज फाइनेंस, एशियन पेंट्स, आईसीआईसीआई बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस, इन्फोसिस, टाटा मोटर्स और आईटीसी टॉप लूजर्स थे। सन फार्मा, एचयूएल और पावर ग्रिड कॉरपोरेशन टॉप गेनर्स थे।

चार दिन की गिरावट से निवेशकों की संपत्ति 9.65 लाख करोड़ रुपये घटी

शेयर बाजार में चार दिन की तेज गिरावट में निवेशकों की संपत्ति 9.65 लाख करोड़ रुपये घट गई है। इन चार सत्रों में बीएसई सेंसेक्स 2,915.07 अंक यानी 3.54 प्रतिशत टूटा है। शेयर बाजार में बृहस्पतिवार को लगातार चौथे दिन गिरावट रही और बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 964.15 अंक टूटकर 79,218.05 अंक पर बंद हुआ। दिन में कारोबार के दौरान यह 1,162.12 अंक टूटकर 79,020.08 अंक पर आ गया था।

शेयर बाजारों में कमजोरी के रुख के चलते बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण चार दिन में 9,65,935.96 करोड़ रुपये घटकर 4,49,76,402.63 करोड़ रुपये (5,290 अरब डॉलर) रह गया। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 1,316.81 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। बीएसई पर 2,315 शेयरों में गिरावट आई, जबकि 1,680 शेयरों में तेजी आई और 100 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ।


सोना 800 रुपये टूटा, चांदी 2,000 रुपये लुढ़की

कमजोर वैश्विक रुख के बीच आभूषण विक्रेताओं की सुस्त मांग के कारण बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने और चांदी की कीमतों में भारी गिरावट आई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 800 रुपये टूटकर 78,300 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई। बुधवार के पिछले कारोबारी सत्र में यह 79,100 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक के प्रमुख जेरोम पावेल ने अब वर्ष 2025 के अंत तक ब्याज दर में केवल दो चौथाई प्रतिशत की कटौती का संकेत दिया है। पहले बाजार ने ब्याज दरों में चार कटौतियों का अनुमान लगाया था।

गुरुवार को चांदी भी 2,000 रुपये गिरकर 90,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। पिछले सत्र में चांदी 92,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। बुधवार को 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने का भाव 800 रुपये घटकर 77,900 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया, जबकि इससे पहले इसका भाव 78,700 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। एशियाई कारोबारी सत्र में कॉमेक्स सोना वायदा 19.10 डॉलर प्रति औंस गिरकर 2,634.10 डॉलर प्रति औंस रह गया।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस और मुद्रा) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के बाद सोने में भारी गिरावट आई, क्योंकि फेडरल रिजर्व ने अगले साल के लिए पहले के अनुमान की तुलना में ब्याज दरों में कटौती की धीमी गति का संकेत दिया है।’’ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चांदी 2.47 प्रतिशत गिरकर 29.98 डॉलर प्रति औंस पर बोली गई।

 डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 85 के नीचे लुढ़का

अमेरिकी फेड के फैसला का असर भारतीय रुपये पर भी देखने को मिला है। गुरुवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 18 पैसे गिरकर 85.12 के सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर आ गया। बुधवार को हुई अमेरिकी फेड की बैठक में अधिकतम रोजगार और मूल्य स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया गया, फेडरल ओपन मार्केट कमेटी ने 2025 के लिए अपेक्षित दरों में कटौती की संख्या को आधा कर दिया। अमेरिकी फेड के फैसले के बाद डॉलर में जोरदार तेजी आई और डॉलर इंडेक्स 108 के स्तर को पार कर गया। भारतीय मुद्रा के अलावा अन्य विदेशी मुद्राओं में भी इसका असर देखने को मिला। डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 85.06 रुपये पर कमजोर रुख के साथ खुली। घरेलू शेयर बाजारों के नरम रुख, आयातकों की ओर से डॉलर की मांग और विदेशी पूंजी निकासी से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई। पिछले कारोबारी दिन भारतीय रुपया अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 84.94 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। जानकारों ने कहा, "डॉलर इंडेक्स का 108 से ऊपर जाना और 10 साल के बॉन्ड यील्ड का 4.52 प्रतिशत पर पहुंचना एफआईआई फंड प्रवाह के दृष्टिकोण से नकारात्मक है। लेकिन यह केवल अस्थायी होने की संभावना है।" अमेरिकी फेड के फैसले के बाद, डॉव जोन्स 2.58 प्रतिशत गिरकर 42,326.87 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 2.95 प्रतिशत गिरकर 5,872.20 पर और नैस्डैक 3.56 प्रतिशत गिरकर 19,392.69 पर बंद हुआ। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 18 दिसंबर को भारत में 1,316.81 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने उसी दिन 4,084.08 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार गिरावट के साथ खुला। दोपहर करीब 01:14 बजे सेंसेक्स 881.51 अंक या 1.10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 79,300.6 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 232.70 अंक या 0.96 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,966.15 पर कारोबार कर रहा था।


RBI रिपोर्ट में राज्यों की मुफ्त योजनाओं को लेकर चेतावनी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट में राज्यों को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि कृषि ऋण माफी, मुफ्त बिजली एवं परिवहन जैसी छूट देने से सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के लिए उनके महत्वपूर्ण संसाधन खत्म हो सकते हैं। हालांकि, आरबीआई की ‘राज्य वित्त: 2024-25 के बजट का एक अध्ययन’ शीर्षक वाली रिपोर्ट कहती है कि राज्य सरकारों ने लगातार तीन वर्षों (2021-22 से 2023-24) के लिए अपने सकल राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत के भीतर रखकर राजकोषीय मजबूती की दिशा में सराहनीय प्रगति की है।

राज्यों ने 2022-23 और 2023-24 में राजस्व घाटे को जीडीपी के 0.2 प्रतिशत पर सीमित रखा है। गुरुवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘राजकोषीय घाटे में कमी से राज्यों को अपना पूंजीगत खर्च बढ़ाने और व्यय की गुणवत्ता में सुधार करने की गुंजाइश पैदा हुई है।’’ रिपोर्ट कहती है कि कई राज्यों ने चालू वित्त वर्ष के अपने बजट में कृषि ऋण माफी, कृषि और घरों को मुफ्त बिजली, मुफ्त परिवहन, बेरोजगार युवाओं को भत्ते और महिलाओं को नकद सहायता देने की घोषणाएं की हैं। इस तरह के खर्चों से उनके पास उपलब्ध संसाधन खत्म हो सकते हैं और महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के निर्माण की उनकी क्षमता बाधित हो सकती है।

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