अर्थजगतः दिसंबर में थोक मंहगाई बढ़ी, 2.37 प्रतिशत पर पहुंची और शेयर बाजार में तेजी लौटी, सेंसेक्स 170 अंक चढ़ा
भारत द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले कोयले का आयात चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर के बीच 3.1 प्रतिशत घटकर 149.39 मिलियन टन (एमटी) रहा। रुपया मंगलवार को अपने सर्वकालिक निचले स्तर से उबरकर 8 पैसे की बढ़त के साथ 86.62 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

दिसंबर में थोक मंहगाई बढ़ी, 2.37 प्रतिशत पर पहुंची
गैर-खाद्य वस्तुओं, विनिर्मित उत्पादों और ईंधन के दाम बढ़ने से थोक मुद्रास्फीति यानि थोक मंहगाई पिछले महीने यानी दिसंबर में बढ़कर 2.37 प्रतिशत पर पहुंच गई। हालांकि, इस दौरान खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मामूली गिरावट आई। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति नवंबर, 2024 में 1.89 प्रतिशत थी। दिसंबर, 2023 में यह 0.86 प्रतिशत रही थी।
आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दिसंबर, 2024 में घटकर 8.47 प्रतिशत रह गई, जबकि नवंबर में यह 8.63 प्रतिशत थी। अनाज, दाल और गेहूं की महंगाई में नरमी आई।हालांकि, सब्जियों की मुद्रास्फीति दिसंबर में मामूली बढ़कर 28.65 प्रतिशत रही। नवंबर में यह 28.57 प्रतिशत थी। आलू की महंगाई 93.20 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही और प्याज की मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 16.81 प्रतिशत हो गई। तिलहन जैसी गैर-खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 2.46 प्रतिशत हो गई, जबकि नवंबर में इसमें 0.98 की कमी आई थी।
शेयर बाजार में तेजी लौटी, सेंसेक्स 170 अंक चढ़ा
भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को चार दिन से जारी गिरावट पर विराम लगा और बीएसई सेंसेक्स 170 अंक के लाभ में रहा। खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी और वैश्विक बाजारों में तेजी से घरेलू बाजार पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा। इसके अलावा ऊर्जा, बैंक तथा धातु शेयरों में निचले स्तर पर लिवाली से भी बाजार को समर्थन मिला। कारोबारियों के अनुसार, हालांकि निवेशकों की लगातार बिकवाली और कच्चे तेल के दाम में तेजी से शेयर बाजार पर दबाव बना और इसका लाभ सीमित रहा।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 169.62 अंक यानी 0.22 प्रतिशत की बढ़त के साथ 76,499.63 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 505.6 अंक तक चढ़ गया था। बीएसई में 2,867 शेयर लाभ में, जबकि 1,096 शेयर नुकसान में रहे। 110 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 90.10 अंक यानी 0.39 प्रतिशत की बढ़त के साथ 23,176.05 अंक पर बंद हुआ। बीएसई सेंसेक्स इससे पिछले चार कारोबारी सत्रों में 1,869.1 अंक यानी 2.39 प्रतिशत नीचे आया था।
सेंसेक्स में शामिल 30 शेयरों में से अदाणी पोर्ट्स में पांच प्रतिशत से अधिक की तेजी रही। इसके अलावा एनटीपीसी, टाटा स्टील, बजाज फिनसर्व, जोमैटो, बजाज फाइनेंस, टाटा मोटर्स, भारतीय स्टेट बैंक, इंडसइंड बैंक और मारुति के शेयर भी लाभ में रहे। दूसरी तरफ नुकसान में रहने वाले शेयरों में हिंदुस्तान यूनिलीवर, टाइटन, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस और अल्ट्राटेक सीमेंट शामिल हैं।
भारत का कोयला आयात अप्रैल से अक्टूबर के बीच 3.1 प्रतिशत कम हुआ
भारत द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले कोयले का आयात चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीने (अप्रैल से अक्टूबर के बीच) में 3.1 प्रतिशत घटकर 149.39 मिलियन टन (एमटी) रहा है, जो कि पिछले साल की समान अवधि में 154.17 एमटी था। यह जानकारी कोयला मंत्रालय द्वारा मंगलवार को दी गई। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि कोयला आयात में कमी आने की वजह घरेलू स्तर पर उत्पादन में बढ़ोतरी होना है। नॉन-रेगुलेटेड सेक्टर (पावर सेक्टर को हटाकर) के आयात में सालाना आधार पर 8.8 प्रतिशत की बड़ी कमी आई है। भारत के पास दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कोयला भंडार है और घरेलू कोयला उत्पादन में तेजी बढ़ती अर्थव्यवस्था को सहारा देने में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, देश को स्टील उत्पादन के लिए आवश्यक कोकिंग कोल और बिजली संयंत्रों के लिए उच्च श्रेणी के थर्मल कोयले की अपनी कोयला मांग को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण अंतर का सामना करना पड़ रहा है।
बयान में कहा गया है कि अप्रैल 2024 से अक्टूबर 2024 तक कोयला आधारित बिजली उत्पादन में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 3.87 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन थर्मल पावर प्लांट द्वारा मिश्रण के लिए कोयले के आयात में 19.5 प्रतिशत की बड़ी कमी देखी गई। इसकी वजह घरेलू उत्पादन बढ़ना है। यह कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। बयान में आगे कहा गया कि विद्युत क्षेत्र के लिए कोयले के आयात में वृद्धि आयातित कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों (केवल आयातित कोयले का उपयोग करने के लिए डिजाइन किए गए) के कारण हुई है, जो पिछले वर्ष के 21.71 एमटी से 38.4 प्रतिशत बढ़कर 30.04 एमटी हो गई है। सरकारी बयान के मुताबिक, कोयला उत्पादन अप्रैल-अक्टूबर 2024 की अवधि में सालाना आधार पर 6.04 प्रतिशत बढ़कर 537.57 एमटी हो गया है, जो वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में 506.93 एमटी था।
रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर से उबरा, 8 पैसे बढ़कर 86.62 प्रति डॉलर पहुंचा
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया मंगलवार को अपने सर्वकालिक निचले स्तर से उबर गया और आठ पैसे की बढ़त के साथ 86.62 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। वृहद आर्थिक आंकड़े जारी होने के बाद घरेलू शेयर बाजारों में कुछ सुधार से भी भारतीय मुद्रा को समर्थन मिला। हालांकि, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों तथा विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी इसपर दबाव बनाती रही।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 86.57 प्रति डॉलर पर खुला और कारोबार के दौरान 86.45 प्रति डॉलर के उच्चस्तर को छूने के बाद अंत में 86.62 (अस्थायी) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से आठ पैसे की बढ़त है। रुपये में सोमवार को एक सत्र में करीब दो साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी और यह 66 पैसे के नुकसान के साथ 86.70 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ था। रुपया 30 दिसंबर को 85.52 के स्तर पर बंद होने के बाद से पिछले दो सप्ताह में एक रुपये से अधिक की बड़ी गिरावट देख चुका है। रुपया पहली बार 19 दिसंबर, 2024 को 85 प्रति डॉलर के पार गया था।
दुनिया के सबसे अधिक मार्केटकैप वाले 25 बैंकों में शामिल हुए तीन भारतीय बैंक
दुनिया में सबसे अधिक मार्केटकैप वाले शीर्ष 25 बैंकों में भारत के एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने जगह बनाई है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। डेटा एनालिटिक्स और रिसर्च कंपनी ग्लोबल डेटा की रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया के शीर्ष 25 मार्केट कैप वाले बैंकों में एचडीएफसी बैंक की रैंकिंग 13वीं, आईसीआईसीआई बैंक की 19वीं और एसबीआई की 24वीं है। 2024 की चौथी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के अंत तक एचडीएफसी बैंक का मार्केट कैप 158.5 अरब डॉलर, आईसीआईसीआई बैंक का 105.7 अरब डॉलर, एसबीआई का 82.9 अरब डॉलर था।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय बैंकों की स्थिति मजबूत बनी हुई है। जनवरी से दिसंबर 2024 की अवधि में आईसीआईसीआई बैंक का मार्केट कैप सालाना आधार पर 25.8 प्रतिशत बढ़कर 105.7 अरब डॉलर हो गया है। इस दौरान एचडीएफसी बैंक का मार्केट कैप सालाना आधार पर 1.6 प्रतिशत बढ़कर 158.5 अरब डॉलर हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के शीर्ष 25 बैंकों का मार्केट कैप दिसंबर, 2024 के अंत तक सालाना आधार पर 27.1 प्रतिशत बढ़कर 4.6 ट्रिलियन डॉलर हो गया है।
जेपी मॉर्गन चेस मार्केट कैप के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा बैंक बना हुआ है। 2024 की चौथी तिमाही के अंत तक इसका मार्केट कैप सालाना आधार पर 37.2 प्रतिशत बढ़कर 674.9 अरब डॉलर हो गया है। इस दौरान गोल्डमैन सैश के मार्केटकैप में 42.9 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि देखने को मिली है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती के कारण चौथी तिमाही में अधिकांश शेयरों में तेजी आई, जबकि टैरिफ को लेकर चिंताओं के कारण अन्य क्षेत्रीय बाजार दबाव में रहे। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया कि डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के तहत लगाए जाने वाले टैरिफ और 2025 में नियोजित कर कटौती एक दूसरे को संतुलित कर सकते हैं।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia