गलत साबित हुआ मोदी सरकार का नोटबंदी का फैसला! वित्त मंत्री सीतारमण ने माना- नोटबंदी के बाद देश में बढ़ा भ्रष्टाचार

देश में नोटबंदी के बाद से भ्रष्टाचार और गैरकानूनी गतिविधियों में बढ़ोत्तरी हुई है। नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर, जिसे लोकसभा सचिवालय द्वारा संचालित किया जाता है, उसने इस बात की पुष्टि की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मानती हैं कि नोटबंदी के बाद गैरकानूनी गतिविधियों में बढ़ोत्तरी हुई है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार ने नोटबंदी का अहम फैसला लिया था। मोदी सरकार ने नोटबंदी को भ्रष्टाचार और कालाधन पर सबसे बड़ा प्रहार बताया था। इस फैसले की पूरी दुनिया में चर्चा हुई थी। लोगों को अपने पैसे निकालने के लिए घंटों बैंक की लाइन में लगना पड़ा था। कई लोगों ने तो अपनी जान भी गवां दी। वहीं विपक्ष ने इसे सबसे बड़ा घोटाला करार दिया था।

लेकिन अब मिल रही जानकारी के मुताबिक मोदी सरकार के दावे गलत साबित हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि देश में नोटबंदी के बाद से भ्रष्टाचार और गैरकानूनी गतिविधियों में बढ़ोत्तरी हुई है। नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर, जिसे लोकसभा सचिवालय द्वारा संचालित किया जाता है, उसने इस बात की पुष्टि की है। इतना ही नहीं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मानती हैें कि नोटबंदी के बाद गैरकानूनी गतिविधियों में बढ़ोत्तरी हुई है।


दरअसल बिहार से सांसद रामप्रीम मंडल ने संसद में इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सवाल किया था, जिसके जवाब में निर्मला सीतारमण ने भी स्वीकार किया कि ‘नोटबंदी के बाद से देश में नगदी का सर्कुलेशन बढ़ा है।’ वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि ‘नगदी के सर्कुलेशन का संबंध गैरकानूनी गतिविधियों से है।’

सांसद रामप्रीम मंडल के सवाल का वित्त मंत्री ने संसद में दिए अपने जवाब में कहा कि नोटंबदी के बाद देश में नगदी का चलन बढ़ा है। 4 नवंबर, 2016 को देश में 17,174 बिलियन रुपए की नगदी सर्कुलेशन में थी। वहीं 29 मार्च, 2019 को देश में 21,137 बिलियन रुपए की नगदी चलन में है। माना जाता है कि जहां नगदी का चलन ज्यादा होता है वहां उतना भ्रष्टाचार होता है। बता दें कि मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी का ऐलान किया था। जिसके तहत 500 और 1000 रुपए के नोट को बंद कर दिया गया था। मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाने के नाम पर किया था। लेकिन तीन साल के बाद फैसला गलत साबित होता दिख रहा है। ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, भ्रष्टाचार के मामले में दुनिया के 188 देशों में से भारत का स्थान 78वां है। भारत को 41 अंक मिले हैं, जो कि वैश्विक औसत 43 अंक से भी कम हैं।

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