अर्थजगतः सोना 99,400 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंचा, चांदी भी चमकी और तेजी पर विराम, सेंसेक्स 315 अंक फिसला

दिल्ली के सर्राफा बाजार में आज सोने की कीमत 200 रुपये बढ़कर 99,400 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। चांदी की कीमत 700 रुपये बढ़कर 99,900 रुपये प्रति किलो हो गई। भारतीय शेयर बाजार में सात दिन से जारी तेजी आज थम गई और सेंसेक्स 315 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ।

सोना 99,400 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंचा, चांदी भी चमकी और तेजी पर विराम, सेंसेक्स 315 अंक फिसला
सोना 99,400 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंचा, चांदी भी चमकी और तेजी पर विराम, सेंसेक्स 315 अंक फिसला
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नवजीवन डेस्क

सोना 99,400 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंचा, चांदी भी चमकी

स्टॉकिस्ट एवं आभूषण विक्रेताओं की तरफ से लिवाली आने और कमजोर डॉलर के कारण गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 200 रुपये बढ़कर 99,400 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने ने ऐतिहासिक एक लाख रुपये के स्तर से बुधवार को ‘यू-टर्न’ लिया था और 2,400 रुपये घटकर 99,200 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया था। वहीं, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी 200 रुपये बढ़कर 98,900 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया, जबकि पिछला बंद भाव 98,700 रुपये प्रति 10 ग्राम था। इस बीच, गुरुवार को चांदी की कीमतें 700 रुपये बढ़कर 99,900 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं। पिछले बंद भाव में चांदी 99,200 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।

अमेरिकी वित्तमंत्री स्कॉट बेसेंट ने बुधवार को कहा कि अमेरिका और चीन के बीच मौजूदा व्यापार गतिरोध कुछ समय तक जारी रह सकता है। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि चीन के लिए अगले ‘‘दो से तीन सप्ताह’’ में नई शुल्क दरें मिल सकती हैं। जिंस बाजार के विशेषज्ञों के मुताबिक, ट्रंप और बेसेंट की टिप्पणियों से सोना में अब तक के उच्चतम स्तर से तकनीकी सुधार के तहत आई गिरावट के बाद सुरक्षित-निवेश विकल्प के बतौर सर्राफा मांग को पुनर्जीवित करने में मदद मिली है।

एलकेपी सिक्योरिटीज में जिंस और मुद्रा के उपाध्यक्ष एवं शोध विश्लेषक जतिन त्रिवेदी ने कहा, "सोना 1,000 रुपये से अधिक की बढ़त के साथ खुला और एमसीएक्स पर 95,700 रुपये पर पहुंच गया, क्योंकि कॉमेक्स सोना 3,300 डॉलर से ऊपर मजबूती से टिका रहा। ट्रंप प्रशासन के लहजे में तेज बदलाव के बाद आया नया उछाल दर्शाता है कि चीन के साथ कोई ठोस व्यापार वार्ता शुरू होने से पहले शुल्क अभी भी बातचीत का केंद्रीय हिस्सा बना रह सकता है।’’

जोमैटो ने सीईओ राकेश रंजन के इस्तीफे की खबरों का खंडन किया

इटरनल (जोमैटो) ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि कंपनी के फूड डिलीवरी बिजनेस के सीईओ राकेश रंजन ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। कंपनी ने यह बयान तब जारी किया, जब एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि कंपनी के सीईओ रंजन नेतृत्व में फेरबदल के चलते पद छोड़ रहे हैं, जबकि जोमैटो के सह-संस्थापक और सीईओ दीपिंदर गोयल अंतरिम प्रभार संभाल सकते हैं। जोमैटो की मूल कंपनी इटरनल ग्रुप ने घोषणा की कि अभी तक रंजन ने कोई इस्तीफा नहीं दिया है और वे नेतृत्व टीम का हिस्सा बने हुए हैं। कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज में दाखिल अपनी फाइलिंग में कहा, "हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि अभी तक राकेश रंजन ने इस्तीफा नहीं दिया है और वे अभी भी नेतृत्व टीम का हिस्सा बने हुए हैं।" ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म ने कहा कि संगठन की प्रभावशीलता में सुधार के लिए नेतृत्व में बदलाव उनके प्रयासों का एक नियमित हिस्सा है।

इटरनल ग्रुप ने अपनी फाइलिंग में कहा, "इटरनल ग्रुप में, संगठनात्मक प्रभावशीलता को अनुकूलित करने के लिए कंपनी के चल रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में नेतृत्व टीम के आंतरिक फेरबदल को एक मानक अभ्यास माना जाता है।" इटरनल ग्रुप ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी महत्वपूर्ण आंतरिक जानकारी आधिकारिक तौर पर साझा नहीं की गई है और अगर कोई महत्वपूर्ण जानकारी सामने आती है, तो उसे नियमों के अनुसार स्टॉक एक्सचेंजों को बताया जाएगा। कंपनी ने कहा कि यह स्पष्टीकरण भ्रम से बचने के लिए स्वेच्छा से साझा किया जा रहा है। पहले आई रिपोर्ट में बताया गया था कि मई 2023 में जोमैटो के फूड डिलीवरी डिवीजन के सीईओ बने रंजन, कंपनी की धीमी वृद्धि और स्विगी जैसे प्रतिद्वंद्वियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच कंपनी से बाहर निकल रहे हैं।

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि गोयल अस्थायी रूप से फूड डिलीवरी बिजनेस का नेतृत्व करेंगे, जब तक कि कोई रिप्लेसमेंट नहीं मिल जाता है। जोमैटो का फूड डिलीवरी सेगमेंट कंपनी के राजस्व और मुनाफे दोनों में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। दिसंबर 2024 की तिमाही में कंपनी ने 9,913 करोड़ रुपए का ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू (जीओवी) पोस्ट किया, जो इससे पिछली तिमाही से 2 प्रतिशत और पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 17 प्रतिशत की वृद्धि है।


सात दिन की तेजी पर लगा विराम, सेंसेक्स 315 अंक फिसला

भारतीय शेयर बाजारों में सात कारोबारी सत्रों की तेजी के बाद मुनाफावसूली हावी होने और हिंदुस्तान यूनिलीवर के मार्च तिमाही के निराशाजनक नतीजों के बीच गुरुवार को सेंसेक्स 315 अंक और निफ्टी 82 अंक की गिरावट के साथ बंद हुए। विश्लेषकों ने कहा कि दिग्गज कंपनियों आईसीआईसीआई बैंक एवं भारती एयरटेल में बिकवाली आने और एशियाई एवं यूरोपीय शेयरों में नरम रुख के कारण भी बाजार में गिरावट रही। बीएसीई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 315.06 अंक यानी 0.39 प्रतिशत गिरकर 79,801.43 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 391.94 अंक गिरकर 79,724.55 अंक पर आ गया था।नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी 82.25 अंक यानी 0.34 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,246.70 अंक पर बंद हुआ।

यह सात कारोबारी सत्रों के बाद स्थानीय शेयर बाजार में आई पहली गिरावट है। पिछले सात कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स ने कुल 6,269.34 अंक यानी 8.48 प्रतिशत की छलांग लगाई थी जबकि निफ्टी 1,929.8 अंक यानी 8.61 प्रतिशत उछला था। गुरुवार को सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) में सर्वाधिक चार प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। एचयूएल के मार्च तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ में 3.35 प्रतिशत की गिरावट आने से बिकवाली का रुख हावी रहा।

इसके अलावा भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, इटर्नल (जोमैटो), महिंद्रा एंड महिंद्रा, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और बजाज फाइनेंस के शेयरों में भी गिरावट रही। दूसरी तरफ, इंडसइंड बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट, टाटा मोटर्स, टेक महिंद्रा, टाइटन और एशियन पेंट्स के शेयर बढत के साथ बंद हुए। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) ने बुधवार को 3,332.93 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे। बीएसई सेंसेक्स बुधवार को 520.90 अंक उछलकर 80,116.49 और एनएसई निफ्टी 161.70 अंक बढ़कर 24,328.95 पर पहुंच गया था।

विश्व बैंक, मुद्राकोष के कामकाजी तरीकों से अमेरिकी वित्त मंत्री नाखुश

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के कामकाजी तरीकों की कड़ी आलोचना करने के साथ ही यह आश्वस्त करने की कोशिश की कि अमेरिका वैश्विक नेतृत्व में अपनी भूमिका बनाए रखेगा। बेसेंट ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थान में अपने संबोधन में कहा, "अमेरिका पहले का मतलब केवल अमेरिका नहीं है," बल्कि इसके उलट यह व्यापार भागीदारों के बीच गहरे सहयोग और आपसी सम्मान की जरूरत को बताता है। बेसेंट ने बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों आईएमएफ और विश्व बैंक को दायित्वों की पूर्ति के लिहाज से ‘नाकाफी’ बताया। हालांकि उन्होंने इन संस्थानों से अमेरिका के अलग होने की कोई बात नहीं की। उन्होंने कहा कि ये संस्थान अंतरराष्ट्रीय प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और ट्रंप प्रशासन उनके साथ काम करने के लिए उत्सुक है, बशर्ते वे अपने मिशन को लेकर ईमानदार बने रहें।

हालांकि अमेरिकी वित्त मंत्री की नीतिगत स्पष्टता प्रदान करने की यह नई कोशिश भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्ंरप के रुख से उलट नजर आई। बुधवार को ही ट्रंप ने यह सुझाव दिया कि यदि संबंधित देशों के साथ शुल्क दरों को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ तो वह शुल्क दरों का चयन करेंगे। इसके साथ ही ट्रंप ने कनाडा से वाहनों के आयात पर कर बढ़ाने की धमकी दी। इस बीच बेसेंट ने चीन पर लगाए गए भारी अमेरिकी शुल्क को आधा किए जाने के बारे में चर्चा होने से संबंधित मीडिया रिपोर्ट पर आश्चर्य जताया। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार संघर्ष में कमी आएगी। उन्होंने आईएमएफ और विश्व बैंक के खिलाफ व्यापक हमला करते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन इन संस्थानों में अमेरिकी नेतृत्व और प्रभाव का लाभ उठाएगा और उन्हें अपने महत्वपूर्ण दायित्वों को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगा।


नेस्ले इंडिया का चौथी तिमाही का मुनाफा 5 प्रतिशत गिरा

एफएमसीजी प्रमुख नेस्ले इंडिया लिमिटेड ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2025 की जनवरी-मार्च तिमाही के लिए अपने शुद्ध लाभ में 5 प्रतिशत की सालाना गिरावट दर्ज की, जो मुख्य रूप से कच्चे माल की बढ़ती लागत के कारण 885.4 करोड़ रुपए रहा। स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया गया है कि कंपनी को कॉफी, कोको और दूध जैसी प्रमुख वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ा, जिससे तिमाही के दौरान कंपनी की समग्र लाभप्रदता प्रभावित हुई। कंपनी की निर्यात बिक्री में भी भारी गिरावट आई, जो कि सालाना आधार पर 8.65 प्रतिशत गिर गई। निर्यात में इस गिरावट ने घरेलू मांग में मामूली सुधार के बावजूद कंपनी की कुल बिक्री वृद्धि को 3.7 प्रतिशत तक कम कर दिया। कंपनी के लिए लगातार लागत मुद्रास्फीति एक बड़ी चुनौती बनी रही। खाद्य तेल की कीमतें स्थिर रहीं, लेकिन खासकर गर्मियों की शुरुआत के साथ कॉफी, कोको और दूध की बढ़ती कीमतों ने कंपनी के मुनाफे पर प्रभाव डाला। नेस्ले इंडिया ने अपने मुख्य उत्पाद श्रेणियों में गति बनाए रखने की कोशिश की। इसके बावजूद लाभप्रदता कम हुई।

नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने कहा, "चुनौतीपूर्ण मैक्रो वातावरण में मात्रा में वृद्धि उपभोक्ता की मजबूत और बेहतर भावना का एक मजबूत संकेत है। हालांकि, लगातार लागत मुद्रास्फीति ने लाभप्रदता पर दबाव जारी रखा।" उन्होंने कहा कि इनोवेशन और वितरण में निरंतर निवेश से सभी श्रेणियों में बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिल रही है। कंपनी ने घरेलू बिक्री में 4.2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की, जो 5,235 करोड़ रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। यह वृद्धि बेहतर उपभोक्ता भावना और शहरी बाजारों में विशेष रूप से प्रमुख फूड और बेवरेज सेगमेंट में बढ़ी हुई बिक्री के कारण दर्ज की गई। कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 के लिए 10 रुपए प्रति इक्विटी शेयर का अंतिम लाभांश भी घोषित किया है, जिसकी रिकॉर्ड तिथि 4 जुलाई निर्धारित की गई है और भुगतान 24 जुलाई से शुरू होगा। कंपनी ने अपनी फाइलिंग में कहा कि यह वित्त वर्ष के दौरान वितरित पहले के अंतरिम लाभांश के अतिरिक्त है।

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