कंपनियों की सांठगांठ और वैभव के शर्मनाक दुरुपयोग का नतीजा है आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन मनी लांड्रिंग केस, जानिए पूरी कहानी 

वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत के साथ चंदा कोचर और आडवाणी परिवार (चंदा कोचर दीपक कोचर से शादी करने से पहले चंदा आडवाणी थीं) के उद्यम की सांठगांठ वाली ताकत और वैभव के शर्मनाक दुरुपयोग का नतीजा है आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन मनीलांड्रिंग केस।

फोटो: सोशल मीडिया
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आईएएनएस

जब आप अग्रिम पंक्ति में आने के लिए आसान तरीका अपनाते हैं तो सवाल उठता है कि वहां पहुंचकर आप क्या करते हैं? मकसद क्या है? क्या आप उससे धनलाभ प्राप्त कर रहे हैं? वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत के साथ चंदा कोचर और आडवाणी परिवार (चंदा कोचर दीपक कोचर से शादी करने से पहले चंदा आडवाणी थीं) के उद्यम की सांठगांठ वाली ताकत और वैभव के शर्मनाक दुरुपयोग का नतीजा है।

यह नापाक तिकड़ी हेराफेरी और छल-कपट में संलिप्त हो गई। यह तिकड़ी लालच और धनलोलुपता की इमारत पर बनी थी। कई एजेंसियों द्वारा जांच की जा रही इस धोखाधड़ी पर एक अन्वेषणपरक इस श्रंखला के लिए आईएएनएस ने इससे संबंधित कई दस्तावेजों को खंगाला है।पेसिफिक कैपिटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड जांच के घेरे में है और सरकारी एजेंसियां इसकी एक अलग रिपोर्ट सौंपने वाली हैं।

इसके समांतर न्यूपावर भी एक अन्य जांच अधिकारी की जांच के घेरे में है। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के पश्चिमी क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक के मुंबई स्थित कार्यालय के जांच अधिकारी द्वारा इसकी जांच की जा रही है। इसी प्रकार वीडियोकॉन इंटरनेशनल की जांच एक अन्य जांच अधिकारी द्वारा की जा रही है।

इसमें कोचर/आडवाणी परिवार और वीडियोकॉन के बीच सांठगांठ की एक झलक मिलती है। दो कंपनियों के अखंड बंधन और हर बार उनके मिलन से इनकी बदनीयती साफ उजागर होती है। मिसाल के तौर पर नीलम आडवाणी (चंदा कोचर के भाई महेश आडवाणी की पत्नी) 24 दिसंबर 2008 को पेसिफिक में 90 फीसदी स्वामित्व प्राप्त करती है जबकि कंपनी में 10 फीसदी हिस्सेदारी वीरेंद्र कोचर (दीपक कोचर के पिता) के पास रहती है।

इस तरह, वेणुगोपाल धूत और कोचर समूह द्वारा समान रूप प्रमोट की गई कंपनी न्यूपावर में दीपक कोचर का वी.एन. धूत और उनके सहयोगियों से एक शेयर अधिक था। सांठगांठ की कहानी की उत्पत्ति संत्रास का असली केंद्र है, क्योंकि ताकत का खुल्लमखुल्ला दुरुपयोग किया गया।

धूत ने सहयोगियों, नामितों और दीपक कोचर व पेसिफिक कैपिटल नामक कंपनी के साथ 5,00,000 रुपये की पूंजी (10 रुपये प्रति शेयर में विभाजित कर) न्यूपावार रिन्यूएब्लस लिमिटेड कंपनी को संलग्न किया। पेसिफिक ने 25,000 (50 फीसदी) शेयर खरीदे, धूत ने 24,996 शेयर खरीदे, उनके सहयोगियों ने तीन शेयर और दीपक शेयर ने एक शेयर खरीदे। धूत, दीपक कोचर और सौरभ धूत (वेणुगोपाल धूत के पुत्र) निदेशक थे।

सरकार के सूत्र बताते हैं कि न्यूपावर ने सात जनवरी 2009 को 5,00,00 रुपये की अधिकृत शेयर पूंजी में इजाफा किया। इस तरह 10 रुपये प्रति शेयर के 50,000 इक्विटी शेयर में विभाजित इस पूंजी को बढ़ाकर 4,50,00, 000 करोड़ रुपये कर दिया गया जिसे 10 रुपये प्रति शेयर के 44,50,000 इक्विटी शेयर में बांट दिया गया।

खेल उसी दिन शुरू हुआ, क्योंकि न्यूपावर द्वारा दीपक कोचर को कंपनी के 19,97,500 शेयर के वारंट जारी किए गए। कोचर को जारी किए गए 19,97,500 वारंट जारी करने की तिथि से लेकर 31 जुलाई, 2010 तक कंपनी के 10 रुपये अंकित मूल्य के सममूल्य पर समान संख्या के शेयर में परिवर्तनीय थे।

लेकिन इस पक्षपातपूर्ण करार की असलियत यह थी कि उनको सिर्फ एक रुपया वारंट पर सिर्फ 19,97,500 रुपये चुकाए गए। यह जानकारी वित्तीय विवरण 31 मार्च 2010 के आधार पर मिली है।अब घटनाक्रमों का सिलसिला चल पड़ा है, जिसमें नाटकीय किरदारों द्वारा दिखाया गया औचित्य व उनकी क्षिप्रता रहस्यमय रही है।

इस हस्तांतरण के बाद वीडियोकॉन इंटरनेशनल से सुप्रीम एनर्जी द्वारा प्राप्त 64 करोड़ रुपये का हस्तांतरण पूर्ण रूप से परिवर्तनीय ऋणपत्र के शून्य कूपन की खरीदारी के लिए न्यूपावर रिन्यूएब्ल्स को कर दिया गया।

इससे पहले न्यूपावर सुप्रीम एनर्जी की अनुषंगी कंपनी बन गई और वीडियोकॉन ने 2010 में वेणुगोपाल धूत की स्वामित्व वाली सुप्रीम एनर्जी को 64 करोड़ रुपये अग्रिम प्रदान किया, जिसे फिर 2015 और 2017 के दौरान इक्विटी में परिवर्तित कर दिया गया।

न्यूपावर के बोर्ड ने सात जनवरी इ2009 को श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस लिमिटेड और श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड के विंड पावर बिजनेस डिवीजन का अधिग्रहण करने का फैसला लिया। यह अधिग्रहण 74,04,88,292 रुपये के एकमुश्त बिक्री करार पर किया गया। इसमें 50 करोड़ रुपये का सौदा श्रीराम यूनियन फाइनेंस लिमिटेड के लिए और श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड के लिए 24 करोड़ रुपये का सौदा किया गया।

वी.एन. धूत ने 15 जनवरी 2009 को सुप्रीम के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया। साथ ही, वेणुगोपाल धूत और सौरभ धूत ने 15 जनवरी 2009 को न्यूपावर के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया। महेश पुंगलिया को 15 जनवरी, 2009 को न्यूपावर का निदेशक नियुक्त किया गया। साथ ही, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी करुणचंद्र श्रीवास्तव का भी कंपनी का निदेशक नियुक्त किया गया।

सुप्रीम ने 20 मार्च 2009 की तारीख को लिए एक पत्र में पूर्ण रूप से परिवर्तनीय ऋणपत्र के जरिए कंपनी में निवेश की दिलचस्पी जाहिर की। न्यूपावर ने 25 मार्च 2009 को श्रीराम फाइनेंस कंपनी लिमिटेड और श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस लिमिटेड के साथ दो एकमुश्त करार पर हस्ताक्षर किए। चंदा कोचर मई, 2009 में आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड की सीईओ और प्रबंध निदेशक बनीं।

न्यूपावर पांच जून 2009 को सुप्रीम की अनुषंगी कंपनी बन गई। सुप्रीम ने 10 रुपये अंकित मूल्य के क्रमश: सममूल्य पर 49,994 शेयर (वी.एन. धूत से 24,996 इक्विटी शेयर और पेसिफिक से 22,500 शेयर) खरीदे। दीपक कोचर ने पांच जून 2009 को पेसिफिक से 10 रुपये प्रति शेयर अंकित मूल्य के न्यूपावर के 2,498 इक्विटी शेयर खरीदे।

वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (वीआईएल) ने आठ सितंबर 2009 को सुप्रीम को 64 करोड़ रुपये अग्रिम दिया। वीआईएल ने अपने वित्तीय विवरण में इसका खुलासा संबंधित पक्ष हस्तांतरण के तहत नहीं किया है।

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