मोदी सरकार-2 के पहले 100 दिन में निवेशकों को पड़े लेने के देने, देखते-देखते स्वाह हो गए 14 लाख करोड़

पांच साल और 100 दिन बाद भी देश ने अच्छे दिन नहीं देखे हैं। मई 2014 के बाद के पहले 5 साल में जिस कार्पोरेट जगत ने मोदी सरकार को खुलकर समर्थन दिया, बीते 100 दिनों में हलकान नजर आ रहा है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहले 100 दिनों में शेयर बाजार में निवेशकों को करीब 14 लाख करोड़ का चूना लगा है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बीजेपी की अगुवाली केंद्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरुआती 100 की उपलब्धियां जोर-शोर से गिनाई जा रही हैं। सरकार के मंत्री अलग-अलग शहरों में प्रेस कांफ्रेंस कर तमाम तरह के दावे कर रहे हैं। लेकिन इन 100 दिनों में शेयर बाजारों ने एक बहुत ही बुरा वक्त देखा और वह निरंतर संकट से दो-चार है।

आंकड़े बताते हैं कि शेयर बाजार के निवेशकों को इस दौरान करीब 14 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। हालांति 23 मई 2019 को जब लोकसभा चुनाव के नतीजों का ऐलान हुआ तो शेयर बाजार काफी उत्साहित नजर आ रहा था, लेकिन कुछ ही दिनों में यह उत्साह काफूर हो गया। देखते-देखते बाजार पर बिकवाली हावी हो गई और निवेशकों की पूंजी में 14 लाख करोड़ रुपये गायब हो गए। कुल मिलाकर मोदी सरकार-2 के पहले 100 दिन शेयर बाजार के निवेशकों के लिए बेहद निराशाजनक साबित हुए हैं।

हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अर्थव्यवस्था की मंदी रोकने के लिए तमाम तरह के टोटके आजमा रही हैं। इनमें बैंकों के विलय और रिकैपिटालईजेशन यानी मौद्रीकरण से लेकर कई किस्म के ऐलान शामिल हैं। लेकिन शेयर बाजार में छाई सुस्ती खत्म होने का नाम नहीं ले रही है और बिकवाली की आंधी में सबकुछ उड़ रहा है।


रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती को चक्रीय बताते हुए कहा है कि वक्त के साथ अर्थव्यवस्था में खुद तेजी आ जाएगी, लेकिन विकास को रफ्तार देने वाले सारे संकेतक निराशा और मंदी की ही तरफ इशारा कर रहे हैं। बाजार विश्लेषक निवेशकों को संयम रखने और सुस्ती दूर होने तक इंतजार करने की सलाह दे रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 30 मई को दूसरी बार शपथ लेने के बाद से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में कारोबार करने वाले महज 14 फीसदी शेयर ही मुनाफा देने में कामयाब रहे हैं।

बीएसई पर बहुत ज्यादा एक्टिव रहने वाली 2,664 कंपनियों में से लगभग 2,290 कंपनियों को कुल पूंजी का 96 फीसदी तक का नुकसान हुआ है। इनमें से 422 कंपनियों में 40 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है, 1,372 कंपनियों में 20 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है, जबकि 1,872 कंपनियों को 10 फीसदी से अधिक का झटका लगा है। इन 100 दिनों के दौरान बीएसई में लिस्टेड सूचीबद्ध कंपनियों की कुल पूंजी 14.15 लाख करोड़ रुपये घटकर 140 लाख करोड़ रुपये रह गई।

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआई) और घरेलू संस्थागत निवेशकों की नाराजगी दूर करने को लेकर बजट में उनपर बढ़ाए गए सरचार्ज को वापस लेने का ऐलान किया था, क्योंकि इस सरचार्ज के चलते ही मोदी सरकार के पहले 100 दिनों में निवेशकों ने शेयर बाजार से 31,700 करोड़ निकाल लिए। यहां गौर करने वाली बात है कि इसी साल फरवरी से मई के बीच मोदी सरकार की वापसी की उम्मीद में विदेशी पोर्टफोलियों निवेशकों (एफपीआई) ने करीब 83,000 करोड़ रुपए बाजार में निवेश किए थे। लेकिन अब तेजी से वे बाजार से पैसा निकाल रहे हैं।


ध्यान रहे कि इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में 7 से 8 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। सबसे ज्यादा मार सरकारी बैंकों के शेयरों पर पड़ी है। बाजार में सरकारी बैंकों की पूंजी करीब एक चौथाई तक डूब गई है। इसके अलावा घरेलू अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाले ऑटोमोबाइल और बैंकिंग सेक्टर्स को झटके का सामना करना पड़ रहा है।

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Published: 10 Sep 2019, 8:00 PM
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