हमने जो कहा सही साबित हुआ : यशवंत के लेख पर आ गया जयंत का सरकारी जवाब 

जयंत सिन्हा का लेख किसी स्वतंत्र अर्थशास्त्री या व्यक्ति के विचार कम, सरकारी योजनाओं का बखान करता प्रेस रिलीज ज्यादा नजर आता है और आने वाले समय में फायदों के हवाई किले हीबनाए गए हैं



सिन्हा बनाम सिन्हा
सिन्हा बनाम सिन्हा
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नवजीवन डेस्क

जैसा हमने बताया था, वैसा ही हुआ। पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के लेख से बौखलाई मोदी सरकार ने अपने बचाव के लिए यशवंत सिन्हा के बेटे को ही मैदान में उतारा और उनसे टाइम्स ऑफ इंडिया में जवाब लिखवाया। हमने आपको कल यानी बुधवार को ही बताया था कि मोदी सरकार ने जयंत सिन्हा को लेख लिखने को कहा है और यह लेख टाइम्स ऑफ इंडिया में छपेगा।

यहां पढ़ें रिपोर्ट : यशवंत सिन्हा के लेख से बौखलाई मोदी सरकार, बेटे जयंत को ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में जवाब लिखने को कहा

आज यानी गुरुवार को मोदी सरकार ने यशवंत सिन्हा पर जवाबी हमला किया है और बंदूक चलाने के लिए कंधा इस्तेमाल किया है यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा का। लेकिन जयंत सिन्हा का जो लेख है, वह किसी स्वतंत्र अर्थशास्त्री या व्यक्ति के विचार कम, सरकारी योजनाओं का बखान करता प्रेस रिलीज ज्यादा नजर आता है। इसमें सरकार के कथित सुधारवादी कदमों से आने वाले दिनों में होने वाले फायदों के हवाई किले बनाए गए हैं। जयंत ने अपने लेख में क्या क्या लिखा है, पहले वह समझ लेते हैं। जयंत ने पिता को जवाब देते हुए लिखा है कि देश की आर्थिक हालत के बारे में कई लेख इन दिनों लिखे जा रहे हैं, लेकिन वे सब छोटे-छोटे तथ्यों पर आधारित हैं। इन लेखों में ढांचागत बुनियादी सुधारों का जिक्र नहीं किया गया है, जिनसे अर्थव्यवस्था में सुधार आ रहा है। जयंत सिन्हा ने लिखा है कि सरकार ने बहुत से ऐसे सुधार किए हैं, जिनका फायदा आने वाले दिनों में सामने आएगा। उन्होंने कहा है कि ‘न्यू इंडिया’ के लिए ढांचागत बदलाव जरूरी है।

यह वह बात है जिसके लिए किसी रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं होती। किसी भी अर्थव्यवस्था का तरीका यही होता है कि जो भी सुधार किए जाते हैं उसका फायदा आने वाले दिनों में ही मिलता है। लेकिन इस सरकार के दो बड़े आर्थिक सुधार, नोटबंदी और जीएसटी ने फायदा तो दूर की बात, देश के गरीबी के मुहाने की तरफ धकेल दिया है।

मोदी सरकार में नागर विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा का कहना है कि, 'जीएसटी, नोटबंदी और डिजिटल पेमेंट जैसे कदमों से देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर ही बदल जाएगी। उन्होंने कहा है कि अभी तक टैक्स नहीं चुका रहे सेक्टर को टैक्स के दायरे में लाया जा रहा है। टैक्स से मिलने वाला राजस्व बढ़ेगा तो राज्यों के लिए ज्यादा संसाधन मुहैया कराए जाएंगे।“

यहां भी जयंत सिन्हा पीआईबी के प्रवक्ता के तरह ही बोल रहे हैं। यह भी कोई छिपा तथ्य नहीं है कि टैक्स बढ़ेगा तो संसाधन पैदा होंगे। इसमें नया क्या है। पिछली सरकारें भी तो यहीं करती रही हैं, इसमें मोदी सरकार ने नया क्या किया है।

जयंत ने अपने लेख में मोदी सरकार की तमाम योजनाओं को उजागर किया है जिसमें उन्होंने आगे लिखा कि सभी मंत्रालयों में नीतियां अब नियमों के आधार पर ही बन रही हैं।

वह यह बताना भूल गए कि सारी नीतियों हमेशा से नियमों के आधार पर ही बनती रही हैं। या फिर इसका यह मतलब निकाला जाए कि पहले तीन साल में मोदी सरकार ने जो भी नीतियां बनाईं, उनमें नियमों का पालन नहीं किया गया और जब अर्थव्यवसथा का कबाड़ा हो गया तो नीतियां नियमों से बनाना शुरु किया।

जयंत ने अपने लेख में लिखा है कि भारत 2018 तक 100 फीसदी तक गांवों में बिजली पहुंचाने के लक्ष्य के करीब पहुंच जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें रेकॉर्ड 133 किलोमीटर प्रतिदिन के हिसाब से बनाई जा रही हैं। यह 2014 में 69 किलोमीटर प्रतिदिन की तुलना में दोगुनी है।

तो कोई इनसे पूछे कि इन योजनाओं में नया क्या है। पिछली सरकार की राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को ही रीपैकेज और रीनेम करके ही तो यह सरकार काम कर रही है। उस योजना का लक्ष्य भी यही था जो आप बता रहे हैं।

जयंत सिन्हा आगे लिखते हैं कि अफॉर्डबल मकानों के निर्माण के लिए मंजूरी दी जा रही है। यह 2004-14 में 13.8 करोड़ की तुलना में एनडीए सरकार में बढ़कर 17.7 करोड़ पहुंच चुका है। तो सवाल यह बनता है कि आपने इसमें नया क्या किया? सिर्फ संख्या ही तो बढ़ी है। वह आगे लिखते हैं कि हवाई कनेक्टिविटी में नाटकीय बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2014 में जहां 10 करोड़ लोगों ने हवाई यात्रा की थी, वहीं 2017 में 16 करोड़ यात्रियों ने हवाई यात्रा की है।

अरे आप को नागर विमानन मंत्री हैं जयंत जी। जरा यह संख्या भी बता दीजिए की सरकारी एयरलाइन से कितने लोगों ने यात्रा की और उसका क्या हाल है। फिर बात करेंगे इस बारे में।

जयंत के लेख पर चिदंबरम का वार

चिदंबरम ने एक के बाद एक ट्वीट कर जयंत के लेख पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जयंत का लेख PIB प्रेस रिलीज की तरह है।

उन्होंने आगे लिखा है कि पता होना चाहिए कि प्रशासनिक बदलाव स्ट्रक्चरल रिफॉर्म नहीं हैं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'अगर जयंत सिन्हा सही हैं तो क्यों जीडीपी में पिछले 5 तिमाहियों में कमी आ रही है?'

चिदंबरम आगे पूछते हैं कि अगर जयंत सही हैं तो निजी निवेश में कमी क्यों आ रही है।

चिदंबरम ने यह भी पूछा है कि अगर जयंत सिन्हा की बातें सही हैं तो फिर इंडस्ट्री की क्रेडिट ग्रोथ निगेटिव में क्यों है

उन्होंने कहा है कि अगर सौ फीसदी गांवो तक बिजली जा रही है तो बिजली की मांग में कमी क्यों आई है?'

जयंत के लेख पर जबरदस्त प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। एम के वेणु ने सवाल उठाया है कि जयंत ने यह कहीं भी नहीं बताया कि अर्थव्यवस्था की ऐसी हालत क्यों हुई है।

एक व्यक्ति ने इस लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि ‘फादर इन्हें माफ कर देना, उन्हें नहीं मालूम कि वे क्या कर रहे हैं”

एक पाठक ने लिखा है कि बेचारा जयंत, उन्हें सबके सामने कहना पड़ा कि मेरे पिता जो कह रहे हैं उसका दोष उन्हें मत दो

वहीं लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी ने कहा है कि मोदी सरकार ने बिना किसी तैयारी के जयंत सिन्हा को मोर्चे पर भेज दिया और उन्हें मुंह की खानी पड़ी रही है

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Published: 28 Sep 2017, 12:16 PM