बजट से मिडिल क्लास मायूस, 66 फीसदी लोग रहे नाउम्मीद, 56 फीसदी लोगों ने बताया मासिक खर्च बढ़ाने वाला : सर्वे
इस साल मध्यम-आय वर्ग के 66 प्रतिशत लोगों ने केंद्रीय बजट से अधिक उम्मीदें रखी थीं। वहीं लगभग 56 फीसदी लोगों का मानना है कि सोमवार को संसद में पेश किया गया केंद्रीय बजट उनके मासिक खर्च को बढ़ा देगा।
![फोटो: IANS](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2021-02%2Fa5f49673-79ed-4d84-9ffc-4be41960bb93%2F3edd47ce48ae755af582eb4a1f970781__1_.jpg?rect=0%2C35%2C2000%2C1125&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
इस साल मध्यम-आय वर्ग के 66 प्रतिशत लोगों ने केंद्रीय बजट से अधिक उम्मीदें रखी थीं। आईएएनएस सी वोटर बजट स्नैप पोल 2021 में यह बात सामने आई है। यह पूछे जाने पर कि मध्यम वर्ग होने के नाते क्या आपने बजट से अधिक उम्मीद की थी, तो इस वर्ग के 66 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें अधिक उम्मीद थी।
दूसरी ओर, सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट से उच्च आय वर्ग सबसे अधिक असंतुष्ट है। इस वर्ग के 52.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस सवाल पर कि क्या वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट आपकी उम्मीदों पर खरा उतरा है, तो इन्होंने कहा नहीं।
दिलचस्प बात यह है कि कम आय समूह देश के राजकोषीय घाटे को लेकर ज्यादा चिंतित है। 60.5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यह एक बड़ी चिंता का विषय है कि देश का राजकोषीय घाटा 9.5 प्रतिशत है।
वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए बजट पर 41.9 फीसदी लोगों ने कहा कि यह उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा जबकि 40.8 फीसदी लोगों ने कहा कि यह उनकी उम्मीदों पर खरा उतरा है।
44.2 प्रतिशत लोग निराश हैं कि आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है जबकि 40.7 प्रतिशत ने कहा कि वे निराश नहीं हैं।
जो संदेश गया है वह यह है कि 46.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि जिन राज्यों में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं, उन राज्यों के लिए ज्यादा घोषणाएं की गई हैं, जबकि 36.4 प्रतिशत लोग ऐसा नहीं मानते।
लगभग दो तिहाई इस बात से सहमत हैं कि इस बजट के माध्यम से सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि स्वास्थ्य का अत्यधिक महत्व है। 62.5 प्रतिशत लोग इस बात से सहमत हैं जबकि केवल 24.7 प्रतिशत लोग इससे सहमत नहीं हैं।
44.2 प्रतिशत लोग ऐसा नहीं मानते कि यह बजट संकेत देता है कि सरकार का खजाना खाली है, लेकिन चिंता की बात यह है कि 42.2 प्रतिशत को लगता है कि खजाना खाली है।
वहीं लगभग 56 फीसदी लोगों का मानना है कि सोमवार को संसद में पेश किया गया केंद्रीय बजट उनके मासिक खर्च को बढ़ा देगा। इससे इतर केवल 16.1 प्रतिशत लोगों का यह मानना है कि इस बजट में जो प्रावधान किए गए हैं उसके परिणामस्वरूप उनके हाथों में अधिक पैसे बचेंगे। गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को संसद में बजट की प्रस्तुति के बाद किए गए सर्वेक्षण में लगभग हर वर्ग से 1,200 लोगों को शामिल किया गया था।
सर्वेक्षणकर्ता ने तीन मापदंडों के माध्यम से प्रतिक्रियाओं का अनुमान लगाया - क्या बजट उनके खचरें को बढ़ाएगा, उन्हें अधिक बचत करने की अनुमति देगा या कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसके बाद इस सर्वेक्षण से मिलीं प्रतिक्रियाओं का मिलान 2013 के बाद से एकत्र किए गए प्रतिशत से किया गया।
सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले साल 47.3 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष 56.4 प्रतिशत लोगों को उम्मीद है कि बजट उनके खचरें को बढ़ा देगा। इस तरह का अनुमान 2019 में 39.7 प्रतिशत, 2018 में 64.4 प्रतिशत, 2017 में 54.3 प्रतिशत, 62.2 प्रतिशत 2016 में, 2015 में 64.4 प्रतिशत, 2014 में 72.9 प्रतिशत और 2013 में 81.2 प्रतिशत लोगों ने व्यक्त किया था।
बहरहाल, यह तुलनात्मक अध्ययन यह दर्शाता है कि अधिकांश लोगों का यह मानना था कि 2014 में राजग के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के सत्ता में आने से एक वर्ष पहले उनका खर्च बढ़ जाएगा। लेकिन ऐसा मानने वाले लोगों का प्रतिशत अब लगभग 25 प्रतिशत कम हो गया है, जो सरकार के लिए एक राहत की बात है।
इसके अलावा, 16.1 प्रतिशत लोगों का मानना है कि बजट में की गई घोषणाएं उन्हें अधिक बचत करने में मददगार होंगी। बीजेपी सरकार के सत्ता में आने से एक साल पहले ऐसा मानने वाले लोगों का प्रतिशत 10.8 प्रतिशत था। लगभग 16.9 प्रतिशत लोगों का मानना है कि बजट से उनके खचरें पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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