सीमा सील होने से बढ़ी दिल्ली-एनसीआर के कारोबारियों की परेशानी, लॉकडाउन में छूट के बावजूद नहीं मिली राहत

भले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर के तीनों राज्यों से सीमाओं को लेकर एक समान नीति बनाने को कहा है, लेकिन फिलहाल कारोबारियों को एनसीआर की अलग-अलग सीमाओं पर होने वाली समस्याओं से बेशुमार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे कारोबार प्रभावित है।

फोटोः IANS
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आईएएनएस

लॉकडाउन से बाहर आने के लिए लागू अनलॉक-1 में दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र के औद्योगिक इलाकों की फैक्ट्रियां खुलने लगी हैं, लेकिन एनसीआर के विभिन्न राज्यों की सीमा सील होने की वजह से फैक्ट्रियों में काम करने वाले मैनेजर और कर्मचारी अब भी काम पर नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे कारोबारियों की परेशानी कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है।

इस कारण से दिल्ली, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा समेत दिल्ली-एनसीआर के तमाम औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्रियों का कामकाज बुरी तरह प्रभावित है। कारोबारी बताते हैं कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच जब तक निर्बाध आवागमन चालू नहीं होगा, तब तक फैक्ट्रियों में कामकाज सुचारू होना मुश्किल है।

गाजियाबाद स्थित ट्रोनिका सिटी मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट आर एस कलसी इस मुद्दे पर कहते हैं, "ट्रोनिका सिटी में करीब 700 फैक्ट्रियां हैं और इनमें से काफी फैक्ट्रियां खुल गई हैं, लेकिन सीमा सील होने की वजह से कर्मचारी, मैनेजर फैक्ट्री नहीं पहुंच पा रहे हैं।" उन्होंने कहा कि ई-पास नहीं होने पर कई फैक्ट्री के मालिक भी अपनी फैक्ट्रियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

यह हाल न सिर्फ गाजियाबाद का है, बल्कि दिल्ली के फैक्ट्री मालिक भी बोर्डर सील होने से परेशान हैं। इनकी परेशानी का सबब यह है कि दिल्ली की सीमा से बाहर एनसीआर क्षेत्र से मजदूर, कारीगर, तकनीशियन और अन्य कर्मचारी फैक्ट्री नहीं पहुंच पा रहे हैं। यही नहीं, दिल्ली के बाहर के ऑर्डर भी इनको नहीं मिल रहे हैं।

बवाना फैक्टरीज वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट राजन लांबा ने बताया, "दिल्ली की सीमा सील होने के कारण हरियाणा से आने वाले कागरीगर, तकनीशियन नहीं आ पा रहे हैं और न ही कोई ऑर्डर मिल रहा है।" उन्होंने कहा कि सिर्फ लोकल मजदूर या कारीगर आ रहे हैं। लांबा ने कहा कि एक तो प्रवासी मजदूरों के पलायन से कामकाज प्रभावित हुआ है, वहीं दूसरी ओर एनसीआर में निर्बाध आवागमन नहीं होने की वजह से कारोबार पटरी पर लौटने की जो आस जगी थी, वह धूमिल हो गई है।

दिल्ली के मायापुरी इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी नीरज सहगल ने कहा कि लॉकडाउन खुलने की प्रक्रिया आरंभ होने से उम्मीद तो है कि कारोबार पटरी पर आएगा, लेकिन इस समय दिल्ली की सीमाएं सील होने से जल्द कारोबार पटरी पर लौटने की उम्मीद नहीं दिखती है। नीरज सहगल ने कहा कि कर्मचारियों के आने-जाने में ही नहीं, माल की ढुलाई में भी परेशानी आ रही है।

ग्रेटर नोएडा के एक कारोबारी ने बताया कि उन्होंने अपने कुछ कर्मचारियों को दिल्ली से आने के लिए पास बनवा दिया है, लेकिन सबके लिए पास बनवाना मुश्किल होता है। मतलब पास वालों को आने-जाने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है।

यही बात एनसीआर स्थित साहिबाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रेसीडेंट दिनेश मित्तल ने भी कही। उन्होंने बताया, "उनको दिल्ली से साहिबाबाद आने-जाने में व्यक्तिगत रूप से कोई दिक्कत नहीं हुई। मगर, निजी वाहनों को दिल्ली-एनसीआर में एक राज्य से दूसरे राज्य की सीमा में प्रवेश के लिए पास की जरूरत होती है। दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के बाद प्रदेश सरकार ने बीते सोमवार को एक सप्ताह के लिए दिल्ली की सीमाएं सील कर दीं, जिससे कारोबारियों की परेशानी बढ़ गई।"

हालांकि, अब एनसीआर के कारोबारियों की परेशानी जल्द खत्म होने वाली है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली-एनसीआर में एक समान नीति बनाने और कॉमन पास के विकल्प पर विचार करने के लिए केंद्र सहित दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा को एक सप्ताह का समय दिया है।

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