आखिरकार RBI को देने ही पड़े मोदी सरकार को ₹1.76 लाख करोड़, बिमल जालान समिति ने की थी सिफारिश

कभी हां, कभी न के बाद आखिरकार रिजर्व बैंक मोदी सरकार को अपने खजाने से 1,76 लाख करोड़ रुपए देने पर राजी हो गया। आरबीआई बोर्ड ने सोमवार को हुई बैठक के बाद यह ऐलान किया।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के केंद्रीय बोर्ड ने आखिरकार मोदी सरकार को अपने खजाने से 1,76,051 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का फैसला ले लिया। इसमें से 1,23,414 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2018-19 का अधिशेष और 52,637 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान शामिल है। इसकी सिफारिश संशोधित आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क में की गई है जिसे केंद्रीय बोर्ड की बैठक में सोमवार को मंजूरी दे दी गई।


RBI के अतिरिक्त रिजर्व को सरकार को ट्रांसफर करने पर विचार करने के लिए आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। समिति को आरबीआई के मौजूदा इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (Economic Capital Framework) की समीक्षा करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस समिति ने आरबीआई के गवर्नर को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

6 सदस्यीय इस समिति का काम यह आंकलन करना कि आरबीआई सरप्लस की कितनी राशि सरकार को ट्रांसफर कर सकती है और कितनी राशि उसे अपने पास रखनी चाहिए।

यह पैसा सरकार को आरबीआई से तीन से पांच साल के बीच में मिलेगा। कॉन्टिजेंसी फंड, करेंसी तथा गोल्ड रवैल्यूएशन अकाउंट को मिलाकर आरबीआई के पास 9.2 लाख करोड़ रुपये का रिजर्व है, जो केंद्रीय बैंक के टोटल बैलेंस शीट साइज का 25 फीसदी है।

सरकार को इस फंड से बैंकों को मदद करने में आसानी होगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा कर चुकी हैं, जिससे बाजार में 5 लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है। सरकार ने बजट में रिजर्व बैंक के लिए 90,000 करोड़ का डिविडेंड प्रस्तावित किया था जबकि पिछले वित्त वर्ष में आरबीआई ने डिविडेंड के तौर पर 68,000 करोड़ रुपये चुकाए थे।


गौरतलब है कि केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच रिजर्व को लेकर मतभेद हो चुके हैं। इसी तनातनी के बीच ही रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा तक दे दिया था। दिसंबर 2018 में गतिरोध के बाद रिजर्व बैंक के कैपिटल फ्रेमवर्क के रिव्यू के लिए RBI और सरकार कमेटी गठित करने पर राजी हुए थे।

इस कमेटी के अध्यक्ष रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान हैं। इसमें आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन, सेंट्रल बोर्ड मेंबर भरत दोशी, सुधीर मांकड, इकनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी सुभाष चंद्र गर्ग और आरबीआई डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन शामिल थे।

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