केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से इस साल दीवाली पर सोने की चमक रहेगी फीकी

सरकार ने रत्न और आभूषण उद्योग को धनशोधन रोकथाम अधिनियम के दायरे में शामिल कर दिया है, जिसके कारण अनुपालन की जरूरतें बढ़ गई हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के भारत के प्रबंध निदेशक सोमासुंदरम पी.आर. का मानना है कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी), नोटबंदी और धनशोधन रोधी (एएमएल) कानूनों के लागू होने से इस वर्ष दीवाली पर सोने की चमक फीकी रहेगी। सोमासुंदरम ने कहा, ‘इस बार दीवाली की अपनी चुनौतियां हैं, लेकिन मैं अब भी आशावादी हूं। यह एएमएल का हिस्सा है, जो शायद इस समय लोगों को परेशान कर रहा है। इसके कारण धनतेरस पर खरीदारी से ज्यादा शादी की खरीदारी अधिक प्रभावित होगी।‘ उन्होंने कहा, ‘मुझे अभी भी लगता है कि प्रशासन को ढेर सारी समस्याएं होंगी, लेकिन उपभोक्ता को उतनी नहीं होगी। संगठित क्षेत्र में अच्छी तेजी है। हालांकि, नोटबंदी और एएमएल निश्चित रूप से प्रभावित कर रहे हैं।’

सरकार ने रत्न और आभूषण उद्योग को धनशोधन रोकथाम अधिनियम के दायरे में शामिल किया है, जिसके कारण अनुपालन की जरूरतें बढ़ गई हैं। 1 जुलाई को पूरे देश में लागू हुई नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली (जीएसटी) में सोने को तीन प्रतिशत कर ढांचे में रखा गया है। सोमसुंदरम ने कहा, ‘पहली छमाही (जनवरी-जून) में आयात 532 टन था, जबकि मांग 298 टन थी। दरअसल, जीएसटी से पहले लोग जितना ज्यादा आयात कर सकते थे, उतना उन्होंने किया, लेकिन उस हिसाब से मांग नहीं बढ़ी।’ वर्तमान में, 22 कैरेट सोने की कीमत लगभग 29,000 रुपये प्रति 10 ग्राम है।

डब्लूजीसी ने इसके पहले एक रपट में कहा था कि जीएसटी के बाद उपभोक्ता व्यवहार बदल रहा है। हमारे 26 सालों के आंकड़ों के आर्थिक विश्लेषण से पता चला है कि उच्च कर सोने की मांग को घटाती है। कर ऐसा हो जो उपभोक्ता के लाभ के लिए उद्योग को बदले।

हाल ही में डब्ल्यूजीसी के आंकड़ों से पता चला था कि 2017 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत में सोने की मांग 167.4 टन थी, जो 2016 की दूसरी तिमाही की 122.1 टन की तुलना में 37 फीसदी अधिक है। भारत में कुल आभूषण की मांग 2017 की दूसरी तिमाही में 126.7 टन थी, जो 2016 की दूसरी तिमाही की 89.8 टन के मुकाबले 41 प्रतिशत अधिक है। आभूषणों की मांग का मूल्य 33,000 करोड़ रुपये था, जो 2016 की दूसरी तिमाही के 24,350 करोड़ रुपये से 36 प्रतिशत अधिक है।

डब्ल्यूजीसी ने इस कैलेंडर वर्ष के लिए भारत की पीली धातु की मांग 650 टन से 750 टन के बीच रखी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, मूल्य के मामले में सोने का आयात बिल, 2016 में 23 अरब डॉलर (1.5 लाख करोड़ रुपये) था। भारत की सोने की मांग 2015 के मुकाबले 2016 में 857 टन से 21 प्रतिशत घटकर 676 टन पर आ गई थी।

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