आत्मनिर्भर भारत अभियान पर मोदी सरकार के पूर्व सलाहकार और नीति आयोग के वाइस चेयरमैन भिड़े, रघुराम राजन ने भी उठाए थे सवाल
मोदी सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन और नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार के बीच आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर ठन गई है।

मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर खूब प्रचार कर रही है। नेता से लेकर मंत्री तक इस अभियान के बारे में ही बात करते दिखते हैं, लेकिन मोदी सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि भारत को घरेलू बाजार के भ्रामक आकर्षण से बचना चाहिए और एक्सोपर्ट को बढ़ावा देना चाहिए। अरविंद सुब्रमण्यन ने ये बातें हाल ही अपने एक लेख में कही थी। आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार और उनके बीच ठन गई है। राजीव कुमार का कहना है कि उन्हें अरविंद सुब्रमण्यन की राय से आश्चर्य हुआ है। राजीव कुमार ने कहा कि इस अभियान की शुरुआत तो उनके मुख्य आर्थिक सलाहकार रहते हुए ही हुई थी। जब भारत ने 2018 में इंपोर्ट टैरिफ को बढ़ाते हुए 18 पर्सेंट तक कर दिया था।
जनसत्ता की खबर के मुताबिक राजीव कुमार का कहना है कि सरकार में रहते हुए कुछ और कहा जाए और बाहर निकलते ही स्टैंड बदल जाए। नीति आयोग के वाइस चेयरमैन ने कहा कि ये ईमानदारी वाली बात नहीं है। बता दें कि मोदी सरकार ने अरविंद सुब्रमण्यन को अक्टूबर 2014 में तीन साल के लिए मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया था। बाद में उन्हें एक साल का एक्सटेंशन भी मिला था, लेकिन अरविंद सुब्रमण्यन ने कार्यकाल के बीच में ही पद छोड़ दिया था। इसके लिए उन्होंने निजी कारणों का हवाला दिया था। उसके बाद वो अमेरिका चले गए थे और फिलहाल वो वहां अशोक यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं।
गौरतलब है कि, मोदी सरकार के पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने अपने एक रिसर्च लेख में कहा था कि भारत एक्सपोर्ट के बजाए घरेलू मांग को ज्यादा महत्व दे रहा है। ट्रेड पर पाबंदिया लगाई जा रही है। उन्होंने लिखा था कि भारत को घरेलू बाजार के भ्रामक आकर्षण से बचते हुए एक्पोर्ट बढ़ाने के लिए मजबूती से काम करना चाहिए। इसे हासिल करने के लिए उसे पूरा जोर लगाना चाहिए।
बता दें कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि सरकार का ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान का परिणाम संरक्षणवाद के रूप में नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व में इस प्रकार की नीतियां अपनाई गई लेकिन उसका कोई लाभ नहीं दिखा। राजन ने कहा कि उन्हें अब तक यह साफ नहीं है कि आखिर सरकार का ‘आत्मनिर्भर भारत’ से मतलब क्या है। अगर यह उत्पादन के लिए एक परिवेश बनाने को लेकर है, तब यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल को नए रूप में पेश करने जैसा है।
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