अर्थतंत्र की खबरें: व्यापार युद्ध की आशंका में शेयर बाजार धड़ाम और LPG गैस के दाम बढ़ने से बिगड़ा रसोई का बजट
अमेरिका के जवाबी शुल्क को लेकर चिंता के बीच सोमवार को भारत समेत दुनिया भर के बाजारों में बड़ी गिरावट आई।

अमेरिका के जवाबी शुल्क को लेकर चिंता के बीच सोमवार को भारत समेत दुनिया भर के बाजारों में बड़ी गिरावट आई। स्थानीय शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 2,226.79 अंक का गोता लगा गया, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 743 अंक लुढ़क गया। दस माह में यह शेयर बाजार में सबसे बड़ी गिरावट है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शुल्क बढ़ाये जाने और चीन के जवाबी कदम से आर्थिक नरमी की आशंका के बीच बाजार में गिरावट आई है।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स में लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में गिरावट रही और यह 2,226.79 अंक यानी 2.95 प्रतिशत के नुकसान के साथ 73,137.90 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 3,939.68 अंक यानी 5.22 प्रतिशत तक लुढ़क गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 742.85 अंक यानी 3.24 प्रतिशत टूटकर 22,161.60 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय निफ्टी 1,160.8 अंक तक लुढ़क गया था।
हिंदुस्तान यूनिलीवर को छोड़कर सेंसेक्स में शामिल सभी शेयर नुकसान में रहे। टाटा स्टील में सबसे ज्यादा 7.33 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि लार्सन एंड टुब्रो 5.78 प्रतिशत के नुकसान में रहा।
इसके अलावा टाटा मोटर्स, कोटक महिंद्रा बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, इन्फोसिस, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और एचडीएफसी बैंक के शेयर भी नीचे आए।
हिंदुस्तान यूनिलीवर मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘बाजार में गिरावट का कारण उच्च अमेरिकी शुल्क और अन्य देशों के जवाबी शुल्क के कारण व्यापार युद्ध शुरू होने की आशंका है। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और धातु जैसे क्षेत्र नुकसान में रहे। इसका कारण धीमी वृद्धि के साथ उच्च मुद्रास्फीति का जोखिम है, जिससे अमेरिका में मंदी की आशंका है।’’
बीएसई में 3,515 शेयरों में गिरावट रही जबकि 570 लाभ में रहे। 140 के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ। कुल 775 शेयर 52 सप्ताह के निचले स्तर पर जबकि 59 कंपनियों के शेयर 52 सप्ताह के उच्च स्तर पर रहे।
मेहता इक्विटीज लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा, ‘‘अमेरिकी बाजार में शुक्रवार को आई गिरावट के बाद यह तय था कि वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट आएगी और वैसा ही हुआ। इस गिरावट का कारण यह है कि जवाबी शुल्क को लेकर ट्रंप की नीतियों से अमेरिका में आने वाले समय में मंदी आने और महंगाई बढ़ने की आशंका है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कच्चे तेल और कई धातुओं के दाम में गिरावट जारी है। यह संकेत है कि अगर मौजूदा स्थिति बनी रहती है तो मांग नरम पड़ सकती है।’’
एशिया के अन्य बाजारों में, हांगकांग का हैंगसेंग 13 प्रतिशत से अधिक गिर गया, जापान का निक्की 225 लगभग आठ प्रतिशत टूटा, शंघाई एसएसई कम्पोजिट सात प्रतिशत और दक्षिण कोरिया का कॉस्पी पांच प्रतिशत से अधिक नुकसान में रहा।
यूरोप के प्रमुख बाजारों में भी भारी बिकवाली का दबाव रहा है और दोपहर के कारोबार में इसमें छह प्रतिशत तक की गिरावट रही।
अमेरिकी बाजार में शुक्रवार को तेज गिरावट आई। एसएंडपी-500, 5.97 प्रतिशत नीचे आया जबकि नासदैक कम्पोजिट 5.82 प्रतिशत और डाऊ 5.50 प्रतिशत नुकसान में रहे।
इससे पहले, चार जून को सेंसेक्स 4,389.73 अंक यानी 5.74 प्रतिशत का गोता लगाते हुए 72,079.05 अंक पर बंद हुआ था। उस दिन कारोबार के दौरान सेंसेक्स 6,234.35 अंक तक लुढ़क गया था।
वहीं एनएसई निफ्टी चार जून को 1,379.40 अंक यानी 5.93 प्रतिशत टूटकर 21,884.50 अंक पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान यह 1,982.45 अंक तक लुढ़क गया था।
इससे पहले, 23 मार्च, 2020 को लॉकडाउन लगाये जाने के दिन सेंसेक्स और निफ्टी 13 प्रतिशत से अधिक टूटे थे।
सोमवार को बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 4.13 प्रतिशत के नुकसान में रहा, जबकि मिडकैप में 3.46 प्रतिशत की गिरावट आई।
नायर ने कहा, ‘‘हालांकि, अन्य देशों के मुकाबले भारत पर प्रभाव सीमित होगा, लेकिन निवेशकों को इस दौरान सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।’’
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुक्रवार को 3,483.98 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 3.61 प्रतिशत की गिरावट के साथ 63.21 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। पिछले सप्ताह, बीएसई सेंसेक्स 2,050.23 अंक यानी 2.64 प्रतिशत नुकसान में रहा था जबकि एनएसई निफ्टी में 614.8 अंक यानी 2.61 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
रसोई गैस सिलेंडर 50 रुपया महंगा हुआ, पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क भी दो रुपये बढ़ा
सरकार ने सोमवार को रसोई गैस की कीमतों में 50 रुपये प्रति सिलेंडर की भारी बढ़ोतरी करने के साथ ही पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क भी दो रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया। हालांकि, पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि का कोई असर नहीं होगा।
रसोई गैस की कीमत में यह बढ़ोतरी ‘उज्ज्वला’ योजना के तहत लाभान्वित गरीबों और सामान्य उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए होगी। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि गैस कीमतों में 50 रुपये की वृद्धि आठ अप्रैल से प्रभावी होगी।
मूल्यवृद्धि के बाद उज्जवला उपयोगकर्ताओं के लिए रसोई गैस की कीमत राष्ट्रीय राजधानी में 503 रुपये से बढ़कर 553 रुपये प्रति सिलेंडर हो जाएगी। वहीं सामान्य उपभोक्ताओं के लिए अब 14.2 किलोग्राम के रसोई गैस वाले सिलेंडर की कीमत 853 रुपये हो जाएगी।
रसोई गैस की कीमतें स्थानीय करों के आधार पर अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न हैं। पिछली बार मार्च, 2024 में इनमें 100 रुपये की कटौती की गई थी।
इसके साथ ही सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में भी दो-दो रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है लेकिन इससे खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा। यह बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल कीमतों में गिरावट से पेट्रोलियम कंपनियों को होने वाले लाभ से समायोजित हो जाएगी।
एक सरकारी आदेश के मुताबिक, पेट्रोल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क 11 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 13 रुपये और डीजल पर आठ रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। यह आदेश मंगलवार से लागू हो जाएगा।
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की आशंकाओं के बीच पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज 'लहूलुहान'
पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (पीएसएक्स) में सोमवार को भारी गिरावट दर्ज की गई। बाजार में अस्थिरता को कम करने और घबराहट में बिकवाली को रोकने के मकसद से कारोबार को एक घंटे के लिए अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया।
हालांकि, एक घंटे के अंतराल के बाद बाजार जब खुला तो इसमें और गिरावट आई। अमेरिका की तरफ से लगाए गए टैरिफ और चीन के जवाबी कदमों से वैश्विक बाजारों में तनाव पैदा हो गया।
पाकिस्तान के शेयर बाजार 'केएसई-100' सूचकांक में सोमवार को एक घंटे के कारोबार निलंबन के बावजूद 6,000 अंकों से अधिक की गिरावट आई। इस गिरावट को पीएसएक्स के इतिहास में सबसे तीव्र एकल-दिवसीय गिरावटों में से एक कहा जा रहा है।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि, 'निवेशक भू-राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता बढ़ने से भयभीत हैं।'
पाकिस्तानी शेयर मार्केट में गिरावट, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव के कारण एशियाई बाजारों में आई भारी गिरावट का आनुपातिक प्रभाव है।
पाकिस्तानी शेयर बाजार में आई ताजा गिरावट को रिकॉर्ड 'डे-टू-डे' गिरावट बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक मंदी के डर से निवेशक बाजार से पलायन कर रहे हैं।
केसीएम ट्रेड के मुख्य बाजार विश्लेषक टिम वाटरर ने कहा, "व्यापारी दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच टैरिफ पर एक दूसरे से टक्कर लेने की आशंका से घबराए हुए हैं। उन्हें डर है कि लंबे समय तक चलने वाली आर्थिक लड़ाई से दोनों को भारी नुकसान हो सकता है।"
सोमवार को एशियाई और अन्य वैश्विक बाजारों में भी बड़ी गिरावट देखी गई क्योंकि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने निवेशकों का भरोसा हिला दिया। जानकारी के अनुसार, जापान का निक्केई सूचकांक खुलने के बाद आठ प्रतिशत से अधिक गिर गया, टॉपिक्स में 6.5 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट हुई।
चीन में शंघाई कम्पोजिट में कम से कम 6.7 प्रतिशत की गिरावट आई, ब्लू चिप सीएसआई300 में 7 प्रतिशत की गिरावट आई।
हांगकांग में बाजार 9 प्रतिशत की गिरावट के साथ खुला, जबकि अलीबाबा और टेनसेंट जैसी दिग्गज टेक कंपनियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा।
चीन की ओर से की गई कड़ी जवाबी कार्रवाई के बाद यह बिकवाली हुई। बीजिंग ने सभी अमेरिकी वस्तुओं पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से व्यापार शुल्क में अचानक की गई बढ़ोतरी के जवाब में उठाया गया, जिससे लंबे समय तक चलने वाले और नुकसानदेह आर्थिक संघर्ष की आशंका पैदा हो गई।
नेपाल : जंगल की आग बनी मुसीबत, कई लोग झुलसे
नेपाल के जंगलों में आग लगने के कई मामले सामने आ रहे हैं। इसके कारण अस्पतालों में घायलों की संख्या में भी चिंताजनक बढ़ोतरी हो रही है।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, नेपाल का क्लेफ्ट एंड बर्न सेंटर, जिसे कीर्तिपुर अस्पताल के नाम से भी जाना जाता है। यहां सबसे ज्यादा जलने से घायल मरीजों का इलाज होता है, वहां मामलों की संख्या बढ़ गई है। इस कारण, हर दिन कई मरीजों को दूसरे अस्पतालों में भेजा जा रहा है।
अस्पताल की निदेशक डॉ. किरण नकारमी ने कहा, "हम जले हुए मरीजों के इलाज के लिए अन्य वार्डों के बिस्तरों का भी उपयोग कर रहे हैं, लेकिन वो भी पर्याप्त नहीं हैं। इस कारण, हमें गंभीर रूप से जले हुए मरीजों को दूसरे अस्पतालों में भेजना पड़ता है।"
काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस संकट को और बढ़ाते हुए देश में गंभीर प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी बीमारियां भी बढ़ रही हैं, जो एक बड़ी स्वास्थ्य चिंता बन गई हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जंगलों में आग लगने और कृषि फसलों के अवशेष जलाने से हवा में धुआं बढ़ रहा है, जिससे काठमांडू घाटी में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
इसमें यह भी कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन ने मौसम के पैटर्न को और बिगाड़ दिया है, जिससे स्थिति और भी खराब हो गई है।
रिपोर्टों से पता चलता है कि चुरे के जंगलों समेत कई जगहों पर जंगलों में आग लगने की घटनाएं, पराली जलाना, अन्य अपशिष्ट जलाना, घरों में आग लगना और ईंट भट्टों का संचालन, इन सभी कारणों से घाटी में वायु की गुणवत्ता खराब हो रही है।
पिछले एक सप्ताह से काठमांडू दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है, जहां पीएम 2.5 का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 348 तक पहुंच गया है।
काठमांडू के कई सामान्य अस्पतालों ने श्वास संबंधित समस्याओं और अन्य श्वसन बीमारियों के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी की बात कही है।
बीर अस्पताल के निदेशक डॉ. दिलीप शर्मा ने कहा, "पिछले कुछ दिनों के मुकाबले सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या दो गुना बढ़ गई है और इसका मुख्य कारण वायु प्रदूषण है।"
अमेरिका-ईरान परमाणु तनाव को हल करने में हर संभव मदद के लिए तैयार : रूस
क्रेमलिन ने सोमवार को कहा कि रूस, तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका और ईरान के बीच तनाव को कम करने के लिए हर संभव मदद करने को तैयार है। वाशिंगटन का कहना है कि तेहरान उसके साथ परमाणु समझौता करे या फिर बमबारी के तैयारी करे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की चेतावनी के बाद पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया। मॉस्को ने कई बार मध्यस्थता की पेशकश की है।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, "हम अपने ईरानी साझेदारों के साथ लगातार परामर्श कर रहे हैं, जिसमें परमाणु समझौते का विषय भी शामिल है।" उन्होंने कहा, "यह प्रक्रिया निकट भविष्य में भी जारी रहेगी। बेशक, रूस राजनीतिक और कूटनीतिक तरीकों से इस समस्या के समाधान में योगदान देने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए तैयार है।"
ईरान ने 2015 में विश्व शक्तियों के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे औपचारिक रूप से ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) के रूप में जाना जाता है। जेसीपीओए को ईरान परमाणु समझौता या ईरान डील के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत प्रतिबंधों में राहत और अन्य प्रावधानों के बदले में ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर राजी हुआ था।
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका ने 2018 में समझौते से खुद को अलग कर लिया और 'अधिकतम दबाव' की नीति के तहत प्रतिबंध लगा दिए।
ईरान का कहना है कि उसे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा की जरूरत है। उसने इस बात से इनकार किया है कि वह परमाणु हथियार हासिल करना चाहता है।
तेहरान ने ट्रंप की सीधी वार्ता की मांग को ठुकरा दिया। एक वरिष्ठ ईरानी अधिकारी ने वीकेंड में उन पड़ोसियों को चेतावनी जारी की है जिनके यहां अमेरिकी सैन्यकि वे निशाने पर आ सकते हैं।
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने पिछले सप्ताह कहा कि ईरान पर बमबारी के बारे में ट्रंप की टिप्पणियों ने केवल 'स्थिति को जटिल' बनाया है। उन्होंने चेतावनी दीकि हमले व्यापक क्षेत्र के लिए 'विनाशकारी' हो सकते हैं।
यह बयान इसलिए भी अहम था क्योंकि रूस ने ट्रंप की ऐसी तीखी आलोचना से परहेज किया है।
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के साथ संबंधों को सुधारने के लिए तेजी से कदम उठाए हैं। वहीं ट्रंप का रवैया भी रूस को लेकर बेहद नरम रहा है। इससे यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगी चिंतित हैं।
यूक्रेन में पूर्ण पैमाने पर संघर्ष शुरू होने के बाद से मॉस्को ने तेहरान के साथ संबंधों को गहरा किया है। दोनों ने जनवरी में एक रणनीतिक साझेदारी संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
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