अर्थ जगत की 5 बड़ी खबरें: लॉकडाउन में दवाओं का उत्पादन ठप, किल्लत का अंदेशा और केरल को 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान

देशव्यापी लॉकडाउन के कारण श्रमिकों और लॉजिस्टिक्स की समस्या के कारण दवा कंपनियों के कारोबार पर भी असर पड़ा है। दवा कंपनियों में तकरीबन 60 फीसदी उत्पादन ठप पड़ गया है, जिससे आने वाले दिनों में देश में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की किल्लत की आशंका भी बनी हुई है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

लॉकडाउन में दवाओं का उत्पादन ठप, किल्लत का अंदेशा

देशव्यापी लॉकडाउन के कारण श्रमिकों और लॉजिस्टिक्स की समस्या के कारण दवा कंपनियों के कारोबार पर भी असर पड़ा है। दवा कंपनियों में तकरीबन 60 फीसदी उत्पादन ठप पड़ गया है, जिससे आने वाले दिनों में देश में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की किल्लत की आशंका भी बनी हुई है। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत आने वाले औषधि विभाग ने भी इसकी आशंका जताई है।

कोरोनावायरस के संक्रमण से फैली महामारी की रोकथाम में प्रभावी कदम के तौर पर किए गए देशव्यापी लॉकडाउन में हालांकि दवा और आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण और विपणन को निरंतर जारी रखने की अनुमति दी गई है, लेकिन श्रमिकों और लॉजिस्टिक्स की समस्या को लेकर दवा बनाने वाली कंपनियों का कारोबार प्रभावित हुआ है।

कनाडा की संसद ने कोविड-19 राहत विधेयक पारित किया

कनाडा की संसद ने एक बड़ा कोविड-19 राहत विधेयक पारित किया है, जिसे प्रधानमंत्री जस्टिन टड्रो ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से देश का सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक कार्यक्रम कहा है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार की बैठक में, सभी दलों के हाउस ऑफ कॉमन्स और सीनेट के सदस्य सरकार के 52 अरब डॉलर के वेज-सब्सिडी प्रोग्राम का समर्थन करने के लिए सहमत हुए, जो कि करीब 42,000 डॉलर तक की 75 प्रतिशत कमाई को कवर करेगा।

अर्हता प्राप्त करने के लिए, नियोक्ताओं को यह दिखाना होगा कि उन्हें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में मार्च से राजस्व में कम से कम 15 प्रतिशत या अप्रैल और मई में 30 प्रतिशत की कमी की आशंका है।


केरल को लॉकडाउन से 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान : वित्तमंत्री इसाक

केरल के वित्तमंत्री थॉमस इसाक ने रविवार को कहा कि कोरोनावायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण राज्य को 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसाक ने मीडिया को बताया कि समय तेजी से गुजर रहा है और केंद्र द्वारा अब राज्य को हर संभव वित्तीय मदद देनी चाहिए।

नाराज इसाक ने कहा, "हमने अब ऊंची दरों पर उधार लिया है, क्योंकि हम लोगों की मदद के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। जब मदद की बात आती है, तो हम ब्याज दर को नहीं देखते हैं। केंद्र को अब बात करना बंद कर काम करना चाहिए। अगर हम उधार ले रहे हैं, तो हम अपने लोगों को सब कुछ दे रहे हैं। अन्य राज्य उस तरह लोगों की मदद नहीं कर रहे हैं जिस तरह से हम कर रहे हैं। केंद्र को वह देना होगा जो हमारा है और अप्रैल के अंत तक नुकसान लगभग 55,000 करोड़ रुपये का होगा। वे आरबीआई से अच्छी तरह से उधार ले सकते हैं और हमें दे सकते हैं।"

कोरोना के साये में रहेगा शेयर बाजार

कोरोना के कहर का साया देश के शेयर बाजार पर इस सप्ताह भी बना रहेगा, हालांकि वैश्विक संकेतों से घरेलू बाजार को दिशा मिलेगी। साथ ही, प्रमुख आर्थिक आंकड़ों और देशव्यापी लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर सरकार के फैसले पर निवेशकों की नजर बनी रहेगी।

पिछले सप्ताह विदेशी बाजारों से मिले सकारात्मक संकेतों और कोरोना के प्रकोप से मिल रही आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार द्वारा एक और राहत पैकेज की उम्मीदों से दलाल स्ट्रीट की रौनक बनी रही जिसका इस सप्ताह भी निवेशकों को इंतजार रहेगा।


ओपेक-रूस करार लागू होने पर संशय, कच्चे तेल में तेजी के आसार कम

कोरोना के कहर से पस्त कच्चे तेल के बाजार में मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन लाने के मकसद से तेल निर्यातक देशों का समूह ओपेक और रूस ने तेल के उत्पादन में एक करोड़ बैरल रोजाना कटौती करने का करार किया है। हालांकि इस शर्तिया करार के लागू होने पर संशय बरकरार है, इसलिए उर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कच्चे तेल में तेजी लौटने के आसार कम हैं।

ओपेक का मुखिया व अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का उत्पादक सऊदी अरब और दुनिया के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक रूस के बीच बीते सप्ताह तेल उत्पादन कटौती को लेकर आखिरकार एक ऐतिहासिक करार हुआ। इस करार के मुताबिक सऊदी अरब और गैर ओपेक देश रूस दोनों मिलकर 50 लाख बैरल रोजाना तेल की कटौती करेगा और बाकी 50 लाख बैरल रोजाना की कटौती ओपेक के अन्य सदस्य देश करेंगे। इस बीच ओपेक के सदस्य मेक्सिको ने उत्पादन कटौती की शर्त को मानने से इन्कार कर दिया।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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