अमेरिकी-एशियाई शेयर बाजार: अमेरिकी शेयर बाजार में दर्ज की गई भारी गिरावट, एशियाई बाजारों में भी देखा गया असर
कारोबारी सत्र के दौरान टेक्नोलॉजी सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित रहा। एप्पल के शेयर में 2 फीसदी, टेस्ला में 5 फीसदी से ज्यादा, एनवीडिया में 3.6 फीसदी, मेटा प्लेटफॉर्म्स में 3.8 फीसदी की देखने को मिली।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर 145 फीसदी टैक्स और अन्य देशों को टैरिफ से 90 दिनों की राहत की घोषणा के बाद अमेरिकी बाजारों में इसका असर देखने को मिला था। बाजार में जबरदस्त उछाल आया था, लेकिन यह तेजी टिक नहीं पाई। गुरुवार को बाजार ने भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। कमजोरी के साथ सत्र खत्म हुआ। निवेशक इस बात को लेकर परेशान हैं कि टैरिफ का मुद्दा पूरी तरह से सुलझ नहीं पाया है।
गरुवार को डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 1,014 अंक या 2.5% गिरकर बंद हुआ। एसएंडपी 500 में 3.46 प्रतिशत और नैस्डैक कंपोजिट में 4.31 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। कारोबारी सत्र के दौरान डॉव जोन्स 2,100 अंकों से ज्यादा टूटा। हालांकि, सत्र अंत में कुछ रिकवरी देखेगी गई।
कारोबारी सत्र के दौरान टेक्नोलॉजी सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित रहा। एप्पल के शेयर में 2 फीसदी, टेस्ला में 5 फीसदी से ज्यादा, एनवीडिया में 3.6 फीसदी, मेटा प्लेटफॉर्म्स में 3.8 फीसदी की देखने को मिली। यही वजह है कि इन बड़ी कंपनियों के शेयरों में कमजोरी से नैस्डैक पर भारी देखने को मिला।
अमेरिकी बाजारों में गिरावट के असर से शुक्रवार को एशियाई बाजार भी कमजोर खुले। जापान के निक्केई 225 में 5.46 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। वहीं, टॉपिक्स में 5.05 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कई देशों के लिए तत्काल 90 दिनों के लिए टैरिफ विराम की घोषणा के बाद गुरुवार को निक्केई में 9 फीसदी की उछाल देखने को मिली।
शेयरों में, फास्ट रिटेलिंग के शेयरों में 3.87 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। टोक्यो इलेक्ट्रॉन के शेयर की कीमत में 5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। एडवांटेस्ट के शेयर की कीमत में 7.5 फीसदी की गिराटव देखने को मिली। टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज के सभी 33 इंडस्ट्री उप-सूचकांक गिर गए, जिसमें रिफाइनर 6.6 फीसदी गिरकर सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले बन गए। रॉयटर्स के मुताबिक, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे बाजारों में भी गिरावट देखने को मिली। फिलहाल बाजार में अस्थिरता बनी रहने की संभावना है, और निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है।
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