अर्थ जगत: डॉलर के मुकाबले 12 महीने के निचले स्तर पर रुपया और निफ्टी में उतार-चढ़ाव भरा कारोबार

भारतीय रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 महीने के निचले स्तर 83.28 पर आ गया। निफ्टी में सोमवार को कारोबार उथल पुथल रहा और यह 19 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

डॉलर के मुकाबले रुपया 12 महीने के निचले स्तर पर

तेल की बढ़ती कीमतों और इजरायल-हमास युद्ध के कारण वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता के बीच भारतीय रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 महीने के निचले स्तर 83.28 पर आ गया। ट्रेडर्स के अनुसार, रुपये को भारी गिरावट से बचाने के लिए आरबीआई बाजार में डॉलर बेचने के लिए समय-समय पर हस्तक्षेप करता रहा है।

बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड लगभग 6 प्रतिशत उछलने के बाद 91 डॉलर प्रति बैरल के करीब मंडरा रहा है। उधर इज़राइल गाजा में अपने जमीनी हमले को अंजाम देने के लिए तैयार है। ऐसी आशंका है कि अमेरिका और ईरान के शामिल होने से तनाव एक व्यापक भू-राजनीतिक संकट में बदल सकता है। इससे मध्य पूर्व क्षेत्र से तेल के प्रवाह में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है।

अमेरिका पहले ही दो विमानवाहक पोत भूमध्य सागर में भेज चुका है, जबकि ईरान ने इजराइल की आलोचना करते हुए हमास के समर्थन में बयान जारी किया है। तीन महीनों में तेल की कीमतें लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गईं, जो लगभग दो दशकों में तीसरी तिमाही की सबसे बड़ी बढ़त है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण डॉलर की मांग बढ़ने से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 83 के निचले स्तर पर आ गया है।

भू-राजनीतिक तनाव के कारण निफ्टी में उतार-चढ़ाव भरा कारोबार

एचडीएफसी सिक्योरिटी के तकनीकी अनुसंधान विश्लेषक नागराज शेट्टी का कहना है कि शुक्रवार को रिकवरी दिखाने के बाद, निफ्टी में सोमवार को कारोबार उथल पुथल रहा और यह 19 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ।

लाल निशान पर खुलने के बाद बाजार में और कमजोरी में आ गई। उन्होंने कहा कि बाद में निचले स्तर से मामूली सुधार हुआ, लेकिन अंत तक यह सुधार कायम नहीं रह सका।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर का कहना है कि लगातार भू-राजनीतिक तनाव इक्विटी को प्रभावित कर रहा है। फिर भी त्यौहार के चलते बढ़ी मांग और दूसरी तिमाही के नतीजे से पहले मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांक में सौदेबाजी देखी गई।


भारतपे ने अपने स्पीकर डिवाइसेज पर विशेष वर्ल्‍ड कप फीचर पेश किया

अर्थ जगत: डॉलर के मुकाबले 12 महीने के निचले स्तर पर रुपया और निफ्टी में उतार-चढ़ाव भरा कारोबार

फिनटेक प्रमुख भारतपे ने भारतपे स्पीकर पर एक विशेष वर्ल्‍ड कप फीचर लॉन्च करने की घोषणा की है, जो इसे विश्व कप 2023 के दौरान अपने एक करोड़ से अधिक संख्‍या बल वाले व्यापारी समुदाय के लिए क्रिकेट हमसफर में बदल देगा।

भुगतान के लिए रीयल टाइम अलर्ट प्राप्त करने के अलावा, जो व्यापारी इस रोमांचक सुविधा का विकल्प चुनते हैं, वे अब बिना किसी अतिरिक्त लागत के अपने भारतपे स्पीकर पर भारत के सभी मैचों के लाइव अपडेट प्राप्त कर सकते हैं। नई शुरू की गई सुविधा के तहत एक ही मंच पर उन्‍हें खेल रही टीम के लिए वास्तविक समय के रन अपडेट, मैच परिणाम और अंतिम सारांश की जानकारी मिलेगी।

झारखंड में फूड-पिज्जा डिलीवरी ब्वॉय से लेकर ओला-उबर-रैपिडो चलाने वालों की न्यूनतम मजदूरी के लिए बन रही पॉलिसी

फूड-पिज्जा डिलीवरी या इस तरह के काम करने वालों को मिनिमम वेज हासिल हो, इसके लिए झारखंड सरकार पॉलिसी बनाने की तैयारी कर रही है। राज्य सरकार के श्रम विभाग ने इसके लिए कमेटी गठित कर दी है।

झारखंड पहला राज्य है, जिसने स्विगी-जोमैटो-ओला-उबर-रैपिडो जैसी कंपनियों के लिए कांट्रैक्ट या कमीशन पर काम करने वालों को न्यूनतम मजदूरी के दायरे में लाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। ऐसी पहल अब तक देश के किसी राज्य की सरकार ने नहीं की है।

राज्य के श्रम विभाग के अंतर्गत झारखंड राज्य न्यूनतम मजदूरी परामर्शदातृ पर्षद की ओर से गठित की गई कमेटी में श्रम आयुक्त संजीव कुमार बेसरा, न्यूनतम वेतन बोर्ड के डायरेक्टर राजेश प्रसाद, झारखंड फेडरेशन ऑफ चैंबर के अध्यक्ष किशोर मंत्री, इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय सहित सीटू, बीएमएस और एटक ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।


कोर आयात, पूंजीगत वस्तुओं के आयात में गिरावट से घरेलू मांग को लेकर चिंताएं बढ़ीं

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जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि मुख्य आयात और पूंजीगत वस्तुओं के आयात में गिरावट से घरेलू मांग के परिदृश्‍य को लेकर चिंता बढ़ गई है।रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर-तेल, गैर-स्वर्ण निर्यात और आयात में कमजोरी घरेलू और बाह्य दोनों ही स्तर पर मांग के माहौल पर चिंता पैदा करती है।

इज़रायल और ईरान के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार संबंध सीमांत हैं। इसके बावजूद युद्ध बढ़ने से मुद्रास्फीति के दबाव में पुनरुत्थान का जोखिम बढ़ जाएगा। अंततः चालू खाता घाटा (सीएडी) जीडीपी के 1.4 प्रतिशत की हमारी उम्मीद से अधिक बढ़ जाएगा।

हाल के दिनों में राजकोषीय उपाय सक्रिय रहे हैं, जिसके परिणाम स्पष्ट हैं। घरेलू स्तर पर उबले और टूटे हुए चावल के निर्यात पर हाल ही में प्रतिबंध, चावल के निर्यात आंकड़ों में परिलक्षित होता है, जो दिसंबर 2020 में 25 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58.6 करोड़ डॉलर रह गया जो दिसंबर 2020 के बाद सबसे कम है।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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