दिसंबर में थोक मूल्य मुद्रास्फीति बढ़कर 9 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंची, खाने-पीने की कीमतों में बढ़ोतरी का दिखा असर

देश की थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सात महीनों तक नेगेटिव टेरिटरी में रहने के बाद नवंबर में पॉजिटिव टेरिटरी में आ गई थी।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित भारत की मुद्रास्फीति दर दिसंबर 2023 में बढ़कर नौ महीने के उच्चतम स्तर 0.73 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो नवंबर में 0.26 थी। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से ये जानकारी सामने आई है।

देश की थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सात महीनों तक नेगेटिव टेरिटरी में रहने के बाद नवंबर में पॉजिटिव टेरिटरी में आ गई थी।

वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि दिसंबर 2023 में मुद्रास्फीति की दर मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं, मशीनरी और उपकरण, अन्य विनिर्माण, अन्य परिवहन उपकरण और कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑप्टिकल उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के कारण है।

थोक खाद्य कीमतों में 9.38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि ईंधन की कीमतों में (-) 2.14 प्रतिशत की गिरावट आई है।


इसी महीने जारी खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों में दिसंबर में 5.69 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी, जो नवंबर में 5.55 प्रतिशत थी। उच्च खाद्य कीमतों के चलते घरेलू बजट बढ़ गया है।

खाद्य मुद्रास्फीति कुल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) का लगभग आधा हिस्सा है। यह नवंबर में 8.657 प्रतिशत से बढ़कर 9.05 प्रतिशत हो गई। महीने के दौरान सब्जियों, दालों, मसालों और फलों की कीमतें तेजी से बढ़ीं। हालांकि, खाना पकाने के तेल की कीमतों में गिरावट से कुछ राहत मिली।

आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर आधारित करता है।

एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च के चीफ इकोनोमिस्ट सुमन चौधरी ने कहा, “डब्ल्यूपीआई दिसंबर 23 में 0.26 प्रतिशत से दिसंबर 23 में 0.73 प्रतिशत पर स्थिर बना हुआ है। यह वार्षिक वृद्धि आधार कारक के कारण है।

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