बिहार चुनाव: अंतिम चरण का मतदान कल, इसमें जिसे मिली बढ़त, उसकी सत्ता की राह होगी आसान

माना जा रहा है कि इस चरण में जिस गठबंधन को बढ़त मिलेगी, राज्य की सत्ता हासिल करने की दौड़ में उसकी राह आसान होगी। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल इस चरण की अधिक से अधिक सीटें हासिल करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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मनोज पाठक, IANS

बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में राज्य के 15 जिलों की 78 विधानसभा सीटों के लिए शनिवार को वोट डाले जाएंगे। माना जा रहा है कि इस चरण में जिस गठबंधन को बढ़त मिलेगी, राज्य की सत्ता हासिल करने की दौड़ में उसकी राह आसान होगी। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल इस चरण की अधिक से अधिक सीटें हासिल करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं।

तीसरे और आखिरी चरण के इस चुनाव में सत्ताधरी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से जेडीयू ने 37, बीजेपी ने 35, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने पांच और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने एक प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं। वहीं विरोधी दलों के महागठबंधन से आरजेडी ने सबसे अधिक 46, कांग्रेस ने 25 और सीपीआई (एमएल) ने 5, सीपीआई ने 2 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। इसके अलावा लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने भी 42 प्रत्याशी उतारे हैं।

इन मुख्य दलों के अलावा उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) ने ओवैसी की एआईएमआईएम और कई अन्य दलों से गठबंधन कर सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। वहीं, पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर का गठबंधन भी इस चरण में चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहा है। हालांकि, मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच ही दिख रहा है।

बिहार की राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार गिरिन्द्र नाथ झा कहते हैं कि इस चरण में वोटों का बिखराव होता दिख रहा है। उन्होंने कहा कि सीमांचल के क्षेत्र में एआईएमआईएम के उतर जाने और कई दलों द्वारा मुस्लिम उम्मीदवारों के उतारे जाने के बाद मुस्लिम मतदाताओं में भी बिखराव तय है।

गिरिन्द्र नाथ झा के अनुसार, "मधेपुरा के पूर्व सांसद पप्पू यादव और एआईएमआईएम कुछ क्षेत्रों में दोनों गठबंधनों को प्रभावित करते नजर आ रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि कोई भी पार्टी किसी खास जाति के मतदाता पर अपना दावा कर सके।" झा का मानना है कि मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधनों में ही है, लेकिन मधेपुरा समेत यादव बहुल क्षेत्रों में जन अधिकार पार्टी तो कुछ इलाकों में एलजेपी और आरएलएसपी मुकाबले को त्रिकोणात्मक या बहुकोणीय बना रही है।

पिछले विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से सबसे अधिक 24 सीटें जेडीयू के खाते में गई थीं। पिछले चुनाव में जेडीयू, आरजेडी के साथ थी। इस बार जेडीयू, बीजेपी के साथ है। पिछले चुनाव में बीजेपी के 19 और आरजेडी के 20 और कांग्रेस के 10 प्रत्याशियों ने विजयी पताका फहराया था। इसके अलावा सीपीआईएमएल को एक सीट और चार अन्य के हिस्से आई थीं।

राजनीति के एक और जानकार रामेश्वर प्रसाद की राय अलग है। उन्होंने दावा किया है कि जिन 78 सीटों पर मतदान होना है, वहां मतदाताओं के ध्रुवीकरण का भी प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और जेडीयू के साथ रहने के बावजूद भी जेडीयू को मुस्लिम मतदाताओं का वोट मिलता रहा है। ऐसे में इस बार भी जेडीयू के लिए इस क्षेत्र में बहुत खराब स्थिति नहीं दिख रही है।

रामेश्वर प्रसाद कहते हैं, "इस चरण में मिथिलांचल का इलाका है तो कोसी और सीमांचल का भी इलाका है। मिथिलांचल में बीजेपी मजबूत रही है, तो सीमांचल में मुस्लिम मतदाता चुनाव परिणाम तय करते हैं। एआईएमआईएम के मैदान में आने के बाद और मुस्लिम लीग और कई राजनीतिक दलों द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने से महागठबंधन को नुकसान हो सकता है, जबकि जेडीयू प्रत्याशी के सामने एलजेपी के प्रत्याशी उतारे जाने से एनडीए को नुकसान उठाना पड़ सकता है।"

बता दें कि इस चरण के मतदान के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा कई केन्द्रीय मंत्री मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए चुनावी सभाएं कर चुके हैं। जबकि आरजेडी के लिए तेजस्वी यादव ने कड़ी मेहनत की है। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी कई सभा कर चुके हैं।

गौरतलब है कि इस बार का बिहार विधानसभा चुनाव तीन चरणों में हो रहा है, जिसके तहत प्रथम चरण में 28 अक्टूबर को 71 सीटों और दूसरे चरण में 3 नवंबर को 94 सीटों पर मतदान हो चुका है। अब 7 नवंबर को आखिरी चरण के लिए 78 सीटों पर वोट डाले जाएंगे, जिसमें प्रदेश के 2 करोड़ 35 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर 1,204 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे, जिनमें 1094 पुरूष और 110 महिलाएं हैं। इस चरण के के लिए 33,782 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। मतदान के बाद वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी।

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