यूपी चुनावः बलिया के मुश्किल पिच पर जूझ रहे योगी के खेल मंत्री, सपा के दो धुरंधरों के मिलन ने छुड़ाया पसीना

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अंबिका चौधरी के सपा में आने से बीजेपी की राह आसान नहीं रही। हर बार संग्राम यादव और अंबिका चौधरी आमने-सामने होते थे, जिसका लाभ उपेंद्र तिवारी को मिलता था। लेकिन इस बार दोंनों एक हो गए हैं, जिससे तिवारी के सामने कड़ी चुनौती है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पूर्वी यूपी के सबसे अंतिम जिले बलिया की फेफना सीट पर भाजपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। यहां तीसरी बार विधायक बनने के लिए बीजेपी के उपेन्द्र तिवारी को सपा में संग्राम सिंह यादव और पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी के एक होने से कड़ी चुनौती मिल रही है। यहां बसपा भी खाता खोलने की बेताबी में है। कांग्रेस भी सीट के लिए जद्दोजहद कर रही है।

इस सीट पर सपा के पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। वह 1993 में इस सीट से विधानसभा पहुंचे थे। उसके बाद 1996, 2002 और 2007 में भी विधायक रहे। पिछले चुनाव में सपा से अनबन होने पर उन्होंने बसपा से चुनाव लड़ा था जबकि तब संग्राम सिंह यादव सपा से थे। दो स्वजातीय टकराव का लाभ उपेंद्र को मिला। जिला पंचायत चुनाव के बाद वह दोबारा सपा में आ गए। अब वह संग्राम सिंह यादव के पक्ष में वोट मांग रहे हैं। यहां बसपा से कमलदेव सिंह यादव और कांग्रेस से जैनेंद्र पांडेय मैदान में हैं।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अंबिका चौधरी के सपा में आ जाने से बीजेपी की राह आसान नहीं होगी। हर बार संग्राम यादव और अंबिका चौधरी आमने-सामने होते थे, जिसका फायदा उपेंद्र तिवारी को मिल जाता था। लेकिन इस बार दोंनों एक ही पार्टी में है। ऐसे में तिवारी के सामने कड़ी चुनौती है। इस सीट पर गेंद किसके पाले में होगी, यह तो वक्त बताएगा लेकिन मुकाबला रोमांचक स्थिति पर पहुंच गया है।

फेफना बजार के रास्तों पर कई जगह बात करने पर योगी बनाम अखिलेश के चुनाव की चर्चा हो रही थी। लेकिन इसमें सबसे भारी राशन ही दिख रहा था। बाजार में आयी रामकली ने साफ कहा कि अभी गांव में बहुत से काम होने बांकी हैं, लेकिन हमें दो बार राशन मिला है। इसमें काफी संतोष है। सरकार बनेगी तो आगे भी मिलने का वादा हो रहा है।


जूते-चप्पल के दुकानदार मनोज गुप्ता कहते हैं कि फेफना में बेशक रोड बन गयी हो, लेकिन यहां पर नाली न बनना सबसे बड़ी समस्या है। इससे ग्राहकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पूरा पानी रोड में भर जाता है। गांव के आस-पास भी कुछ काम तो हुए हैं। हम लोग भी योगी और मोदी के नाम पर ही वोट करेंगे। क्योंकि देश की तरक्की चाहिए।

फेफना बाजार में पहुंचने पर चौराहे होटल में चुनाव की चर्चा हो रही थी। वहां बैठे राधेश्याम, नारायण सिंह और राजकुमार ने पांच मिनट में पूरे विधानसभा क्षेत्र का अपना सर्वे बता दिया। उन्होंने कहा कि जातीय आधार पर भाजपा और सपा के वोटरों की संख्या बराबर है। अनुसूचित जाति के मतदाता किधर जाएंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।

राजेन्द्र यादव कहते हैं कि मंहगाई बड़ा मुद्दा है। यहां पर पुलिस ने बड़ी मनमानी की है। जिसकी लाठी उसकी भैंस के आधार पर काम कर रही है। इस बार बदलाव होना जरूरी है। कम से कम पुलिस की मनमानी से बच सकेंगे। दुर्गेश गिरी कहते हैं कि समय के हिसाब से विकास भी हो रहा है। युवाओं को रोजगार लेना पड़ेगा। सरकार भी वापसी करेगी। क्योंकि इन लोगों का मैनजेमेंट ठीक है। हालांकि यहां पर मेडीकल कालेज और इंजीनियरिंग कालेज की बड़ी जरूरत है क्योंकि पढ़ने के लिए बनारस और लखनऊ जाना पड़ता है।


उधर, सिंहपुर-कचीर्पुरवा में लोगों ने चुनाव का बहिष्कार कर रखा है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक क्रासिंग नहीं बनेगी, तब तक मतदान नहीं किया जाएगा। सिंहपुर के किसान हरिनाथ कहते हैं कि करीब एक दर्जन गांव इस बार चुनाव में भाग नहीं लेंगे क्योंकि यहां पर रेलवे क्रासिंग न बनने से बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। डीएम और अन्य अधिकारियों को हम लिखित में दे चुके हैं, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। पहले यहां पर मानव रहित क्रासिंग थी जो 2016 में बंद कर दी गयी है। जिससे हमें आठ से दस किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। अगर अस्पताल जाना हो या बच्चियों को स्कूल जाना हो तो काफी परेशानी उठानी पड़ती है। जब क्रासिंग नहीं, तो वोट नहीं देंगे।

वहीं यहां कड़ी चुनौती से जूझ रहे बीजेपी प्रत्याशी उपेन्द्र तिवारी कहते हैं कि फेफना में कोई चुनौती नहीं है। जो हर बार खिलाफ लड़ते थे, वह फिर मैदान में हैं। हमने इस क्षेत्र में काफी विकास किया है। चुनाव के समय आने वाले नेताओं की जनता विदाई करके भेज देती है।

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