सिनेजीवन: कार्तिक आर्यन की 'तू मेरी मैं तेरा' की पहले दिन दमदार कमाई और सुभाष घई की पसंदीदा फिल्म है 'ब्लैक एंड व्हाइट'
क्रिसमस के मौके पर सिनेमाघरों में आई फिल्म 'तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी' ने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। फिल्म निर्माता-निर्देशक सुभाष घई ने अपनी साल 2008 की फिल्म 'ब्लैक एंड व्हाइट' को लेकर दिल की बात कही है।

कार्तिक आर्यन की 'तू मेरी मैं तेरा' की पहले दिन दमदार कमाई, ओपनिंग कलेक्शन के मामले में कई फिल्मों को छोड़ा पीछे
क्रिसमस के मौके पर सिनेमाघरों में कार्तिक आर्यन और अनन्या पांडे की नई रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'तू मेरी मैं तेरा, मैं तेरा तू मेरी' ने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। हर साल क्रिसमस पर कई बड़ी फिल्में रिलीज होती हैं, लेकिन वही फिल्में ही टिक पाती हैं, जो कहानी और अभिनय के दम पर दर्शकों से जुड़ पाती हैं।
यही वजह है कि सीमित स्क्रीन होने के बावजूद भी फिल्म ने पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर करीब 8.46 करोड़ की कमाई दर्ज की, जिसके चलते यह कार्तिक के करियर की टॉप ओपनिंग डे कलेक्शन्स में शामिल हो गई है।
बॉक्स ऑफिस पर धर्मा प्रोडक्शंस की रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'तू मेरी मैं तेरा मैं तेरा तू मेरी' का मुकाबला आदित्य धर की फिल्म 'धुरंधर' और हॉलीवुड की मेगा ब्लॉकबस्टर 'अवतार: फायर एंड ऐश' से हुआ। सैकनिल्क के मुताबिक, फिल्म ने पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर 8.46 करोड़ रुपए का शानदार कलेक्शन किया। ऐसे में मेकर्स वीकेंड में मूवी की कमाई और बढ़ने की उम्मीद जता रहे हैं।
सुभाष घई की पसंदीदा फिल्म है 'ब्लैक एंड व्हाइट', निर्देशक ने बताई मजेदार वजह

फिल्म निर्माता-निर्देशक सुभाष घई ने अपनी साल 2008 की फिल्म 'ब्लैक एंड व्हाइट' को लेकर दिल की बात कही है। सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उन्होंने फिल्म को अपनी पसंदीदा बताया। सुभाष घई ने मजेदार अंदाज में बताया कि यह फिल्म उनकी पसंदीदा क्यों है?
सुभाष घई ने हल्के-फुल्के अंदाज में खुलासा किया कि यह फिल्म उनकी पसंदीदा इसलिए है क्योंकि यह उनकी पारंपरिक 'सुभाष घई स्टाइल' वाली फिल्म नहीं है। उन्होंने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा कि रिलीज के समय आम दर्शकों को यही लगा, वहीं काफी लोगों को इसका कंटेंट बेहद पसंद आया। कई बड़े निर्देशकों ने फोन कर तारीफ की, जो उनके लिए बड़ी उपलब्धि थी।
सुभाष घई ने पोस्ट में लिखा, "यह सुभाष घई टाइप की फिल्म नहीं है। फिल्म रिलीज के समय मास ऑडियंस का पहला रिएक्शन यही था कि यह सुभाष घई की सामान्य फिल्मों जैसी नहीं लग रही। हालांकि, क्लास ऑडियंस को फिल्म और उसका कंटेंट बहुत पसंद आया, क्योंकि यह साल 2008 में बनी एक रियल लाइफ पर आधारित फिल्म थी।"
'हैवान' की एक्ट्रेस सैयामी खेर ने बताया अक्षय और सैफ अली संग काम करने का अनुभव

'घूमर', 'मिर्ज्या' और 'जाट' जैसी फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री सैयामी खेर ने अपकमिंग फिल्म 'हैवान' की शूटिंग पूरी कर ली है। फिल्म 'हैवान' में अभिनेत्री के साथ सैफ अली खान और अक्षय कुमार नजर आने वाले हैं।
अभिनेत्री ने निर्देशक और स्क्रीनप्ले राइटर प्रियदर्शन के साथ काम करने का एक्सपीरियंस शेयर किया है। उनका कहना है कि प्रियदर्शन के साथ काम करने से उन्हें काम में स्पष्टता के बारे में सीखने को मिला।
सैयामी ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि, “प्रियदर्शन की 'हैवान' ने मुझे कई नए अनुभव दिए हैं। यह प्रियदर्शन सर, अक्षय सर और सैफ सर के साथ मेरी पहली फिल्म है। इस शैली में भी यह मेरा पहला अनुभव है। इसलिए मैं इस फिल्म का हिस्सा बनकर बेहद एक्साइटेड हूं।”
उन्होंने कहा, “प्रियदर्शन सर के साथ काम करना स्पष्टता का एक बेहतरीन अनुभव था। 99 फिल्मों का निर्देशन कर चुके प्रियदर्शन का अनुभव सेट पर एक अलग ही शांति और सटीकता लाता है। किसी ऐसे व्यक्ति को देखना अद्भुत है जो ये जानते हैं कि हर दिन उसे कैसे काम करना है।
मिलिंद सोमन ने बताया कैसे तकनीक बदल रही है शहरों में जीवनशैली और लोगों की सेहत

आज के समय में तकनीक ने हमारी जिंदगी को बहुत आसान बना दिया है। हम एक क्लिक पर काम कर सकते हैं, जानकारी पा सकते हैं, और फोन पर ही मनोरंजन पा सकते हैं, लेकिन यह भी सच है कि इसी तकनीक ने लोगों की जीवनशैली को काफी बदल दिया है। इस बदलाव के कारण शारीरिक गतिविधि में कमी आई है और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है।
इस विषय पर फिटनेस आइकन और अभिनेता-मॉडल मिलिंद सोमन ने आईएएनएस से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे आधुनिक डिजिटल जीवन ने शहरों में रहने वालों को आलसी बना दिया है और स्वस्थ रहने की उनकी आदतों को प्रभावित किया है।
आईएएनएस से बात करते हुए मिलिंद सोमन ने कहा, ''लोग अब ज्यादातर फोन, कंप्यूटर और अन्य डिजिटल डिवाइसों पर निर्भर हो गए हैं। पहले लोग पैदल चलते, साइकिल चलाते और हाथ से काम करते थे, लेकिन अब ज्यादातर काम डिजिटली हो जाते हैं। इसका सीधा असर यह होता है कि लोग शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो रहे हैं।''
मिलिंद ने ग्रामीण जीवन और शहरी जीवनशैली की तुलना करते हुए कहा कि गांवों में लोग अब भी पैदल चलते हैं, साइकिल चलाते हैं, और मेहनत करते हैं, इसलिए उनकी सेहत और फिटनेस बेहतर रहती है, लेकिन शहरों में लोग शारीरिक मेहनत बहुत कम करते हैं, क्योंकि अधिकांश काम कंप्यूटर और मोबाइल पर हो रहे हैं।''
'मैं कभी नहीं भूल सकती', सहर बंबा ने साझा किए बीते 25 सालों में पांच सबसे यादगार पल

सिनेमा की दुनिया में जब भी किसी कलाकार के नाम का जिक्र होता है, तो दर्शक उन्हें उनके सफर और अनुभवों से याद करते हैं। इस कड़ी में फिल्म 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' की एक्ट्रेस सहर बंबा ने आईएएनएस से खास बातचीत में बताया कि 2000 से 2025 तक उनके जीवन के पांच सबसे यादगार पल कौन-कौन से रहे।
सहर ने कहा कि सबसे यादगार पलों की शुरुआत उस दिन से होती है जब उन्होंने फिल्म 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' के ट्रेलर लॉन्च पर शाहरुख खान के साथ स्टेज साझा किया और उनके साथ डांस किया। सहर ने कहा, "यह सिर्फ एक फैन मोमेंट नहीं था, बल्कि एक जरिया था यह याद दिलाने का कि मुझे सिनेमा से प्यार क्यों हुआ था। यह पल मेरे लिए सपना सच होने जैसा था, जिसे मैं कभी नहीं भूल सकती।"
दूसरे सबसे यादगार पल के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, "मेरे लिए दूसरा सबसे यादगार पल वह था जब मुझे आर्यन खान ने खुद कॉल करके बताया कि वह शो का हिस्सा बन गई हैं। इस कॉल ने मेरी जिंदगी बदल दी। मुझे उस वक्त एहसास हुआ कि मैं किसी बड़े प्रोजेक्ट के लिए चुनी गई हूं। यह कॉल उनके मुझपर भरोसा किए जाने के बारे में था।"
सहर ने बताया, ''तीसरा यादगार पल था, जब मैंने पहली बार लीड एक्ट्रेस के तौर पर सेट पर कदम रखा। उस समय मुझे कोई बाहरीपन महसूस नहीं हुआ, ऐसा लगा जैसे मेरा सेट से कोई खास जुड़ाव हैं। मैं कहानी को पूरी तरह से निभाने और पेशेवर रूप से काम करने के लिए तैयार थी। यह एहसास मेरे आत्मविश्वास और पेशेवर दृष्टिकोण के लिए बहुत महत्वपूर्ण था।''
चौथे सबसे खास पल की बात करते हुए उन्होंने कहा, "चौथा खास पल परिवार से जुड़ा हुआ है। अपने परिवार का अपने ऊपर गर्व देखकर मैं इमोशनल हो गई थी। जब परिवार के सदस्यों ने मेरी मेहनत और सफर को देखा, तो वह मुझ पर गर्वित हुए। मेरा परिवार हमेशा सबसे बड़ा सहारा और प्रेरणा रहा है।"
पांचवां और आखिरी महत्वपूर्ण पल था सहर के लिए एक कलाकार के रूप में अपनी पहचान पाना। उन्होंने कहा, "मैंने एक कलाकार के रूप में अपनी पहचान मजबूत की है। कब 'ना' कहना है, धैर्य रखना है, और समय पर भरोसा करना है, यह मैंने सीख लिया है। यह अंदरूनी बदलाव मेरे लिए किसी बाहरी सफलता जितना ही महत्वपूर्ण है।"
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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