रणवीर के न्यूड फोटो पर हंगामा है क्यों बरपा! देश में चल रही 'संस्कारी' लहर का नतीजा है हाय-तौबा

पहली बार तो किसी सेलेब्रेटी का न्यूड फोटो शूट हुआ नहीं है! एक मैगजीन के ऐसे फोटो शूट और इंस्टाग्राम तस्वीरों पर आखिर इतनी हाय-तौबा क्यों, जिन्हें कोई चाहेगा तभी देखेगा? अब यह आपकी मर्जी है कि इन्हें देखें या नहीं!

फोटोः सोशल मीडिया
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नम्रता जोशी

कपड़े उतारो, देह दिखाओ, हंगामा मचने दो, सबका ध्यान खींचो और चलते बनो। इस पूरे मामले में हंगामे का सिरा ऐसी ही किसी परिणति की ओर जाता दिखाई दिया है। मुंबई पुलिस ने रणवीर सिंह के खिलाफ न्यूयॉर्क की मैगजीन के लिए न्यूड फोटो शूट का मामला दर्ज किया। रणवीर ने ये तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की थीं जिसने इंटरनेट की दुनिया में आग ही लगा दी। चेंबूर पुलिस ने एक एनजीओ और एक वकील की शिकायत पर मामला दर्ज किया है। एनजीओ के साथ ही महिला वकील और पूर्व पत्रकार वेदिका चौबे ने रणवीर पर महिलाओं की भावनाओं और गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है।

मैगजीन इससे पहले किम कार्दशियन, कान्ये वेस्ट, माइली साइरस, जाय मलिक, कैटी पैरी और अन्य कई लोगों के फोटो शूट कर चुकी है और इस ताजा फोटो शूट को ग्लैमर की दुनिया में रणवीर सिंह की वैश्विक पहचान का बड़़ा जरिया माना जा रहा था। आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि आलिया भट्ट और प्रियंका चोपड़़ा जैसे दिग्गज साथी कलाकार खुलकर और पूरी एकजुटता के साथ उनके साथ खड़े द़िखाई दिए हैं। लेकिन भूलना नहीं चाहिए कि हर प्रसिद्धि का दूसरा पहलू भी होता है और इस मामले में भी कुछ लोगों को उनके सामने कुल्हाड़़ी लेकर खड़़े होना ही था। इन्हें उनके पिछवाड़़े पर फोकस करना ही था। इसने न केवल चैनलों पर गर्मा-गरम चर्चाओं का मौका दिया, सोशल मीडिया की दुनिया में ‘बट-बॉटम-बैकसाइड’ जोक्स की भरमार ही ला दी है। पॉप म्यूजिक का जाना- पहचाना नाम, कंपोजर यशराज मुखाटे तो अपना एक रैप ‘वी कैन सी हिज बम’ ही लेकर आ गए।

अब एफआईआर करने और दर्ज करने वालों की समझदारी पर क्या ही कहा जाए! यह किसी भी तर्क के परे है। तस्वीरें अश्लील हैं, आपत्तिजनक हैं या क्या हैं, इन पर आपका कोई तर्क है क्या? क्या रणवीर सार्वजनिक तौर पर कपड़े उतार कर आ गए कि सभी को उन्हें इस हालत में देखने को मजबूर होना पड़ा? एक मैगजीन के ऐसे फोटो शूट और इंस्टाग्राम तस्वीरों पर आखिर इतनी हाय-तौबा क्यों जिन्हें कोई चाहेगा तभी देखेगा? अब यह आपकी मर्जी है कि इन्हें देखें या नहीं!

यह पहली बार तो नहीं हुआ है जब किसी सेलेब्रेटी का न्यूड फोटो शूट हुआ हो। रणवीर से कुछ ही दिन पहले दक्षिण के स्टार विजय देवरकोंडा को गुलाबों के गुच्छे के पीछे जिस तरह पेश किया गया था, वह क्या था? यह उनकी आने वाली फिल्म ‘लाइगर’ का प्रचार था जिसमें पूरी तरह निर्वस्त्र विजय के शरीर पर गुलाबों का गुच्छा ही है जो उनकी नग्नता को ढंके है। और उस फोटो का क्या जो राहुल खन्ना ने अपने ट्विटर हैंडल पर लगाई जिसमें वह सिर्फ मोजे पहने हैं और बाकी का शरीर ढंकने के लिए उनके हाथ में महज एक छोटा सा कुशन है।


रणवीर के इस ताजा फोटो शूट से उत्साहित इंस्टाग्राम ने तो सत्तर के दशक के चर्चित खलनायक रंजीत से लेकर तमाम फिल्मी कलाकारों के न्यूड-सेमी न्यूड फोटो खंगाल डाले। जैकी श्रॉफ, कबीर बेदी, शक्ति कपूर, अनिल कपूर, आदित्य पंचोली, डैनी डेंजोगपा, नसीरुद्दीन शाह और यहां तक कि मौजूदा शासन व्यवस्था के लाडले अक्षय कुमार तक इसमें शामिल हैं।

थोड़ा पीछे चलें तो 1995 में मिलिन्द सोमण और मधु सप्रे का जूते के एक फेमस ब्रांड के लिए किया गया फोटो शूट तो सभी को याद होगा। उससे भी पहले सत्तर के दशक में चलें जब तब की प्रसिद्ध ओडीसी डांसर और मॉडल प्रोतिमा बेदी ने फिल्म पत्रिका सिने ब्लिट्स की लॉन्चिंग के लिए जूहू बीच पर निर्वस्त्र दौड़ते हुए फोटो खिंचवाई थी। पत्रिका तो हॉट केक की तरह बिकी लेकिन बैकफुट पर आई प्रोतिमा को सफाई देनी पड़ी कि वह तस्वीर तो गोवा के एक न्यूडिस्ट कैम्प की थी। लेकिन उससे क्या?

हाल के ऐसे दौर में जब हमें बार-बार संस्कारों की दुहाई दी जा रही हो, आश्चर्य नहीं कि 2022 आते-आते हम कुछ ज्यादा ही आहत होने लगे हैं! ‘संस्कारों’ के नाम पर यह गुस्सा हमारे जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है। हम ज्यादा ही आहत होने लगे हैं? खुद के बजाय हम दूसरों के कंधे पर बंदूक रखकर साधने लगे हैं जो ज्यादा चौंकाने वाला है।

कौन-सी बात है जिसने हमें दूसरों के लिए नानी अम्मा या नैतिक पुलिस बना दिया है? इतना तो नानी अम्मा भी नहीं टोकती थीं! आपको किसने यह अधिकार दिया कि आप हमारी शालीनता और शील को ठेस पहुंचने, न पहुंचने की ठेकेदारी ले लें, वह भी तब जबकि हमें इस सबसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता हो! समाज को उपदेश देने का इधर जो दौर चल पड़ा है, रणवीर सिंह की तस्वीरों पर आई प्रतिक्रियाएं उसी बीमारी का नतीजा हैं। हम धार्मिकता और धर्मपरायणता की महामारी के लपेटे में लिए जा चुके हैं।


जैसा कि अपेक्षित था, यह पुरुष हैं जो महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा परेशान हैं। ऐसे ही कुछ मर्दों की भीड़ ने महिलाओं के शील की रक्षा खातिर इंदौर में रणवीर के लिए प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर कपड़़े इकट्ठे किए। विडंबना है कि उस भीड़ में एक भी महिला मौजूद नहीं थी। ऐसे में यही उम्मीद की जा सकती है कि जो कपड़े उन्होंने इकट्ठे किए होंगे, उन्हें वे जरूरतमंदों और निराश्रितों के लिए इस्तेमाल में लाएंगे जो शायद इसका बेहतर उपयोग होगा।

ऐसे मामले, इस तरह के विरोध दरअसल खुद को सुर्खियों में बनाए रखने की बेशर्म बेताबी के अलावा और कुछ नहीं है। हालांकि खुद को सुर्खियों में लाने की ऐसी कोशिशें इन स्टार्स को ही ज्यादा सुर्खियां देती हैं। इससे पुलिस और न्यायपालिका का समय भी बर्बाद होता है जबकि इन संस्थाओं के पास पहले से ही बहुत सारे जरूरी काम हैं। और सिर्फ उन्हें ही क्यों, जब नतीजों पर बहस की बात आती है तब मीडिया भी विचार शून्य दिखाई देता है। रणवीर का पिछवाड़ा आखिरकार तो सबकी नजरों में आ ही गया।

सच कहूं तो ऐसी अजीबोगरीब, असहज प्रतिक्रियाएं देखकर हंसी ही ज्यादा आ रही थी जब सोशल मीडिया रणवीर के पिछवाड़े को लेकर मूर्खतापूर्ण मीम्स और रील्स की बाढ़ से अट गया था। इसने हमारे अंदर बैठे जोकर को बाहर ला दिया है। यह किसी सितारे का मजाक उड़ाना नहीं है, यह इस तरह हाय-तौबा मचाने वाले लोगों का मजाक है जो बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तर्ज पर कभी भी, कहीं भी, कुछ भी चालू हो जाते हैं।

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