उत्तराखंड : संघ के विद्या मंदिरों में सरकारी स्कूलों के विलय की तैयारी
बीजेपी शासित उत्तराखंड में सरकार ने राज्य के करीब तीन हजार सरकारी स्कूलों को आरएसएस के सरस्वती शिशु मंदिरों और विद्या मंदिरों से जोड़ने की योजना बना ली है।
![सरस्वती विद्या मंदिर में संघ की शाखा में हिस्सा लेते बच्चे](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2017-09%2F7b5023c7-aea2-4a3c-b260-3c4445367122%2FSARSWATI5.jpg?rect=100%2C0%2C956%2C538&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार देश को आरएसएस की विचारधारा के तहत देश की शिक्षण संस्थाओं के भगवाकरण पर तुली हुई है। संघ की इसी सोच को बीजेपी शासित राज्य सरकारें भी पूरी मुस्तैदी के साथ लागू करने के अभियान में जुट गई हैं। इन राज्यों में न सिर्फ पाठ्यक्रम बदले जा रहे हैं, बल्कि इतिहास के नाम पर ऐसी कहानियां किताबों में शामिल की जा रही हैं जो सरासर झूठी हैं।
इसी तरह की कोशिश बीजेपी शासित उत्तराखंड में भी शुरु हो गई है। यहां सरकार ने राज्य के करीब तीन हजार सरकारी स्कूलों को आरएसएस के सरस्वती शिशु मंदिरों और विद्या मंदिरों से जोड़ने की योजना बना ली है। एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने न सिर्फ 3000 सरकारी स्कूलों को बंद करने का आदेश दे दिया है, बल्कि आरएसएस के साए में चलने वाले सरस्वती शिशु मंदिरों और विद्या मंदिरों को आर्थिक मदद देने का फैसला किया है। उनका इरादा सरकारी स्कूलों से निकले बच्चों को संघ संचालित इन शिशु मंदिरों में भेजने का है ताकि मासूम जहनों को हिंदुत्व और कथित राष्ट्रवाद सिखाया जा सके।
![उत्तराखंड : संघ के विद्या मंदिरों में सरकारी स्कूलों के विलय की तैयारी](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2017-09%2F8a414db8-6fbf-41ba-97eb-02b681436169%2Fsarswati1.jpg?auto=format%2Ccompress)
यह तथ्य सर्वविदित है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आरएसएस से गहरे रिश्ते रहे हैं। यही कारण है कि वे न सिर्फ आरएसएस की विचारधारा का पालन करते हैं बल्कि उसके एजेंडे को बढ़ावा देने का काम भी करते हैं। इसी एजेंडे के तहत सरकारी स्कूलों को बंद करने और उनके सरस्वती शिशु मंदिरों में विलय करने का काम किया जा रहा है।
इस योजना के तहत 15 सितंबर को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने दस से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक और जूनियर स्कूलों को विलय करने का आदेश जारी किया। एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक ऐसे स्कूलों की संख्या उत्तराखंड में करीब 3000 है। इस आदेश पर राज्य के शिक्षा सचिव चंद्रशेखर भट्ट ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। स्कूलों के विलय पर जो आदेश आया है उसके तहत एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले प्राथमिक स्कूलों को आपस में मिला दिया जाएगा। इसी तरह, तीन किलोमीटर की दूरी पर जूनियर हाई स्कूलों का विलय कर दिया जाएगा।
![उत्तराखंड : संघ के विद्या मंदिरों में सरकारी स्कूलों के विलय की तैयारी](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2017-09%2Fe2522a38-82b8-4ae0-90ea-7390f527b214%2Fsarswati4.jpg?auto=format%2Ccompress)
एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक 25 अगस्त 2017 को स्कूल शिक्षा निदेशक ने राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से उनके इलाकों में चल रहे स्कूलों की रिपोर्ट तलब की। इसी रिपोर्ट से जब यह सामने आया कि किस क्षेत्र में कितने 'सरस्वती शिशु मंदिर' और 'विद्या मंदिर' हैं। उत्तराखंड के बीजेपी सांसदों और विधायकों ने अपने कोष से सरकारी स्कूलों को मदद देने के बजाय आरएसएस से जुड़े 'विद्या मंदिर' और 'शिशु मंदिर' को आर्थिक मदद शुरु कर दी है। इससे पता चलता है कि दरअसल उत्तराखंड सरकार का ध्यान आम शिक्षा नहीं, बल्कि ऐसी शिक्षा पर है जो हिंदुत्व और भगवा एजेंडे पर आधारित है।
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