गुजरात में बसे उत्तर भारतीयों का संकल्प, हर हाल में हराएंगे बीजेपी को

सूरत में बीजेपी को उत्तर भारतीयों के कड़े राजनीतिक आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। सूरत में करीब 10 लाख के करीब उत्तर भारतीय बसते हैं और 5 विधानसभा क्षेत्रों में उनका वोट निर्णायक माना जाता है।

फोटो: सोशल मीडिया
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भाषा सिंह

सूरत में बीजेपी को तमाम तबकों के विरोध के साथ-साथ उत्तर भारतीयों के कड़े राजनीतिक आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। सूरत में करीब 10 लाख के करीब उत्तर भारतीय बसते हैं और 5 विधानसभा क्षेत्रों में उनका वोट निर्णायक माना जाता है। इसलिए उन्हें बीजेपी के पाले में खींचने के मकसद से उग्र हिंदुत्व के प्रतीक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस चुनावी मौसम में तीसरी बार सूरत में सभा आने वाले थे। वे पहले चरण के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अंतिम सभा के लिए माहौल बनाने के लिए पहुंचने वाले थे। शुरू में यह खबर आई कि वे उत्तर प्रदेश के नवनिर्वाचित 14 मेयर के साथ प्रेस कांफ्रेंस करेंगे, लेकिन बाद में किसी वजह से उनकी जगह उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष महेन्द्र पांडे ने उन 14 मेयर के साथ मीडिया से बात की।

सूरत में बीजेपी से उत्तर भारतीयों का मोहभंग बहुत तगड़ा है और बहुत खुलकर है। सूरत और इसके आसपास भरूच आदि इलाकों में उत्तर भारतीयों के आक्रोश के केंद्र के रूप में रेल संघर्ष समिति उभरी है। इसने चौरासी विधानसभा क्षेत्र से अजय चौधरी को खड़ा किया है। बुनियादी रूप से बिहार के रहने वाले अजय चौधरी पहले बीजेपी में ही थे और यहां उत्तर भारतीयों को बीजेपी के साथ जोड़ने का काम करते थे। लेकिन इस बार उन्होंने उत्तर भारतीयों की मांगों, खासतौर से ट्रेन शुरू करने की मांग की अनदेखी पर बीजेपी से विद्रोह कर दिया। उन्होंने बताया, “हम पिछले कई सालों से सूरत से उत्तर भारत के बीच दो-तीन ट्रेन चलाने की मांग करते रहे हैं। यहां अभी एक ही ट्रेन है -ताप्ति गंगा और यहां सिर्फ पूर्वांचल के एक लाख से ज्यादा लोग हैं। पहले जब कांग्रेस की केंद्र में सरकार थी तो हमारे साथ बीजेपी ने भी ट्रेन की मांग को लेकर बहुत आंदोलन किए, लेकिन मोदी की सरकार बनने के बाद इसकी कोई सुध नहीं ली गई। फिर भी हम शांत रहे, लेकिन इस चुनाव में उन्होंने हमें सीट देने का वादा किया, वह भी नहीं निभाया गया। इसे तो हम बर्दाश्त नहीं कर सकते। अब हम यहां से उत्तर भारतीयों के सम्मान के लिए जीतेंगे और बाकी जगह बीजेपी का खेल बिगाड़ेंगे।”

‘रेल नहीं तो चैन नहीं’ का नारा देने वाले और इलाहाबाद के रहने वाले इस संगठन के संस्थापक सदस्य यजुवेंद्र दूबे ने बताया, “हमारे गुस्से की वजह से ही बीजेपी को योगी आदित्यनाथ से लेकर गृह मंत्री राजनाथ सिंह को सूरत में उतारना पड़ रहा है। योगी की यह तीसरी बैठक है, पहली दोनों भी फ्लॉप रही थीं, मनोज तिवारी की मीटिंग में 150 लोग भी नहीं थे, राजनाथ सिंह की सभा में 300 से भी कम लोग थे। बीजेपी ने अपना सारा जोर चौरासी और लिंबायत विधानसभा क्षेत्र में इसलिए लगाया है।”

दूबे के अनुसार, “सूरत के कम से चार-पांच विधानसभा क्षेत्रों में उत्तर भारतीय मतदाताओं की संख्या चुनाव में असर डाल सकती है। मिसाल के तौर पर, चौरासी में डेढ़ लाख उत्तर भारतीय, राजस्थानी को मिलाकर 1.94 लाख, उदना विधानसभा क्षेत्र में 35 हजार, मजुरा में 30 हजार और लिंबायत में 22 हजार वोटर उत्तर भारतीय हैं।” इस संगठन का दावा है कि सूरत और आसपास वे हार्दिक पटेल के साथ मिलकर रणनीति बना रहे हैं और भाजपा को हराने वालों के साथ जाने की तैयारी में हैं।

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Published: 06 Dec 2017, 9:46 PM