सुप्रीम कोर्ट जजों ने उठाए हैं सही मुद्दे, न्यायपालिका में ही सुलझें ये: 4 रिटायर्ड जजों की चीफ जस्टिस को चिट्ठी

सुप्रीम कोर्ट के संकट पर चार रिटायर्ड जजों ने रविवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा को एक खुला पत्र लिखा है। इन जजों ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने जो मसले उठाए हैं, वे उनसे सहमत हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

चीफ जस्टिस को पत्र लिखने वालों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस पीबी सावंत, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एपी शाह, मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जज के चंद्रू और बॉम्बे हाईकोर्ट के जज एच सुरेश शामिल हैं। इन चारों ने पत्र में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने जो मामले उठाए हैं उनमें केसों का आवंटन भी शामिल है। इस मामले का निपटारा आपस में ही होना चाहिए।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन भीमराव लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में कुछ महीनों से सब ठीक नहीं चल रहा है।

जस्टिस ए पी शाह ने एक न्यूज एजेंसी को बताया, "सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की तरह हम भी चाहते हैं कि ये समस्या सुलझनी चाहिए। अहम मुद्दों को पांच सीनियर जजों की संवैधानिक बेंच के सामने लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट के 4 सीनियर जजों ने केसों के आवंटन, खासतौर पर संवेदनशील केसों के बंटवारे के मसले उठाए। ये गंभीर मसला है।"

उन्होंने कहा कि, "जजों का कहना है कि केसों को सही ढंग से अलॉट नहीं किया गया, इन्हें मनमाने ढंग से तय बेंचों को सौंपा गया है। इसका इंसाफ और कानून के नियमों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। हम इस बात से सहमत हैं कि चीफ जस्टिस ही रोस्टर तय करते हैं, लेकिन, वे संवेदनशील केसों को मनमाने ढंग से अपनी चुनी हुई जूनियर जजों की बेंचों को नहीं भेज सकते।"

इन रिटायर्ड जजों का कहना है कि, "इस मसले को सुलझाया जाना चाहिए। केसों को बेंचों के पास सुनवाई को भेजने के लिए स्पष्ट नियम-कायदे बनाए जाने चाहिए, जो तार्किक हों, साफ हों और पारदर्शी हों। जनता का विश्वास स्थापित करने के लिए ऐसा तुरंत किया जाना चाहिए।"

इन जजों की राय है कि, "जब तक केसों के अलॉटमेंट के नियम नहीं बन जाते हैं, तब तक सभी महत्वपूर्ण केस, संवेदनशील केसों... जिनमें पेंडिंग केस भी शामिल हैं, उन्हें 5 सीनियर जजों की संवैधानिक बेंच के पास भेजा जाना चाहिए। इसी तरह के कदम उठाकर हम जनता को ये भरोसा दिला सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट साफ और पारदर्शी तरीके से चल रहा है और CJI की रोस्टर तय करने की ताकत का इस्तेमाल संवेदनशील केसों में खास नतीजे हािसल करने के लिए नहीं किया जा रहा है।"

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