साल भर नेताओं के बिगड़े बोल, पीएम मोदी समेत कई बीजेपी नेताओं के निशाने पर रहीं महिलाएं

ये वे लोग हैं, जो कानून बनाते हैं, जिसमें महिलाओं से संबंधित कानून भी होते हैं। लेकिन इनके बयान से साफ लगता है कि ये लोग महिलाओं को सजावट, संभोग और बच्चे पैदा करने की मशीन से ज्यादा कुछ नहीं समझते। इन महानुभावों को एक महिला की हंसी तक अखर जाती है।

फोटोः सोशल मीडिया
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रीतू तोमर, IANS

नेताओं के विवादित और फूहड़ बोल हमेशा सुर्खियां बटोरते हैं। आमतौर पर इन नेताओं के निशाने पर महिलाएं होती हैं, फिर चाहे वह महिला राजनीति से जुड़ी हो या नहीं। उनके लिए महिलाएं आसान निशाना होती हैं, क्योंकि इनके रंग, रूप, कद-काठी, मोटापे या बालों को लेकर वे बड़ी आसानी से कुछ भी बोलकर निकल जाते हैं। साल 2018 बस अब विदा होने वाला है लेकिन हर साल की तरह इस साल भी महिलाओं के खिलाफ फूहड़ बयान सुनने को मिलते रहे, जिससे यह तो स्पष्ट हो गया कि आखिर राजनेताओं का एक बड़ा समूह महिला आरक्षण विधेयक का विरोधी क्यों है।

इस लिस्ट को देश के प्रधानसेवक से शुरू करें तो नरेंद्र मोदी ने संसद में जिस अंदाज में कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी की हंसी की तुलना शूर्पणखा से की और इस पर जिस अंदाज में संसद में बैठे नेताओं ने ठहाके लगाए, यह दृश्य सारी हकीकत बयान कर देता है। इसको लेकर काफी विवाद भी हुआ, लेकिन बीजेपी नेताओं की तरफ से कोई पछतावा देखने को नहीं मिला। क्योंकि जिस समय बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ‘मीटू मूवमेंट’ की जद में थे, ठीक उसी समय दिल्ली से बीजेपी सांसद उदित राज ने इस मुहिम पर ही सवाल खड़े करते हुए डंके की चोट पर कहा कि महिलाएं पैसे लेकर आरोप लगाती हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि कुछ महिलाएं जानबूझकर पुरुषों पर ऐसे आरोप लगा रही हैं।

ये सिर्फ पुरुष नेताओं तक ही सीमित नहीं रहा, महिला नेता भी इसमें पीछे नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मचे बवाल पर एक तरह से फैसले की आलोचना करते हुए कहा था कि “क्या आप अपने किसी दोस्त के घर खून से सना हुआ सैनेटरी पैड लेकर जाएंगे, नहीं ना!”

इसके अलावा मध्य प्रदेश के गुना से बीजेपी विधायक पन्नालाल शाक्य ने बहुत ही घटिया बयान देते हुए कहा था कि महिलाएं बांझ रहें, मगर ऐसे बच्चे को जन्म न दें, जो संस्कारी न हो और जो समाज में विकृति पैदा करते हों। वहीं दो कदम आगे बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश के एक बीजेपी विधायक विक्रम सैनी ने तो हिंदुओं को बच्चे पैदा करते रहने की सलाह दे दी। उन्होंने बड़े शर्मनाक ढंग से अपनी पत्नी के साथ बातचीत का जिक्र सार्वजनिक तौर पर करते हुए कहा था कि “मैंने तो अपनी पत्नी से कह दिया है कि जब तक जनसंख्या नियंत्रण पर कोई कानून नहीं आ जाता, बच्चे पैदा करते रहो।”

जब पीएम मोदी भी इस काम में लगे हों तो फिर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब क्यों पीछे रहते। उन्होंने मिस वर्ल्ड डायना हेडेन को लेकर एक विवादित बयान देते हुए कहा था कि वह इंडियन ब्यूटी नहीं हैं। उन्होंने यहां तक कहा था कि डायना हेडेन की जीत फिक्स थी। वह भारतीय महिलों की सुंदरता की नुमाइंदगी नहीं करती हैं।

इस लिस्ट में महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री भी हैं, जिनकी सलाह है कि शराब के ब्रांड को महिलाओं का नाम देने से शराब खूब बिकेगी। एक और मंत्री हैं ने कहा कि महिलाओं को कार की तरह घर में पार्क करके रखेंगे तो 'रेप' नहीं होंगे।

ये वे लोग हैं, जो देश की जनता प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यही लोग कानून बनाते हैं, जिसमें महिलाओं से संबंधित कानून भी होते हैं। लेकिन इनके बयान से साफ लगता है कि ये लोग महिलाओं को सजावट, संभोग और बच्चे पैदा करने की मशीन से ज्यादा कुछ नहीं समझते। इन महानुभावों को एक महिला की हंसी तक अखर जाती है।

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