डियो ब्रांड लेयर'आर शॉट के विज्ञापन पर रोक, केंद्र ने ट्विटर और यूट्यूब से 'अश्लील विज्ञापन' को हटाने का निर्देश दिया

डियोडरेंट ब्रांड लेयर'आर शॉट के विज्ञापन को लेकर विवाद खड़ा होने के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ट्विटर और यूट्यूब को उनके प्लेटफॉर्म से कंपनी का विज्ञापन हटाने के लिए पत्र लिखा है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

डियोडरेंट ब्रांड लेयर'आर शॉट के विज्ञापन को लेकर विवाद खड़ा होने के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ट्विटर और यूट्यूब को उनके प्लेटफॉर्म से कंपनी का विज्ञापन हटाने के लिए पत्र लिखा है। कंपनी के विज्ञापनों में कथित अश्लील सामग्री (कंटेंट) के लिए इन्हें हटाने को कहा गया है।


डियोडरेंट (बॉडी स्प्रे) शॉट के विवादित विज्ञापन को लेकर शनिवार को राजनीति गर्मा गई थी, जिसके बाद तुरंत एक्शन लेते हुए केंद्र ने इसके विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए कदम उठाया।

मंत्रालय ने ट्विटर और यूट्यूब को भी आदेश दिया है कि वो तुरंत अपने प्लेटफॉर्म से लेयर्स बॉडी स्प्रे शॉट का विज्ञापन हटाएं।

मंत्रालय ने प्लेटफॉर्म पर भेजे गए ईमेल को अटैच करते हुए एक ट्वीट में कहा है कि मंत्रालय के संज्ञान में आया है कि सोशल मीडिया पर एक अनुचित और अपमानजनक विज्ञापन प्रसारित हो रहा है। इसलिए मंत्रालय ने ट्विटर और यूट्यूब से इस विज्ञापन को तुरंत हटाने के लिए कहा है।

एक अन्य ट्वीट में कहा गया है कि साथ ही, जिस टीवी चैनल पर यह दिखाई दिया था, उसने पहले ही प्रसारण मंत्रालय के निर्देश पर इसे हटा दिया है।


इस संबंध में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा है कि लेयर'र शॉट का विज्ञापन देश में दुष्कर्म की मानसिकता को स्पष्ट रूप से बढ़ावा देने वाला है। उन्होंने कहा, "हमने दिल्ली पुलिस को नोटिस भी जारी किया है कि प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और विज्ञापन सभी प्लेटफार्मों से तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।"

इसके साथ ही केंद्र ने विज्ञापन कोड़ के आधार पर लेयर्स बॉडी स्प्रे शॉट के विज्ञापन की जांच भी शुरू कर दी है। बॉडी स्प्रे ब्रैंड लेयर के शॉट डियो को लेकर लोगों का कहना है कि ये रेप कल्चर को बढ़ावा देने वाला विज्ञापन है। सोशल मीडिया पर इस विज्ञापन की खूब आलोचना हो रही है।

विज्ञापन निकाय एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) द्वारा पाया गया कि विज्ञापनों को मौजूदा कोड के खिलाफ तैयार किया गया है, जिसके बाद मंत्रालय का यह कदम देखने को मिला है।

मंत्रालय ने प्लेटफार्मों को भेजे गए ईमेल में कहा है कि वीडियो को लगभग 10 लाख बार देखा जा चुका है और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किया गया है।


ईमेल में कहा गया है, "विज्ञापन एएससीआई कोड के गंभीर उल्लंघन में है और जनहित के खिलाफ है। हमने तत्काल कार्रवाई की है और विज्ञापनदाता को विज्ञापन को निलंबित करने के लिए सूचित किया है, जांच लंबित है।"

एक रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को कुछ दर्शकों ने ट्विटर के माध्यम से इस विज्ञापन को एएससीआई के संज्ञान में लाया था।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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