नरक जैसा है आगरा का ये क्वारंटाइन सेंटर, वायरल वीडियो बनाने वाली ज्योति की जुबानी सुनिए हकीकत

जिस आगरा के क्वारंटाइन सेंटर का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था, उस सेंटर की स्थिति अभी भी वैसी ही है। वीडियो बनाने वाली ज्योति वर्मा ने नवजीवन से बात कर इस सेंटर की हकीकत बताई है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना से निपटने के लिए राज्य सरकारों से सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हीं के पार्टी के मुख्यमंत्री इस अपील को हल्के में ले रहे हैं। फिलहाल इस लिस्ट में सबसे आगे योगी आदित्यनाथ नजर आ रहे हैं। योगी के राज्य में अधिकारी क्वारंटाइन लोगों के साथ जानवरों जैसा बर्ताव कर रहे हैं और राजधानी में बैठक सीएम को इसकी भनक तक नहीं है। इसकी जीती जागती तस्वीर आगरा जिले के एक क्वारंटाइन सेंटर से सामने आई है। इस क्वारंटाइन सेंटर में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना हुई है, हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद अधिकारी थोड़ा हरकत में जरूर आए हैं, लेकिन स्थिती अभी भी जस की तस नजर आ रही है।

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ज्योति वर्मा ने बताया कैसी है क्वारंटाइन सेंटर की स्थिति?

जिस वीडियो ने योगी सरकार के दावे की पोल खोल कर रख दी है। उसी वीडियो को बनाने वाली ज्योति वर्मा ने अब क्वारंटाइन सेंटर की हकीकत बताई है। ज्योति वर्मा ने नवजीवन से बात करते हुए बताया कि वीडियो वायरल होने के बाद कुछ पुलिस अधिकारी आए जरूर थे, लेकिन ऐसे आए मानो राउंड पर हों। वीडियो वायरस होने से पहले और वायरल होने के बाद की स्थिति में ज्यादा अंतर नहीं नजर आ रहा है। ज्योति वर्मा ने आगे कहा कि शारदा इंस्टीट्यूट में पांच फ्लोर हैं और हर फ्लोर पर 25-30 लोगों को रखा गया है। हर फ्लोर पर एक वॉशरूम।

वॉशरूम का बेसिन इतना गंदा है कि हाथ भी न धोया जाए। उसी में मैला-कुचैला झाड़ू रखा हुआ है। बाहर एक नलका, फारिग होकर लोग उसे से हाथ धोते हैं। पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं, उसी नलके से आ रहे पानी को पीना भी है। लोगों ने पूछा तो कहा गया कि इसी नलके को आरओ से जोड़ दिया गया है। है या नहीं, पता नहीं। वीडियो वायरल होने के बाद 26 अप्रैल की शाम को एडीएम आए और उन्होंने तीन हैंड सैनेटाइजर दिए। कहा कि और भिजवा देंगे, लेकिन नहीं मिला। पांच फ्लोर, हर फ्लोर पर 25-30 लोग और उनपर तीन हैंड सैनेटाइजर। स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं। वॉशरूम में इतनी गंदगी है कि कुछ महिलाओं को इन्फेक्शन जैसा महसूस हो रहा है।


क्वारंटाइन सेंटर में फेंक कर दिया जा रहा था खाना

25 तारीख को दोपहर में तमाम लोगों को सेंटर पर लाया गया, लेकिन पहला खाना अगले दिन शाम को मिला। वो भी, फेंक कर दे रहे थे और सिर्फ पानी और बिस्किट। वीडियो वायरल होने के बाद अब पैकेट में खाना दिया जा रहा है। 27 तारीख को सुबह 9 बजे तक वॉशरूम में पानी नहीं आ रहा था। हालांकि उम्मीद अभी भी यही है कि स्थिति वैसी की वैसी ही होगी। ज्योति वर्मा ने अपने पिता को लेकर चिंता जाहिर की है।

ज्योति ने कहा कि बाकी सुविधाओं का जो हाल है, वो तो है ही, लेकिन मुझे सबसे ज्यादा चिंता अपने पिता को लेकर हो रही है। उन्हें आइसोलेशन बिल्डिंग में रखा गया है। उनके कमरे में एक और रोगी है। वह एस.एम अस्पताल का कर्मचारी है। अगर उसे कोरोना हुआ और उससे मेरे पिता को संक्रमण हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा। मैं चाहती हूं कि मुख्यमंत्रीजी को पता चले कि यहां की व्यवस्था कैसी है और ये लोग कैसा व्यवहार करते हैं।” अगर इस क्वारंटाइन सेंटर का जो हाल है, वह अपवाद है तो कोई बात नहीं लेकिन अगर ऐसा ही बाकी या अधिकतर सेंटरों पर हो रहा है तो कहीं संक्रमण को रोकने की जगह ये सेंटर इसे बढ़ाने का कारण न बन जाएं।

जांच के नाम पर पूरे परिवार को क्वारंटाइन सेंटर में रख दिया गया

ज्योति वर्मा ने बतायि कि उनके पिता श्रीकृष्ण वर्मा को हल्का बुखार और सर्दी-जुकाम होने पर घरवालों ने जिला अस्पताल में ले जाकर कोरोना का टेस्ट कराया। उनसे कहा गया कि टेस्ट निगेटिव है इसलिए उन्हें अपने फैमिली डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। फिर, वे लौट आए। 25 अप्रैल को सुबह पुलिस श्रीकृष्ण वर्मा की जांच के लिए एस.एन मेडिकल अस्पताल ले जाने के नाम पर शारदा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में ले जाकर क्वारंटाइन कर दिया गया। फिर पूरे परिवार को वैसे ही जांच के नाम पर ले जाकर वहीं रख दिया गया। ज्योति वर्मा ने बताया कि “हमें जांच के लिए अस्पताल ले जाने के नाम पर शारदा इंस्टीट्यूट ले गए। पूछने पर कहा कि दो घंटे में जांच होने के बाद आप लोगों को छोड़ दिया जाएगा।” लेकिन ऐसा न होना था, न हुआ।


प्रशासन की इस हरकत पर उठ रहे कई सवाल

प्रशासन की इस तरह की हरकत से कई सवाल उठ रहे हैं। पहला सवाल ये कि किसी व्यक्ति को क्वारंटाइन में ले जाना हो तो उसे बताना नहीं चाहिए क्या? न तो ज्योति या उसके परिवार वालों को क्वारंटाइन के बारे में बताया गया और न ही शारदा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट सेंटर पर रह रहे और लोगों को। दूसरा सवाल ये कि किसी जगह को अगर क्वारंटाइन सेंटर बनाना है तो वहां कैसी सुविधाएं होनी चाहिए, इसका कोई पैमाना है क्या?

क्वारंटाइन किये गये लोगों को करना पड़ा बदइंतजामी का सामना

आरोप है कि मेडिकल स्टाफ ने खाने-पीने का सामान कोरोना के डर से सेंटर के गेट पर बाहर की तरफ सटाकर रख दिया। जिसे लेने के लिए क्वारनटीन किए गए लोगों को गेट से बाहर हाथ निकालकर सामान उठाना पड़ा। ये बात यहां रह रहे लोगों को नागवार गुजरी और उन्होंने हंगामा कर दिया। इस पूरी घटना का वीडियो सामने आने के बाद आगरा जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया।अब इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं। आगरा के डीएम पीएन सिंह ने बताया कि इस संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। सामने आई कमियों पर स्थल निरीक्षण किया गया है। सीडीओ को मामले की जांच सौंप दी गई है। वह खामियों की रिपोर्ट जल्द प्रेषित करेंगे।

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