रायबरेली कांड : अविश्वास प्रस्ताव न आने पर हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव और रायबरेली डीएम से मांगा 7 दिन में जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और रायबरेली की डीएम को आदेश दिया है कि वे सात दिन के अंदर शपथ पत्र दाखिल कर बताएं कि उन्होंने रायबरेली जिला परिषद अध्यक्ष के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने में देरी क्यों की?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रायबरेली के जिला परिषद अध्यक्ष के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने में देरी के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और रायबरेली जिलाधिकारी से जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने इन दो आला अधिकारियों को सात दिन के अंदर इस बारे में शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।
शुक्रवार को जारी आदेश में हाईकोर्ट में जस्टिस रजनीश कुमार और जस्टिस पंकज कुमार की बेंच ने कांग्रेस विधायक अदिति सिंह और अन्य जिला पंचायत परिषद सदस्यों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन ने अविश्वास प्रस्ताव के मामले में जानबूझकर देरी की।
गौरतलब है कि 14 मई को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए जाते वक्त रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह के काफिले पर फायरिंग कर उनपर जानलेवा हमला किया गया था। इस हमले में अदिति सिंह की कार पलट गई थी और उन्हें चोटें आई थीं। इसके अलावा अन्य जिला पंचायत सदस्यों पर भी हमले हुए थे, और कुछ का अपहरण किया गया था, जिसकी नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। एक जिला पंचायत सदस्य को गोली लगी थी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में मुख्य सचिव और जिलाधिकारी को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सात दिन के भीतर दोनों अधिकारी शपथपत्र नहीं दाखिल करते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी और उन्हें अदालत में पेश होना पड़ेगा।
गौरतलब है कि रायबरेली जिला पंचायत अध्यक्ष अवधेश सिंह के खिलाफ अदालत के आदेश पर अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी थी। यहां जानना जरूरी है कि अवधेश सिंह रायबरेली से यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के खिलाफ बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह के भाई हैं।
हाईकोर्ट ने कहा है कि, “…अविश्वास प्रस्ताव पर 14 मई को वोटिंग होनी थी, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष अवधेश सिंह और उनके भाई व बीजेपी के एमएलसी दिनेश सिंह और हरचंदपुर से विधायक राकेश सिंह के कारण अविश्वास प्रस्ताव के लिए बुलाई गई बैठक नहीं हो पाई।“ कोर्ट ने आगे कहा कि, “अवधेश सिंह ने जिला पंचायत सदस्यों को सभागार जाने से रोका और इस कारण अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक नहीं हो पाई।”
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि कई जिला पंचायत सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कर दिए गए, और इनमें से कई ने प्रशासन की कार्यवाही के खिलाफ अदालत की शरण ली थी।
इसी आधार पर कोर्ट ने कहा कि, “इन तथ्यों के प्रकाश में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और रायबरेली की जिलाधिकारी को अपना जवाब दाखिल करना होगा।”

यहां बता दें कि जिला पंचायत सदस्यों और कांग्रेस विधायक अदिति सिंह पर हमले के 48 घंटे के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 10 लोगों को हिरासत में लिया है। पुलिस के मुताबिक आरोपियों के कब्जे से हमले में कथित तौर पर इस्तेमाल एसयूवी भी बरामद कर ली गई है।
पुलिस का कहना है कि इन लोगों को चुरुवा के पास से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है उनमें खीरों थाना क्षेत्र के जोगापुर निवासी भूपेंद्र ङ्क्षसह, लालगंज कोतवाली क्षेत्र के कुम्हौरा के योगेश सिंह उर्फ छोटू, रणगांव के अन्नू सिंह उर्फ कृष्ण बहादुर सिंह, केशव सिंह उर्फ गुरिदे, दीपेमऊ के भूपेंद्र सिंह उर्फ रिशू सिंह, लालगंज कस्बे के महेश नगर के शैलेंद्र सोनी, हरचंदपुर थाना क्षेत्र के पूरे तेजू सिंह मजरे बरगदहा के शैलेंद्र सिंह, नसीराबाद थाना क्षेत्र के बभनपुर के बबलू सिंह उर्फ श्याम बहादुर सिंह, डलमऊ कोतवाली क्षेत्र के आफताब नगर के निर्भय प्रताप सिंह और अमेठी जिले के छोटी केसरिया निवासी अरविंद सिंह शामिल हैं।
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