नागरिकता कानून के खिलाफ पूरे भारत में उबाल, बंगाल, बिहार, यूपी से लेकर पंजाब तक विरोध में सड़कों पर उतरे लोग

पूर्वोत्तर में जारी हिंसक विरोध के बीच शुक्रवार को पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी, दिल्ली और पंजाब में लोगों ने नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। इस बीच पूर्वोत्तर के हालात को देखते गृहमंत्री अमित शाह को अपना शिलॉन्ग दौरा रद्द करना पड़ा है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दस्तखत के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक अब कानून बन चुका है। लेकिन इस विवादित कानून के खिलाफ धीरे-धीरे पूरे भारत में उबाल देखने को मिल रहा है। इस कानून के खिलाफ पिछले कई दिनों से पूर्वोत्तर में हो रहा हिंसक प्रदर्शन शुक्रवार को भी जारी रहा। हालांकि प्रशासन ने सुबह कर्फ्यू में थोड़ी ढील जरूर दी, लेकिन कई जगहों पर लोग सड़कों पर उतर आए और केंद्र सरकार और बीजेपी के खिलाफ रोषपूर्ण प्रदर्शन किया। यहां कई बीजेपी नेताओं के घरों पर लोगों ने घेराबंदी कर कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया।

नागरिकता कानून के खिलाफ पूरे भारत में उबाल, बंगाल, बिहार, यूपी से लेकर पंजाब तक विरोध में सड़कों पर उतरे लोग

जहां पूर्वोत्तर के राज्यों में पिछले कई दिनों से जारी हिंसा को रोकने के लिए सरकारों को कई जिलों में कर्फ्यू लगाने के साथ ही कई राज्यो में इंटरनेट पर रोक लगाना पड़ा है। असम, मेघायलय और त्रिपुरा के कई इलाकों में पिछले कई दिनों से इंटरनेट पर पाबंदी है। इसके बावजूद इन राज्यों में हिंसा थम नहीं रही है। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्वोत्तर में जारी हिंसा को देखते हुए गृहमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को रविवार का अपना पूर्वोत्तर का दौरा रद्द करना पड़ा है। उन्हें रविवार को शिलॉन्ग और अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर जाना था, लेकिन शुक्रवार शाम अचानक दौरा रद्द कर दिया गया।

नागरिकता कानून के खिलाफ पूरे भारत में उबाल, बंगाल, बिहार, यूपी से लेकर पंजाब तक विरोध में सड़कों पर उतरे लोग

पूर्वोत्तर के बाहर की अगर बात करें तो धीरे-धीरे पूरे देश में नागरिकता कानून का विरोध शुरू हो गया है। पूर्वोत्तर से सटे पश्चिम बंगाल से लेकर झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और पंजाब से लेकर महाराष्ट्र और दक्षिण में आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल तक के कई शहरों में लोगों ने शुक्रवार को बड़ी संख्या में सड़कों पर आकर इस कानून का विरोध किया। इन जगहों पर प्रदर्शन करने वालों में मुसलमानों के साथ ही दूसरे धर्मों के लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। पश्चिम बंगाल के कोलकाता, मालदा, मुर्शीदाबाद समेत कई जगहों पर लोगों ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। वहीं बिहार की बात करें तो राजधानी पटना, गया, भागलपुर समेत कई शहरों में लोगों ने हाथों तख्तियां लेकर नागरिकता कानून के खिलाफ मार्च निकाला। बिहार में प्रदर्शन के दौरान लोगों ने जमकर नीतीश कुमार के खिलाफ नारे लगाए।

नागरिकता कानून के खिलाफ पूरे भारत में उबाल, बंगाल, बिहार, यूपी से लेकर पंजाब तक विरोध में सड़कों पर उतरे लोग

उत्तर भारत की बात करें तो पंजाब का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला शहर मलेरकोटला नागरिककानून के खिलाफ शुक्रवार को पूरी तरह से बंद रहा। अमन और सद्भाव की मिसाल के तौर पर देशभर में अपनी अलग पहचान रखने वाला संगरूर जिले का ऐतिहासिक मलेरकोटला शहर में शुक्रवार सुबह जब विभिन्न सामाजिक एवं कुछ धार्मिक संगठनों ने हड़ताल का आह्वान किया तो देखते-देखते पूरा शहर बंद हो गया। शहर की सड़कों पर लंबा जुलूस निकाला गया जिसमें नागरिकता कानून के खिलाफ नारे लगाए गए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले ही कह दिया है कि इस कानून को राज्य में लागू नहीं होने देंगे। बता दें कि पंजाब का मलेरकोटला इसलिए भी जाना जाता है कि यहां के नवाब ने कभी गुरु गोविंद सिंह जी के साहबजादे पर जुल्म के खिलाफ आवाज उठाई थी। तो यहां के हिंदू और सिखों ने भी 1947 में इस शहर पर हल्की सी भी आंच नहीं आने दी थी।

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बात राजधानी दिल्ली की करें तो यहां सुबह से ही अलग-अलग इलाकों में नागरिकता कानून के खिलाफ लोगों का प्रदर्शन जारी रहा। जंतर-मंतर से लेकर इंडिया गेट पर कई संगठनों और दलों के लोगों ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। वहीं दोपहर बाद दिल्ली के लक्ष्मी नग इलाके में लोगों ने सड़क पर उतरकर अपना विरोध जताया। वहीं शाम में जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों का प्रदर्शन उस समय उग्र हो गया, जब शांतिपूर्ण मार्च निकाल रहे छात्रों पर पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। इस पुलिसिया बर्बरता में जामिया के कई छात्र घायल हो गए हैं।

नागरिकता कानून के खिलाफ पूरे भारत में उबाल, बंगाल, बिहार, यूपी से लेकर पंजाब तक विरोध में सड़कों पर उतरे लोग

वहीं एक तरफ जहां इस कानून के खिलाफ पूरे देश में लोग सड़क पर आकर विरोध कर रहे हैं, वहीं कई लोगों ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शुक्रवार दोपहर तक इस विवादित कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 11 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। इस कानून को संविधान के मूल्यों का उल्लंघन बताते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उनके अलावा सुप्रीम कोर्ट में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, पीस पार्टी, रिहाई मंच और सिटिजन अगेंस्ट हेट, फैजउद्दीन, महासचिव- जन अधिकारी पार्टी, एहतेशाम हाशमी, प्रद्योत देब बर्मन, पूर्व उच्चायुक्त देब मुखर्जी, सुप्रीम कोर्ट के वकील एमएल शर्मा और सिंबायोसिस लॉ स्कूल के कानून के कुछ छात्रों ने इस कानून के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं।

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Published: 14 Dec 2019, 12:12 AM