30,000 लोग ही रोजाना देख पाएंगे ताज, हादसे की संभावना को देखते हुए लिया जा सकता है यह फैसला

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने रोजाना ताज देखने आने वालों की लगातार बढ़ती संख्या और उससे होने वाले हादसे की आशंका को देखते हुए दर्शकों की संख्या सीमित करने का प्रस्ताव रखा है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दुनिया के सात अजूबों में शामिल मुगल बादशाह शाहजहां और मुमताज महल के प्रेम की निशानी ताजमहल का दीदार करना अब पहले जितना आसान नहीं रहेगा। अब रोजाना सिर्फ 30,000 लोग ही इस अजीम शाहकार को करीब से देख पाएंगे। 27 दिसंबर को ताजमहल में मची भगदड़ के मद्देनजर यह फैसलाआगे ऐसी किसी घटना से बचने के उद्देश्य से लिया जा रहा है। 27 दिसंबर को विजिटिंग समय के खत्म होने से ठीक पहले मकबरे के पूर्व प्रवेश द्वार पर प्रवेश के लिए हुई आपाधापी की वजह से मची भगदड़ में 5 लोग घायल हो गए थे। उस दिन बड़ी तादाद में लोग स्मारक का दर्शन करने पहुंचे थे।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और आगरा जिले के अधिकारियों ने रोजाना ताज परिसर आने वाली भीड़ की बढ़ती संख्या और उससे होने वाले हादसे की आशंका को देखते हुए दर्शकों की संख्या सीमित करने का प्रस्ताव रखा है। एएसआई की महानिदेशक उषा शर्मा और संयुक्त सचिव पीएल साहू ने 1 जनवरी को ताज का दौरा किया और आगरा जिला प्रशासन के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की। बैठक में इस प्रस्ताव पर सैद्धांतिक तौर पर सहमित बनी कि रोजाना ताज का दर्शन करने वालों की संख्या को सीमित किया जाए। इस बैठक में ताजमहल की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले सीआईएसएफ के अधिकारी भी मौजूद थे।

प्रस्ताव के अनुसार, ताजमहल देखने के लिए रोजाना सिर्फ 30,000 लोगों को ही टिकट जारी किए जाएंगे। ये टिकट रेलवे की तर्ज पर काउंटर के अलावा ऑनलाइन भी उपलब्ध रहेंगे। इसके साथ ही ताजमहल के तलघर में जाने के लिए भी अलग से टिकट लेने होंगे। इसके अलावा 15 साल से कम के बच्चों के प्रवेश के लिए भी अब टिकट अनिवार्य करने का प्रस्ताव है, ताकि पर्यटकों की वास्तविक संख्या पता चल सके। हालांकि, पहले की ही तरह 15 साल से कम आयु के बच्चों का कोई शुल्क नहीं लगेगा। यह टिकट ‘जीरो चार्ज टिकट’ होगा। पर्यटकों की कुल संख्या 30,000 पहुंचते ही टिकट मिलने बंद हो जाएंगे। अधिकारियों के अनुसार, इस संबंध में आखिरी निर्णय 2 जनवरी को होने वाली उच्च स्तरीय बैठक में लिया जाएगा, जिसमें केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा के भी मौजूद होने की संभावना है।

वर्तमान में इस स्मारक को देखने आने वालों की संख्या पर कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है। पर्यटन के मौसम और अन्य अवसरों पर परिसर में आने वाले सैलानियों की संख्या 60,000 से 70,000 तक पहुंच जाती है। एएसआई के अधिकारियों के अनुसार, दर्शकों की इतनी संख्या ऐतिहासिक स्मारक की नींव के लिए नुकसानदायक तो है ही इसके अलावा हादसे की भी संभावना हमेशा बनी रहती है। बता दें कि सीआईएसएफ कमांडेट ब्रज भूषण ने दो महीने पहले एएसआई की महानिदेशक उषा शर्मा से ताज परिसर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तत्काल "उपचारात्मक उपाय" शुरू किए जाने की मांग की थी।

यह प्रस्ताव पूर्व में पेश एनईईआरआई रिपोर्ट का ही हिस्सा है, जिसमें 15 साल के बच्चों सहित उन वीआईपी लोगों को भी टिकट जारी करने की अनुशंसा की गई थी, जिन्हें प्रवेश शुल्क का भुगतान करने से छूट प्राप्त है। प्रस्ताव में कहा गया था कि टिकटों पर बारकोड हो ताकि पर्यटकों के प्रवेश और बाहर आने की इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के जरिये निगरानी की जा सके।

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