आसाराम ने न सिर्फ भक्तों का विश्वास तोड़ा, बल्कि संतों की छवि भी खराब की : फैसले में जज ने कहा

आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले जज ने अपने फैसले में कहा है कि आसाराम ने न सिर्फ पीड़ित बालिका और भक्तों का विश्वास तोड़ा है, बल्कि लोगों में संतों की छवि भी खराब की है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

आसाराम को जोधपुर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में उसके दो सहयोगियों को भी 20-20 साल की सजा का ऐलान किया गया है। सजा का ऐलान करते हुए जज मधुसूदन शर्मा ने जो बातें कहीं, उससे आसाराम जैसे झूठे और ढोंगी संतों की असलियत सामने आती है। अपने 454 पन्नों के फैसले में जज ने साफ कहा कि, “आसाराम संत कहलाते हैं, लेकिन उन्होंने जप करवाने का बहाना कर पीड़िता को अपने कमरे में बुलाकर दुष्कर्म किया। दोषी ने न सिर्फ पीड़िता का विश्वास तोड़ा, बल्कि आम जनता में संतों की छवि को भी नुकसान पहुंचाया।”

जज मधुसूदन शर्मा ने अपने फैसले जो खास बातें कहीं, उसमें उन्होंने पीड़ित बच्ची और उसके माता-पिता की तारीफ भी की।

  • जज ने कहा कि, ‘‘आसाराम संत कहलाते हैं, लेकिन उन्होंने जप करवाने का बहाना कर पीड़िता को अपने कमरे में बुलाकर दुष्कर्म किया। आसाराम ने न सिर्फ पीड़िता का विश्वास तोड़ा, बल्कि आम जनता में संतों की छवि को भी नुकसान पहुंचाया।’'
  • उन्होंने कहा कि, नाबालिग पीड़िता आसाराम के कद और उसकी कथित शक्तियों से घबराई हुई थी। जिस व्यक्ति को वह भगवान मान कर पूजती थी, उसी ने उसके साथ ऐसा घिनौना काम किया, इससे निश्चित रूप से उसकी सोचने-समझने की प्रक्रिया सुन्न हो गई होगी।
  • जज ने माता-पिता और पीड़िता के हौसले की तारीफ की और कहा कि यदि कोई भी घटना होने पर माता-पिता बच्चों का साथ देते हैं तो उनमें यह हिम्मत पैदा हो जाती है कि वह अपराधी और समाज का सामना कर सकें।
  • जज ने कहा कि गवाहों के बयानों से ज्यादा हालात या परिस्थितियां किसी घटना का पूरा सच बयां कर देती हैं। जज ने फैसले में लिखा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में कामयाब रहा कि पीड़िता घटनास्थल पर स्थित कुटिया यानी उस कमरे में गई थी, जहां आसाराम था। यानी पीड़िता का उस कमरे में जाना साबित होता है।
  • जज ने कहा कि अगर पीड़िता के शरीर पर किसी चोट का निशान नहीं पाया गया तो इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि उसका बयान गलत या अविश्वसनीय है। उसके साथ दुष्कर्म हुआ इसमें कोई शक नहीं है।

फैसले में पीड़िता नाबालिग के उस बयान को शामिल किया गया है जिसमें उसने कहा था कि, ‘‘मैं रो रही थी, और कह रही थी कि मुझे छोड़ दो। हम तो आपको भगवान मानते हैं। आप यह क्या कर रहे हो? फिर भी वो मेरे से बदतमीजी करते रहे और करीब एक-सवा घंटे बाद मुझे छोड़ा।’’

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Published: 25 Apr 2018, 11:28 PM