धन और बाहुबल की बदौलत त्रिपुरा में जीती बीजेपी: सीताराम येचुरी 

त्रिपुरा चुनाव परिणाम आने के बाद सीताराम येचुरी ने कहा कि बीजेपी ने बेईमानी से बड़े पैमाने पर इकट्ठा किए धन और बाहुबल का इस्तेमाल किया और सभी वाम विरोधी तत्वों को एकजुट करने में कामयाब हो गई।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में अपनी हार स्वीकार करते हुए मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने बीजेपी पर चुनाव जीतने के लिए धन और बाहुबल का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। चुनाव परिणाम आने के बाद उन्होंने कहा, “हां, ऐसा हुआ क्योंकि बीजेपी ने बेईमानी से बड़े पैमाने पर इकट्ठा किए धन और बाहुबल का इस्तेमाल किया और सभी वाम विरोधी तत्वों को एकजुट करने में कामयाब हो गई।”

येचुरी ने त्रिपुरा के लोगों को आगाह किया कि चुनाव में बेहिसाब पैसे बहाने वाली बीजेपी इसकी भरपाई के लिए जमकर सरकारी खजाना लूटेगी और उसमें से आपको कुछ नहीं देगी, बल्कि आपकी जेब ढीली करने के लिए तरह-तरह के तरीके ढूंढेगी, जैसा केंद्र में मोदी सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के सत्ता में आने का राज्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

सीपीएम महासचिव ने कहा, “बीजेपी ने बिना किसी मर्यादा के धनबल का इस्तेमाल करते हुए सभी प्रकार की ताकतें यहां झोंक दी। इसके बुरे परिणाम होंगे, इसलिए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।” एक के बाद एक अपने सिलसिलेवार ट्वीट में येचुरी ने कहा, “हम न केवल त्रिपुरा में, बल्कि पूरे देश में बीजेपी और इसके विभाजनकारी एजेंडे का विरोध करना लगातार जारी रखेंगे।” उन्होंने इससे पहले कहा, “माकपा त्रिपुरा में लोगों के जनादेश को स्वीकारती है, जो यहां बीजेपी-आईपीटीएफ गठबंधन की सरकार बनाने के लिए है। यह बदलाव तब हुआ है, जब वाम मोर्चे ने 5 विधानसभा चुनावों में लगातार जीत दर्ज कर 25 वर्षों तक सही मायने में जनता की सेवा की।”

येचुरी ने कहा, “यह नहीं भूलना चाहिए कि राज्य के 45 प्रतिशत लोगों ने वाम मोर्चा को वोट दिया है। हम त्रिपुरा के लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि विपक्ष में रहकर माकपा उनके हित के लिए काम करती रहेगी।”

सीपीएम महासचिव ने तीन राज्यों के चुनाव परिणाम में बीजेपी के प्रदर्शन पर कहा कि “हम ना सिर्फ त्रिपुरा बल्कि पूरे भारत में बीजेपी और उसके विघटनकारी एजेंडा का विरोध करना जारी रखेंगे। बीजेपी-आरएसएस की घिनौनी साजिशों को नाकाम करने के लिए भारतीय संवैधानिक आदर्शों पर विश्वास करने वालों के लिए यह बेहद जरूरी है। लड़ाई अभी जारी है।”

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