प्रेम के पाठ में नफरत तलाशने की बौखलाहट, बीजेपी प्रवक्ता ने कहा तांत्रिक के कहने पर राहुल ने लगाया पीएम को गले

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को गले लगाकर मुहब्बत की जो राजनीतिक इबारत लिखी है, उसके जवाब की हड़बड़ाहट में बीजेपी नफरत तलाशती फिर रही है। बीजेपी एक प्रवक्ता ने तो इसे तांत्रिक की सलाह पर उठाया कदम तक कह दिया है।

लोकसभा टीवी का ग्रैब
लोकसभा टीवी का ग्रैब
user

तसलीम खान

एक मित्र रविवार को फिल्म देखने गए थे। वह पत्रकार नहीं हैं, लेकिन खबरों में अच्छी दिलचस्पी रखते हैं। उन्होंने एक दिलचस्प बात बताई। फिल्म शुरु होने से पहले सिनेमाघर ने अगले महीने रिलीज़ होने वाली फिल्म ‘मुल्क’ का ट्रेलर दिखाया। अनुभव सिन्हा निर्देशित यह फिल्म हिंदू-मुस्लिम दंगों और शायद आतंकवाद से पनपे वैमनस्य पर कुछ सवाल उठाती है। मित्र ने बताया कि जब इस फिल्म का ट्रेलर आया तो इसके आखिर में अभिनेता ऋषि कपूरा का एक डॉयलाग आता है, जिसमें वे कहते हैं कि मैं इसी मुल्क का हूं और मेरी दाढ़ी अगर तुम्हें ओसामा बिन लादेन की दाढ़ी लगती है, तो यह तुम्हारी दिक्कत है, मैं अपनी सुन्नत नहीं छोड़ने वाला। मित्र के मुताबिक इस डॉयलाग पर पूरे सिनेमाघर में जबरदस्त तालियां बजीं। मित्र का ऑब्जर्वेशन यह है कि आम लोग नफरत नहीं प्यार चाहते हैं। इस बीच बहुत से वीडियो सामने आ रहे हैं जिसमें लोग राहुल गांधी द्वारा पीएम को गले लगाने को एक सकारात्मक इरादे के तौर पर देखते हैं।

मित्र का नजरिया सही या गलत हो सकता है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर अचानक नफरत और प्यार पर बहस क्यों शुरु हो गई है? क्या राजनीति में हमेशा एक दूसरे को नीचा दिखाने और विरोधी के राजनीतिक दांव को कुंद करने की कोशिश में कहीं प्रेम का विरोध करने की कोशिश तो नहीं की जा रही?

सिनेमाघर में मित्र के अनुभव और इन दोनों सवालों का संदर्भ शुक्रवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान हुई चर्चा है, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी बात खत्म करके अनायास प्रधानमंत्री के पास पहुंचकर उन्हें गले लगा लिया। प्रधानमंत्री राहुल गांधी के इस अप्रत्याशित कदम से एकबारगी अकबकाए दिखे थे।

प्रधानमंत्री की अकबकाहट अब बीजेपी खेमे में नजर आने लगी है। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने प्रेम की झप्पी को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की थी और अगले दिन उत्तर प्रदेश में हुई एक रैली में राहुल गांधी के गले मिलने को ‘गले पड़ने’ की संज्ञा दी थी।

लेकिन न तो संसद में प्रधानमंत्री द्वारा राहुल का मजाक उड़ाना और न ही रैली में गले पड़ने जैसे जुमले का इस्तेमाल करना लोगों को पसंद नहीं आ रहा। बीजेपी की दिक्कत यह है कि वह प्रेम का विरोध करने की कोशिश कर रही है, और इस कवायद में खुद ही नफरत की बातें कर रही है। सोमवार को दो-दो केंद्रीय मंत्रियों ने राहुल को नफरत का सौदागर और गिद्ध राजनीति करने के आरोप लगा दिए। और तो और बीजेपी ने पूरी कविता ही लिख डाली कि ‘बंद करो ये प्रेम का नाटर…’

और अब तो हद ही हो गई। राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री को गले लगाए जाने को एक नए रूप में बीजेपी ने पेश किया है। एक हिंदी दैनिक की खबर के मुताबिक दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने राहुल गांधी के गले मिलने पर ऐसा ‘खुलासा’ किया है, जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे और बीजेपी की विचारधारा को समझ जाएंगे। बग्गा ने दैनिक अखबार को बताया कि राहुल गांधी ने एक तांत्रिक के कहने पर प्रधानमंत्री मोदी को गले लगाया था। उनके मुताबिक तांत्रिक ने यह सलाह दी थी कि अगर राहुल अपने भाषण के बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी छू लेंगे तो उनके प्रधानमंत्री बनने के योग मजबूत हो जाएंगे। बग्गा दावा है कि यह बात उन्हें उनके एक युवा कांग्रेसी सांसद मित्र ने बताई है। बग्गा के मुताबिक तांत्रिक ने राहुल गांधी को भाषण के तुरंत बाद किसी भी तरह से प्रधानमंत्री की कुर्सी छूने की सलाह दी थी। अब चूंकि राहुल गांधी सीधे प्रधानमंत्री की कु्र्सी नहीं छू सकते थे, इसलिए वो उन्हें गले लगने के बहाने वहां तक गए और इसी बीच उनकी कुर्सी भी छू ली।

मोदी के मंत्रियों द्वारा राहुल गांधी की ट्रॉलिंग, बीजेपी की कविता और अब बग्गा का तांत्रिक वाला खुलासा, इससे बीजेपी की बौखलाहट साफ नजर आती है। बौखलाहट इस बात की है कि प्रेम का विरोध आखिर किया भी जाए तो कैसे? इसके लिए नए-नए कथानक और सूत्र वाक्य गढ़े जा रहे हैं, और वह सब पढ़ने की कोशिश हो रही है जो लिखा भी नहीं है।

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के अगले दिन मुंबई में कई जगह प्रेम का पैगाम देते होर्डिंग नजर आए। इन होर्डिंग्स पर टिप्पणी करते हुए भी में भी भक्तों ने अपनी बौखलाहट का परिचय दिया है। होर्डिंग में शब्दों को लिखने के लिए इस्तेमाल अलग-अलग रंगों के अर्थ निकाले जा रहे हैं, और भक्त वाह-वाह कर रहे हैं। इस बौखलाहट में वे अनजाने ही साबित कर रहे हैं कि उनकी पार्टी प्यार मुहब्बत वाली सामाजिकता और राजनीति की पक्षधर तो बिल्कुल ही नहीं है।

प्रेम की झप्पी से यह तो संकेत मिल ही गए हैं कि राहुल गांधी राजनीति की नई इबारत लिखने की शुरुआत कर रहे हैं। इस इबारत में जिसको जो संदेश पढ़ना है पढ़े, लेकिन एक बात साफ है कि मुहब्बत का न तो विरोध हो सकता है और न ही जवाबी हमला। इसकी बानगी तो लोकसभा में ही उस समय देखने मिल गई थी जब प्रधानमंत्री राहुल गांधी के गले मिलने का मजाक बनाने की कोशिश कर रहे थे तो उनके बगल में बैठे राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज की मुख मुद्राएं साफ चुगली खा रही थीं कि पीएम ठीक नहीं कर रहे।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia


Published: 24 Jul 2018, 3:50 PM