बिहार: बुद्ध की नगरी बोधगया में 15 बच्चों के साथ क्रूर दुराचार, आरोपी बौद्ध भिक्षु गिरफ्तार

बिहार के बोधगया में बौद्ध शिक्षा देने के नाम पर चलाए जा रहे एक संस्था के संचालक भिक्षु पर वहां रहने वाले कई बच्चों के साथ अप्राकृतिक दुराचार और अनैतिक कार्य करने के आरोप लगे हैं। सभी पीड़ित बच्चे असम के रहने वाले हैं और काफी गरीब परिवार से हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

गौतम बुद्ध की नगरी के नाम से प्रसिद्ध बिहार के गया जिले के बोधगया से मानवता को शर्मसार कर देने वाली खबर आई है। यहां बौद्ध शिक्षा देने के नाम पर चल रही एक एक संस्था के संचालक बौद्ध भिक्षु को नाबालिग बच्चों के साथ अप्राकृतिक यौनाचार करने के आरोप में गिरप्तार किया गया है। बोधगया के मस्तीपुर स्थित प्रजना ज्योति बुद्धिस्ट नोविस स्कूल एंड मेडिटेशन सेंटर के बच्चों ने संस्था के संचालक और बौद्ध भिक्षु भंते सुजाय संघप्रिय पर दुराचार, अनैतिक कार्य, मारपीट और भोजन नहीं देने का आरोप लगाया है।आरोप है कि पढ़ाई में गलती या किसी अन्य मामूली सी गलती हो जाने पर बाल बौद्ध भिक्षुओं को नंगा करवाया जाता था।

गया के पुलिस अधीक्षक (नगर) अनिल कुमार ने संचालक की गिरफ्तारी की पुष्टी करते हुए बताया कि संस्था में नाबालिग बच्चों के साथ दुराचार करने का मामला संज्ञान में आते ही भंते संजोय और उसके 4 सहयोगी बौद्ध भिक्षुओं को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। संस्था के करीब 15 नाबालिग बच्चों के बयान के आधार पर बोधगया थाना में पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। पूरे मामले की छानबीन की जा रही है। फिलहाल इस केंद्र के सभी बच्चों को बाल संरक्षण इकाई के चाइल्ड लाइन की देखरेख में एक दूसरे आश्रम में रखा गया है।

बाल भिक्षुओं ने बताया की मामूली बात पर उनकी पिटाई की जाती थी। बुखार रहने, तबीयत खराब होने पर दवाई नहीं मिलती थी और रात में नंगा कर कमरे में बुलाया जाता था। उसके बाद संस्था का संचालक संजोय उनके साथ गलत काम करता था। चाइल्ड लाइन के एक सदस्य ने बताया की जांच के दौरान पीड़ित 3 बाल बौद्ध भिक्षुओं का जननांग क्षत-विक्षत पाया गया और अन्य सभी पर भी हिंसा के निशान मिले हैं।

गौरतलब है कि इस मामले के सामने आने से 15 दिन पहले संस्था में रहने वाला एक बच्चा संचालक की प्रताड़ना से तंग आकर भाग निकला था। उसने असम में अपने घर पहुंचकर जब घटना की जानकारी अपने परिजनों को दी, तब पास में रहने वाले दूसरे बच्चों के परिजन भी अपने बच्चों को लेने बोधगया पहुंचे। बता दें कि पीड़ित बच्चों में अधिकांश बच्चे असम के रहने वाले हैं और सभी काफी गरीब परिवार से हैं। पढ़ाई के साथ-साथ बौद्ध शिक्षा के लिए उनके परिजनों ने उन्हें गया भेजा था।

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