PM मोदी और गृहमंत्री संविधान के सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रक्रियाओं को सुनियोजित तरीके से कर रहे कमजोर, कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार को कहा कि, संविधान अपनाए जाने के बाद आरएसएस की भूमिका संविधान पर हमला करने और उसे कमजोर करने की रही है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

संविधान दिवस पर कांग्रेस ने कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को घेरा है। कांग्रेस ने पीएम मोदी और अमित शाह पर आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने और संविधान के सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रक्रियाओं को कमजोर करने के भी आरोप लगाए हैं।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार को कहा कि, संविधान अपनाए जाने के बाद आरएसएस की भूमिका संविधान पर हमला करने और उसे कमजोर करने की रही है।

संविधान दिवस के अवसर पर जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "26 नवंबर 1949, शनिवार को संविधान सभा की बैठक सुबह 10 बजे डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में शुरू हुई। भारतीय संविधान के मसौदे को अंगीकार करने के प्रस्ताव पर औपचारिक मतदान होने से पहले-जिसे डॉ. आंबेडकर ने ठीक एक दिन पहले प्रस्तुत किया था - डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा को संबोधित किया।"


कांग्रेस नेता ने राजेंद्र प्रसाद और भारत के तत्कालीन गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी के भाषणों का उल्लेख किया।

उन्होंने लिखा, “संविधान सभा ने भारतीय संविधान बनाने के लिए सबसे पहले अपने ‘संदर्भ बिंदु’ तय किए, जिसे उद्देशिका प्रस्ताव (Objectives Resolution) के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर 1946 को एक प्रेरणादायक भाषण देकर प्रस्तुत किया था। यही प्रस्ताव अब हमारे संविधान की प्रस्तावना है। इसके बाद संवैधानिक समस्या से जुड़े विभिन्न पहलुओं से निपटने के लिए कई समितियों का गठन किया गया। डॉ. आंबेडकर ने इन समितियों के नाम भी बताए। इनमें से कई समितियों के अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू या सरदार पटेल थे -इसलिए संविधान की बुनियादी ढांचे का श्रेय स्वाभाविक रूप से उन्हीं को जाता है...”

डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने भाषण का समापन इन शब्दों के साथ किया:

 “…मैंने, शायद किसी और से अधिक, यह महसूस किया है कि ड्राफ्ट समिति के सदस्यों -और विशेष रूप से इसके अध्यक्ष डॉ. आंबेडकर -ने कैसे असाधारण उत्साह और समर्पण के साथ कार्य किया, जबकि उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती थी। हमारा उन्हें ड्राफ्ट समिति में नियुक्त करना और अध्यक्ष बनाना -यह हमारा सबसे सही निर्णय था। उन्होंने न केवल इस विश्वास को सार्थक किया, बल्कि अपने काम से इसे और अधिक प्रतिष्ठित बनाया…”


 उन्होंने आगे लिखा, "जब संविधान सभा संविधान को अपना रही थी, उसी समय भारत के तत्कालीन गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी गुवाहाटी में असम की जनता के स्वागत भाषण का उत्तर दे रहे थे। अपने संक्षिप्त वक्तव्य में वे गर्मजोशी से याद करते हैं।"

 “…भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से स्वतंत्र भारत के संविधान को बनाने में डॉ. आंबेडकर की अग्रणी भूमिका, अहिंसा की सबसे बड़ी विजय है। डॉ. आंबेडकर को यह ज़िम्मेदारी सौंपने के बारे में -जब मैं गवर्नर-जनरल नहीं था -यह मेरा अपना पहल था, जिसे पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल ने बड़े उदार और दूरदर्शी हृदय से तुरंत स्वीकार किया। इस निर्णय की स्मृति मैं जीवन भर गर्व से सँजोए रखूँगा…”

उन्होंने दावा किया, "यह सब भारत के संविधान निर्माण के इतिहास का हिस्सा है, जिसमें आरएसएस की कोई भूमिका नहीं थी। वास्तव में, संविधान अपनाए जाने के बाद आरएसएस की भूमिका संविधान पर हमला करने और उसे कमजोर करने की रही है। उसी भूमिका को आगे बढ़ाते हुए वर्तमान प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी सुनियोजित तरीके से संविधान के सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रक्रियाओं को कमजोर कर रहे हैं।’’

पीटीआई के इनपुट के साथ

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