'हमारा राष्ट्रवाद समाज को जोड़ता है, BJP-RSS का "छद्म राष्ट्रवाद” विभाजनकारी', अधिवेशन में पारित प्रस्ताव में कांग्रेस
कांग्रेस ने यह भी कहा कि कांग्रेस का राष्ट्रवाद देश की साझी विरासत में निहित है और बीजेपी-आरएसएस का राष्ट्रवाद पूर्वाग्रह से ग्रसित है।

कांग्रेस ने अपने अधिवेशन में पारित प्रस्ताव में बुधवार को कहा कि उसका राष्ट्रवाद समाज को जोड़ने वाला है, जबकि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का “छद्म राष्ट्रवाद” लोगों को विभाजित करना चाहता है।
पार्टी ने यहां साबरमती नदी के तट पर आयोजित अधिवेशन में पारित प्रस्ताव में राष्ट्रवाद और कई अन्य बिंदुओं को लेकर बीजेपी और आरएसएस को घेरा है।
प्रस्ताव में कहा गया है, "राष्ट्रवाद के मायने देश की भू-भागीय अखंडता तो है ही, पर इस महान भूभाग में रहने वाले लोगों का सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सशक्तीकरण भी है।"
कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रवाद का अर्थ सभी देशवासियों के लिए समान न्याय की अवधारणा है, वंचितों-पीड़ितों-शोषितों के अधिकारों की रक्षा और उत्थान है, सद्भावना और भाईचारे की डोर में देश को बांधना है तथा भारत के बहुलतावादी और उदारवादी आचार, विचार और व्यवहार से है।
उसने दावा किया, "कांग्रेस का राष्ट्रवाद समाज को जोड़ने का है। बीजेपी-आरएसएस का राष्ट्रवाद समाज को तोड़ने का है। कांग्रेस का राष्ट्रवाद भारत को अनेकता को एकता में पिरोने का है। बीजेपी-आरएसएस का राष्ट्रवाद भारत की अनेकता को खत्म करने का है।"
कांग्रेस ने यह भी कहा कि कांग्रेस का राष्ट्रवाद देश की साझी विरासत में निहित है और बीजेपी-आरएसएस का राष्ट्रवाद पूर्वाग्रह से ग्रसित है।
उसने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा, "जिन संगठनों ने ‘‘स्वतंत्रता संग्राम’’, विशेषतः ‘‘भारत छोड़ो आंदोलन’’ का विरोध किया, वही आज राष्ट्रवाद के प्रमाण पत्र बाँटने का ठेका लिए हुए हैं।"
कांग्रेस के प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि बीजेपी-आरएसएस का छद्म राष्ट्रवाद सिर्फ सत्ता का अवसरवाद है। उनकी प्राथमिकता राष्ट्रीयता नहीं, सिर्फ सत्ताप्रियता है। वो सत्ता को हथियाने और बरकरार रखने के लिए देश को धर्म, जाति, क्षेत्रवाद, भाषा, पहनावा, तथा खान-पान में बाँट रहे हैं। "
मुख्य विपक्षी दल ने कहा, "त्याग, बलिदान, बहुलतावाद, और उदारवाद का कांग्रेस का रास्ता ही भारतीय राष्ट्रवाद है।"
पीटीआई के इनपुट के साथ
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