कांग्रेस ने 'अग्निपथ स्कीम' पर उठाए सवाल, कहा- भारतीय सेनाओं की ‘ऑपरेशनल तैयारी’ से खिलवाड़ कर रही मोदी सरकार

कांग्रेस ने केंद सरकार के 'अग्निपथ स्कीम' पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस महासचिव और वरिष्ठ प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि यह निर्णय कहीं न कहीं तीनों सेनाओं की कार्यक्षमता, निपुणता, योग्यता, प्रभावशीलता और सामर्थ्य पर समझौता करने वाला है।

 फोटो: सोशल मीडिया
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रवि प्रकाश @raviprakash24

कांग्रेस ने केंद्र सरकार के 'अग्निपथ स्कीम' पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस महासचिव और वरिष्ठ प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि यह निर्णय कहीं न कहीं तीनों सेनाओं की कार्यक्षमता, निपुणता, योग्यता, प्रभावशीलता और सामर्थ्य पर समझौता करने वाला है। उन्होंने कहा कि सबसे चिंता का विषय है कि चार साल के बाद इन युवा सैनिकों के भविष्य का क्या होगा? यह सब तब किया जा रहा है, जब भारत के दो एक्टिव बॉर्डर हैं तथा देश पाकिस्तान और चीन के साथ जुड़ी सीमा पर लगातार संघर्षरत है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि, सैन्य विशेषज्ञों, तीनों सेनाओं के उच्चतम अधिकारियों और रक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने मोदी सरकार की इस पूरी स्कीम पर गहन चिंता जताई है। एक से अधिक सैन्य अधिकारियों और विशेषज्ञों ने कहा है कि मोदी सरकार का यह फैसला भारतीय सेनाओं की गरिमा, परंपरा, जुड़ाव की भावना और अनुशासन की परिपाटी के साथ खिलवाड़ है।


इस मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव ने मोदी सरकार से कई सवाल भी किए हैं। उन्होंने पूछा कि, 'जब देश की तीनों सेनाओं में 2,55,000 से अधिक पद खाली पड़े हैं। ऐसे में क्या चार साल की कॉन्ट्रैक्ट भर्ती से सेना की रेग्युलर भर्तियों की आवश्यकता पूरी हो सकती है? क्या मोदी सरकार तीनों सेनाओं की ‘ऑपरेशनल तैयारी’ से खिलवाड़ नहीं कर रही?'

कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार से पूछा, 'क्या इस पूरी ‘अग्निवीर स्कीम’ का लक्ष्य केवल और केवल तीनों सेनाओं के संख्याबल को हर साल 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत कम करना है? क्या यह स्कीम केवल तनख्वाह, पेंशन, हैल्थ बेनेफिट्स और कैंटीन सेवाओं आदि में कटौती करने के लक्ष्य से बनाई गई है? क्या इस वजह से दो साल से तीनों सेनाओं की भर्ती पर मोदी सरकार ने रोक लगा रखी है? अगर यह सही है, तो क्या यह देश की सुरक्षा के लिए सही संदेश है?


कांग्रेस ने अग्निवीरों की ट्रेनिंग को लेकर भी सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने कहा कि, नौसेना और वायुसेना के ज्यादातर पद टेक्निकल हैं और उन्हें एक स्पेशलिस्ट काडर की जरूरत है। इस स्पेशलिस्ट काडर में ट्रेनिंग की अवधि ही 1.5 से 2 साल है तथा कुछ समय एडवांस ईक्विपमेंट्स को जानने और समझने में भी लगता है। ऐसे में ट्रेनिंग कैसे देंगे और चार साल बाद इन ट्रेन किए गए लोगों को छोड़ेंगे कैसे? इसी प्रकार से थलसेना की आर्मर्ड, आर्टिलरी, टैंक, गन, इंजीनियरिंग ईक्विपमेंट्स, मिज़ाईल यूनिट्स आदि ब्रांचेस में भी टेक्निकल स्पेशलिस्ट और व्यापक तजुर्बे की आवश्यकता है। तीन महीने में ट्रेन किए गए और कुल चार साल के कॉन्ट्रैक्ट पर लगाए सैनिक किस प्रकार से थल सेना की इस जरूरत को पूरा कर पाएंगे?

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