अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का सबब, जुलाई में वेतनभोगी वर्ग के 50 लाख लोगों की गईं नौकरियां

लॉकडाउन हटने से स्थिति बेहतर होने की उम्मीद थी लेकिन जुलाई महीने में देश के कई राज्यों में नए सिरे से लॉकडाउन लागू होने की वजह से 50 लाख लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कोरोना वायरस हर वर्ग के लोगों पर कहर बनकर टूटा है। व्यवसाई से लेकर नौकरी पेशा हर वर्ग इस वायरस के चपेट में है। व्यवसाई वर्ग का जहां धंधा मंदा हो गया है, वहीं नौकरियां जाने का सिलसिला थम नहीं रहा। कोरोना के कारण अब तक करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई है। हालांकि लॉकडाउन हटने से स्थिति बेहतर होने की उम्मीद थी लेकिन जुलाई महीने में देश के कई राज्यों में नए सिरे से लॉकडाउन लागू होने की वजह से 50 लाख लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी हैं।

बता दें कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) ने अपने रिपोर्ट में बताया है कि कोरोना काल में अब तक करीब दो करोड़ लोगों का रोजगार छीन गया है। CMIE डाटा के मुताबिक अब तक इस संकट के चलते 18.9 मिलियन यानी करीब 1.9 करोड़ लोगों को अपना रोजगार खोना पड़ा है। अब भी सैलरीड क्लास की नौकरियां जाना चिंता की वजह बना हुआ है। CMIE डाटा के अनुसार अप्रैल, 2020 में 1.8 करोड़ लोगों को अप्रैल महीने में नौकरियां गंवानी पड़ी थी। हालांकि मई में यह आंकड़ा कम होते हुए 1 लाख पर आ गया था।


जून महीने में लॉकडाउन में छूट की घोषणा की गई थी, जिसका असर रोजगार पर भी देखने को मिला था और इस महीने में 39 लाख लोगों को नौकरियां वापस मिली थीं। लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप की वजह से कई राज्यों में लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई गई है और कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए गए हैं, जिसके चलते जुलाई में 50 लाख लोगों को रोजगार खोना पड़ा है। CMIE डाटा के अनुसार लॉकडाउन की शुरुआत से लेकर 31 जुलाई के बीच देश में करीब 1.9 करोड़ लोगों के रोजगार पर मार पड़ी है।

अनलॉक के दौरान स्थिति में और सुधार की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन जुलाई में उम्मीद के उलट बड़े पैमाने पर नौकरियां छिनने के चलते चिंता गहरी हो गई है। जनसत्ता के मुताबिक रिपोर्ट में सबसे ज्यादा चिंता सैलरीड क्लास में नौकरियां जाने को लेकर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ग में नौकरियां आमतौर पर नहीं जाती हैं, लेकिन रोजगार छिनने के बाद दोबारा अवसर मिलना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसे में इस वर्ग में नौकरियां जाना अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चिंता का सबब है। लॉकडाउन खुलने के बाद इकॉनमी में रिकवरी की उम्मीद की जा रही है, ऐसे में सैलरीड क्लास को झटका चिंता का कारण बन रहा है।

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