गौ-रक्षा के नाम पर हिंसा : मई 2014 के बाद तेजी से बढ़ी हैं वारदातें

बीते 8 सालों में गौ-रक्षा के नाम पर होने वाली वारदातों में से 97 फीसदी केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद हुई हैं।

फोटो : Getty Images
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नवजीवन डेस्क

राजस्थान पुलिस ने कथित गौ-रक्षकों के हाथों मारे गए पहलू खान के केस में सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी। इसी संदर्भ में गौ-रक्षा के नाम पर जारी हिंसक वारदातों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि बीते 8 साल में गाय से जुड़ी जितनी भी घटनाएं हुई हैं, उनमें से 45 फीसदी तो अकेले इसी साल यानी 2017 में ही हुई हैं। और बीते 8 सालों में गौ-रक्षा के नाम पर होने वाली वारदातों में से 97 फीसदी केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद हुई हैं।

इस साल का पहला मामला अप्रैल 2017 को सामने आया था जिसमें हरियाणा के रहने वाले पहलू खान को कथित गौ-रक्षकों ने राजस्थान के अलवर जिले में बेरहमी से पीटा था, जिससे उनकी मौत हो गयी थी।

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हिंसा : मई 2014 के बाद तेजी से बढ़ी हैं वारदातें

पहलू खान हत्याकांड में जब आरोपियों को क्लीन चिट दिए जाने की खबरें सामने आईं तो सामाजिक कार्यकर्ताओँ ने पहलू खान के गांव जाने की योजना बनाई, लेकिन हिंदुत्ववादी दक्षिणपंथी संगठनों ने उन्हें ऐसा न करने की चेतावनी दी।

दरअसल राजस्थान की सीआईडी – सीबी ने अलवर पुलिस को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें पहलू खान कांड के आरोपी ओम यादव, हुकुम चंद यादव, सुधीर यादव, जगमाल यादव, राहुल सैनी और नवीन शर्मा को क्लीन चिट दे दी। इन छह में से तीन आरोपी हिंदुत्ववादी दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े हैं। यहां यह जानना जरूरी है कि पहलू खान ने मृत्युपूर्व बयान में इन सभी लोगों के नाम लिए थे। ये छह आरोपी फरार थे और इनके बारे में सूचना देने पर 5000 रुपए के इनाम का ऐलान किया गया था। लेकिन सीबी-सीआडी की रिपोर्ट के बाद अलवर पुलिस ने इस इनाम को भी रद्द कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सीबी-सीआईडी की रिपोर्ट रथ गौशाला के स्टाफ के बयान पर तैयार की है। ये गौशाला वारदात की जगह से 4 किलोमीटर दूर है।

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गौरतलब है कि 6 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे अपराध रोकने के लिए हर जिले में एक नोडल अफसर तैनात करने के निर्देश दिए थे।

इंडिया स्पेंड के एक विश्लेषण के मुताबिक 2010 से सितंबर 2017 तक गौ-रक्षा के नाम पर हिंसा की जितनी भी घटनाएं हुई हैं, उनमें से 45 फीसदी वारदातें अकेले इसी साल हुई हैं। इन वारदातों में जिन लोगों को निशाना बनाया गया उनमें से 53 फीसदी मुसलमान हैं। इतना ही नहीं इन घटनाओं में जितने भी लोग मारे गए उनमें से 87 फीसदी मुसलमान हैं।

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विश्लेषण में कहा गया है कि गौ-रक्षा के नाम पर सबसे ज्यादा हत्याएं पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश में हुई हैं। रोचक तथ्य यह भी सामने आया है कि इन सभी में से 46 फीसदी मामलों में पुलिस ने पीड़ितों के खिलाफ ही मामला दर्ज किया है।

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हिंसा : मई 2014 के बाद तेजी से बढ़ी हैं वारदातें

इंडियास्पेंड ने अंग्रेजी मीडिया में आने वाली खबरों के विश्लेषण के बाद कहा है कि 2010 से अब तक जितनी वारदातें हुई हैं, उनमें से 97 फीसदी वारदातें मई 2014 के बाद यानी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हुई हैं। इसके अलावा गौ-रक्षा के नाम पर हुई हिंसा की वारदातों में से 52 फीसदी बीजेपी शासित राज्यों में हुई हैं।

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