मध्यप्रदेश बीजेपी में टूट, नर्मदा क्षेत्र में सामूहिक इस्तीफों का दौर

एक तरफ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जलोत्सव का उद्घाटन कर रहे हैं को दूसरी तरफ सरदार सरोवर बांध से बने डूब क्षेत्र के इलाके से ताल्लुक रखने वाले बीजेपी के नेता पार्टी छोड़ रहे हैं।

शिवराज सिंह चौहान/ फोटो: Getty Images
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भाषा सिंह

इन दिनों मध्यप्रदेश में और खासतौर से नर्मदा घाटी के इलाके में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खिलाफ जबर्दस्त असंतोष पनप रहा है। एक तरफ वह जलोत्सव कर रहे हैं, वहीं सरदार सरोवर बांध से बने डूब क्षेत्र के इलाके से ताल्लुक रखने वाले बीजेपी के नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। हर इस्तीफा-पत्र पर 25-30 लोग हस्ताक्षर कर रहे हैं। इस्तीफे में पार्टी नेता बकायदा शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार से इस पूरे मामले की अनदेखी करने और नर्मदा बचाओ आंदोलन में शिरकत करने वाले बीजेपी नेताओं की बात न सुनने का आरोप लगा रहे हैं।

मध्यप्रदेश बीजेपी में टूट, नर्मदा क्षेत्र में सामूहिक इस्तीफों का दौर

बड़वानी, धार, अलीराजपुर आदि जिलों में यह आक्रोश पिछले दो महीनों से जोर पकड़ रहा है। कड़माल, खापरखेड़ा, एकलवाड़ा, मुनावर और निसरपुर गांव में सामुहिक इस्तीफे हुए हैं। धार जिले के कड़माल में पूरी इकाई ने ही इस्तीफा दे दिया है। इस बारे में मुनावर गांव के जगदीश पाटीदार ने बताया, “शिवराज सिंह चौहान ने न सिर्फ हमारे घर-गांव को डुबो दिया, बल्कि हमारे ऊपर दर्जनों एफआईआर भी करवा दी। इस पूरे इलाके में 2,500 लोगों के ऊपर एफआईआर कराई गई है। कई बीजेपी के नेताओं को भी जेल में डाल दिया। एक बात साफ है कि ये इलाका किसी भी सूरत में बीजेपी को वोट नहीं देगा।”

मध्यप्रदेश बीजेपी में टूट, नर्मदा क्षेत्र में सामूहिक इस्तीफों का दौर

दूसरी तरफ इंदौर से करीब 150 किलोमीटर दूर खंडवा जिले में इंदिरा सागर बांध के बैक वाटर में बने हनुमंतिया द्वीप में जलोत्सव शुरू हुआ। जलोत्सव का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कैंप से बमुश्किल100 मीटर दूर स्थित आलीशान शामियानों में आग लग गई और तीन टेंट जलकर खाक हो गए। यह भीषण आग ज्यादा फैल सकती थी, लेकिन समय पर हस्तक्षेप करने से बड़ी दुर्घटना होने से रह गई। मुख्यमंत्री के करीबियों के अनुसार इस दुर्घटना का गहरा असर मुख्यमंत्री पर पड़ा है। ऐसा कहा जा रहा है कि वे जल्द ही एक बड़ा निजी धार्मिक अनुष्ठान करने जा रहे हैं ताकि पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष पर काबू पाया जा सके और अपने आसपास होने वाले किसी तरह के अनिष्ट को टाला जा सके। इससे पहले भी इस तरह की छोटी-बड़ी दुर्घटनाओं के बाद पूजा-अनुष्ठान के जरिए ग्रहों की दशा-दिशा को दुरूस्त करने का उपक्रम शिवराज सिंह चौहान करते रहे है।

मध्यप्रदेश बीजेपी में टूट, नर्मदा क्षेत्र में सामूहिक इस्तीफों का दौर

ये तमाम घटनाक्रम निश्चित तौर पर शिवराज सिंह के लिए शुभ संकेत नहीं है। सवाल यह उठता है कि वे इन तमाम संकटों से बचाव के लिए पूजा-पाठ के अलावा क्या कुछ और उपक्रम भी करेंगे?

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Published: 18 Oct 2017, 1:25 PM