अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटीं, पर जनता को नहीं मिली राहत: कांग्रेस सांसद ने सरकार से पूछे सवाल
उच्च सदन में कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने तेल क्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक 2024 पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि सरकार आखिर यह विधेयक क्यों ला रही है, यह बात पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है।

सरकार पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को एक-एक कर बंद करने का आरोप लगाते हुए विपक्ष ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटने के बावजूद आम आदमी को कोई राहत नहीं दी गई। वहीं सत्ता पक्ष ने कहा कि बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में देश को तेल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना तथा आयात पर निर्भरता कम करना समय की मांग है।
उच्च सदन में कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने तेल क्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक 2024 पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि सरकार आखिर यह विधेयक क्यों ला रही है, यह बात पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने तेल क्षेत्र (नियमन एवं विकास) संशोधन विधेयक 2024 सदन में चर्चा करने एवं पारित करने के लिए पेश किया।
विधेयक पर चर्चा में हिस्सा ले रहे गोहिल ने आरोप लगाया कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को घाटे या अन्य कारणों का हवाला दे कर बंद कर रही है लेकिन भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए प्रावधानों को कठोर नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में मध्यस्थ का प्रावधान भ्रष्टाचार की समस्या को ही बढ़ाएगा।
गोहिल ने कहा ‘‘यह प्रतिस्पर्धा का दौर है। अगर कोई समूह खुद अपने संसाधनों का इस्तेमाल कर तेल की खोज करना चाहता है तो उसे क्यों अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उसे यह कैसे कहा जा सकता है कि वह अपने आंकड़े दूसरों के साथ साझा करे।’’
उन्होंने कहा ‘‘विवादों के समाधान के लिए अब तक चला आ रहा प्रावधान पर्याप्त और उपयोगी है, उसे सरकार को खत्म नहीं करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा ‘‘जिस कुएं से तेल और गैस निकाला जाता है, विशेषज्ञों के अनुसार, उसकी स्थिति अच्छी होनी चाहिए ताकि बरसों तक उससे तेल और गैस निकाली जा सके। लेकिन कैग की रिपोर्ट में हमारे मुंबई हाई के कुओं की हालत अच्छी नहीं बताई गई है।’’
गोहिल ने कहा कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि कैग ने इस समस्या की वजह से ओएनजीसी को बड़ा नुकसान होने की बात कही है।
तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए दावा किया कि पिछली लोकसभा में सरकार ने कई विधेयक जल्दबाजी में, चर्चा किए बिना या संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित कर दिया। उन्होंने कहा ‘‘उम्मीद है कि इस लोकसभा में ऐसा नहीं होगा।’’
उन्होंने कहा ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम कहीं सरकार के विकसित भारत के तथाकथित सपने की भेंट न चढ़ जाएं।’’
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम हो गईं लेकिन देश के नागरिकों को एक रुपये की भी राहत नहीं दी गई। यह स्थिति तब है जब तेल कंपनियों ने भरपूर मुनाफा कमा लिया।
सेन ने कहा ‘‘हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि सरकार देशवासियों पर तेल का बोझ कम करने की बात करती है लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बाद उन्हें राहत क्यों नहीं देती।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के तमाम दावों के बावजूद मुद्रास्फीति पर लगाम नहीं लग पा रही है।
द्रविड़ मुनेत्र कषगम सदस्य एन आर इलांगो ने कहा कि यह संशोधन विधेयक लाने से पहले सरकार को सभी विपक्षी दलों के साथ विचार विमर्श करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यह विधेयक जिस उद्देश्य को लेकर प्रवर समिति के पास भेजा गया था, क्या वह उद्देश्य पूरा हो पाया है?
उन्होंने कहा कि ‘माइनिंग लीज’ शब्द को ‘पेट्रोलियम लीज’ से बदलने से क्या होगा? ‘‘हम बुनियादी जरूरतों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, केवल नाम बदलाव से भ्रम की स्थिति होती है। यह बदलाव केवल राज्यों के अधिकार छीनने के लिए किया गया है। ’’
इलांगो ने आरोप लगाया कि यह संविधान का उल्लंघन है।
वाईएसआरसीपी के येर्रम वेंकट सुब्बा रेड्डी ने कहा कि विधेयक में खनिज तेलों की परिभाषा का विस्तार करते हुए इसमें कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, कंडेनसेट, कोल बेड मीथेन, ऑयल शेल, शेल गैस, शेल ऑयल, टाइट गैस, टाइट ऑयल और गैस हाइड्रेट को शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि ‘पेट्रोलियम लीज’ एक नयी अवधारणा है जिसके बारे में सरकार को अधिक स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंध्रप्रदेश तेल उत्पादक राज्य है और ऐसे राज्यों के लिए सरकार अवसंरचना से लेकर और क्या सुविधाएं देना चाहेगी।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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