दिल्ली आबकारी मामला: केजरीवाल की अंतरिम जमानत सात दिनों तक बढ़ाने का अनुरोध, अदालत एक जून को सुनवाई करेगी
उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री ने बुधवार को केजरीवाल की याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था, जिसमें उन्होंने कुछ चिकित्सकीय जांच कराने के लिए अपनी अंतरिम जमानत सात दिनों तक बढ़ाने का अनुरोध किया था।
![फोटोः IANS](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2024-01%2F3e3e11a4-7d19-4a04-9e3b-62b1e27644f7%2FKejriwal.jpg?rect=0%2C0%2C952%2C536&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत कथित आबकारी घोटाले से संबंधित एक धनशोधन मामले में चिकित्सा के आधार पर एक सप्ताह की अंतरिम जमानत के अनुरोध वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर शनिवार को सुनवाई कर सकती है।
विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने 30 मई को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को निर्देश दिया था कि वह एक जून तक केजरीवाल की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करे।
उच्चतम न्यायालय की ओर से मंजूर की गयी अंतरिम जमानत की अवधि एक जून को ही समाप्त हो रही है।
अदालत ने ईडी को इस मामले में केजरीवाल की नियमित जमानत याचिका पर सात जून तक जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया था।
उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री ने बुधवार को केजरीवाल की याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया था, जिसमें उन्होंने कुछ चिकित्सकीय जांच कराने के लिए अपनी अंतरिम जमानत सात दिनों तक बढ़ाने का अनुरोध किया था।
रजिस्ट्री ने यह कहा था कि चूंकि उन्हें नियमित जमानत के लिए निचली अदालत जाने की आजादी दी गयी थी, इसलिए संबंधित याचिका विचारणीय नहीं थी।
आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने ‘‘अचानक और अस्पष्ट तरीके से वजन घटने के साथ-साथ उच्च कीटोन स्तर’’ के मद्देनजर पीईटी-सीटी स्कैन सहित कई मेडिकल जांच के लिए अपनी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की मांग की थी। कीटोन के स्तर में वृद्धि किडनी, गंभीर हृदय संबंधी बीमारियों और यहां तक कि कैंसर का संकेत दे सकती है।
शीर्ष अदालत ने 10 मई को मुख्यमंत्री को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने के लिए 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी।
इसने उन्हें सात चरणों के चुनाव के अंतिम चरण के एक दिन बाद यानी दो जून को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।
यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है। यह नीति अब निरस्त की जा चुकी है।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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