चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का मामला, सुनवाई से हटे CJI, पैनल से हटाने पर कांग्रेस ने याचिका लगाई

केंद्र सरकार के इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर ने याचिका दायर की है। इस विवाद के बावजूद केंद्र ने ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया था।

फोटो: सोेशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का मामला उलझता ही जा रहा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया है। अब इस मामले के लिए अलग बेंच का गठन किया गया है, जिसकी सुनवाई 6 जनवरी से शुरू होगी। गौरतलब है कि 2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति तीन सदस्यीय पैनल की तरफ से की जाएगी। इसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल होंगे।

सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने यह फैसला सुनाया था। इसमें वर्तमान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल थे। हालांकि 21 दिसंबर 2023 को सरकार ने एक नया विधेयक पारित किया, जिसमें चीफ जस्टिस को पैनल से हटा दिया गया और उनकी जगह एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया। इसे प्रधानमंत्री चुनेंगे।


केंद्र सरकार के इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर ने याचिका दायर की है। इस विवाद के बावजूद केंद्र ने ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया था।

इस फैसले के बाद केंद्र सरकार ने नया कानून लाया। जिसके तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।

पैनल से चीफ जस्टिस को बाहर रखा गया था। 21 दिसंबर 2023 को शीतकालीन सत्र के दौरान यह बिल दोनों सदनों में पास हो गया। इस कानून पर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में एक आदेश में कहा था कि चीफ जस्टिस की नियुक्ति प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और विपक्ष के नेता की सलाह पर राष्ट्रपति करें।


कांग्रेस ने केंद्र के इस नए कानून को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन बताया था। कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर ने इससे संबंधित एक याचिका दायर की है। जया ठाकुर ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि धारा 7 और 8 स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत का उल्लंघन है क्योंकि यह चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र तंत्र प्रदान नहीं करता है।

याचिका में यह कहा भी गया है कि यह कानून सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले को पलटने के लिए बनाया गया, जिसने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त को एकतरफा नियुक्त करने की केंद्र सरकार की शक्तियां छीन ली थीं। यह वो प्रथा है जो देश की आजादी के बाद से चली आ रही है।

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