हैदराबाद में होने वाला इंडियन साइंस कांग्रेस स्थगित, छात्रों द्वारा पीएम मोदी का विरोध किये जाने का था डर

छात्रों द्वारा पीएम मोदी का विरोध किये जाने की संभावना को देखते हुए हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले इंडियन साइंस कांग्रेस के 105वें अधिवेशन को स्थगित कर दिया गया है।

फोटोः ISCA की वेबसाइट
फोटोः ISCA की वेबसाइट
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महेन्द्र पांडे

इंडियन साइंस कांग्रेस का 105वां अधिवेशन 3 से 7 जनवरी, 2018 तक उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद में होना तय था, पर 22 दिसंबर को अचानक इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के वेबसाइट पर जारी एक नोटिस के अनुसार यह अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया हैI कारण बताया गया कि "कैंपस के अंदरूनी वजहों से" 1914 में शुरू किये गए इंडियन साइंस कांग्रेस के इतिहास में पहली बार इसे स्थगित किया गया है। माना जा रहा है कि इसके पीछे असल वजह यह है कि छात्रों के कुछ संगठन प्रधानमंत्री के सामने आंदोलन करने का मन बना रहे थे।

इंडियन साइंस कांग्रेस का आयोजन इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन करता है, जो भारत सरकार के साइंस और टेक्नोलॉजी मंत्रालय के अधीन है। इतना तो निश्चित है कि आयोजकों के लिए भारतीय विज्ञान का कोई मतलब नहीं है और न ही सरकार विज्ञान के प्रति संवेदनशील हैI

फोटोः फोटोः ISCA की वेबसाइट
फोटोः फोटोः ISCA की वेबसाइट
इंडियन साइंस कांग्रेस की वेबसाइट पर जारी नोटिस की कॉपी

प्रति वर्ष होने वाले साइंस कांग्रेस में भाग लेना और उसमें पेपर प्रस्तुत करना हर भारतीय वैज्ञानिक का सपना होता है और इसे विज्ञान का कुम्भ माना जाता रहा है। इसकी शुरुआत ब्रिटेन के दो वैज्ञानिकों - जे एल सिम्पसन और पी एस मैक्मोहन ने 1914 में की थीI पहला कांग्रेस कोलकाता में एशियाटिक सोसाइटी में आयोजित किया गया था। कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति सर आसुतोष मुखर्जी इसके अध्यक्ष थे, इसमें 105 वैज्ञानिकों ने 35 शोध पत्र प्रस्तुत किये थे। साल 2000 तक इसमें हजारों वैज्ञानिक शामिल होने लगेI

1938 में इसका रजत जयंती वर्ष था और तत्कालीन अध्यक्ष लार्ड रादरफोर्ड की अचानक मृत्यु  के बाद भी इसे स्थगित नहीं किया गया थाI 1947 के कांग्रेस में पंडित जवाहर लाल नेहरु अध्यक्ष थे और विज्ञान और प्रोद्योगिकी में उनकी रूचि का यह आलम था कि हरेक सत्र में वे मौजूद रहेI 1976 में डॉ. एमएस स्वामीनाथन ने एक केंद्रीय विषय की शुरुआत की। इसी कड़ी में 2018 का विषय था, "विज्ञान और प्रोद्योगिकी द्वारा पहुंच से दूर लोगों तक पहुंचना।"

साइंस कांग्रेस की परंपरा के अनुसार प्रधान मंत्री इसकी शुरुआत करते हैं और राष्ट्रपति इसका समापनI साइंस कांग्रेस को स्थगित  करना वर्तमान सरकार द्वारा विज्ञान की उपेक्षा का कोई पहला उदहारण नहीं हैI विभिन्न मंत्रालय पहले भी अनेक अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रों को बिना कारण बताये  खारिज कर चुके हैंI इस सरकार के आने के बाद से वास्तविक विज्ञान में शोध अपने पतन की ओर अग्रसर हैI इतना तो तय है कि वर्ष 2018 का साइंस कांग्रेस विज्ञान की उपलब्धियों के लिए नहीं, बल्कि एक प्रधानमंत्री का छात्रों द्वारा विरोध किये जाने के डर के कारण स्थगित करने के लिए याद किया जायेगाI

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