यूपी: सारी बाधाओं को तोड़कर मुजफ्फरनगर और बिजनौर की लड़कियों ने खेलों में हासिल की कई बड़ी उपलब्धियां

उत्तर प्रदेश की चार लड़कियों ने खेल के मैदान में ऐसी मिसाल पेश की है, जिसे देखकर उनके जज्बे को पूरा देश सलाम कर रहा है। इन लड़कियों में शीरीन फातिमा, वाजिदा, अक्सा मुशब्बिर और नगमा का नाम शामिल है।

फोटो: नवजीवन
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आस मोहम्मद कैफ

उत्तर प्रदेश की चार लड़कियों ने समाज के रीति-रिवाजों को तोड़कर खेल के मैदान में ऐसी मिसाल पेश की है, जिसे देखकर उनके जज्बे को पूरा देश सलाम कर रहा है। छोटे कस्बों और गांवों से आने वाली इन लड़कियों ने वह कर दिखाया है, जिसकी लोग उम्मीद नहीं कर रहे थे। इन लड़कियों में शीरीन फातिमा, वाजिदा, अक्सा मुशब्बिर और नगमा का नाम शामिल है।

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शीरीन फातिमा और नगमा

शीरीन फातिमा इस समय जम्मू-कश्मीर में हैं, और रोहतक यूनिवर्सिटी की ओर से वूमेन युनिवर्सिटी क्रिकेट लीग में खेल रही हैं। 19 साल की शीरीन यूपी के हॉकी और क्रिकेट दोनों ही टीमों में खेल चुकी हैं। फिलहाल उन्होंने हॉकी खेलना बंद कर दिया है और क्रिकेट में अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं। बिजनौर स्टेडियम में शीरीन लड़कों के साथ अभ्यास करती हैं और अपने शानदार खेल से सभी को आकर्षित कर रही हैं। हाल ही में बरेली विश्वविद्यालय के खिलाफ उन्होंने शानदार शतक लगाया था। यूपी की अंडर-19 वीमेन्स क्रिकेट टीम में खेल रही शीरीन तेज गेंदबाजी भी करती हैं। शीरीन फातिमा कहती हैं, “क्रिकेट में दो साल के अंदर वहां पहुंच गई हूं, जहां पहुंचने के लिए हॉकी में 10 साल लगे थे।” वे मानती हैं कि क्रिकेट में ग्लैमर भी ज्यादा है।

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मेडल के साथ वाजिदा

मुजफ्फरनगर की रहने वाली 14 साल की वाजिदा खानाबदोश कलंदर समुदाय से आती हैं। 9वीं क्लास में पढ़ने वाली वाजिदा कहती हैं, “मेरे आसपास की डेढ़ से दो लाख की कलंदर बिरादरी में कोई भी लड़की छठी क्लास से ज्यादा नहीं पढ़ पाई है। सिर्फ मैं पढ़ रही हूं।” वाजिदा जिला कुश्ती प्रतियोगिता की विजेता हैं और मंडलीय डिस्कस थ्रो की चैम्पियन भी हैं। फिलहाल वह 30 मीटर तक तश्तरी फेंक रही हैं, जबकि इस वर्ग में राज्य में 26 मीटर का रिकॉर्ड है। खास बात यह है कि वाजिदा ने यह उपलब्धि बिना कोच और पूरे खुराक के हासिल की है। वे अपने मीरापुर के स्कूल की स्टार हैं। वाजिदा कच्चे मकान में रहती हैं।

यूपी की वीमेन्स हॉकी टीम में खेल रही बैक हैंड की बेहतरीन खिलाड़ी अक्सा मुशब्बिर बेहद प्रतिभावान हैं। वे सेंटर फॉरवर्ड की खिलाड़ी हैं। लखनऊ में उनके अच्छे खासे प्रशंसक हैं। इस वक्त देश में होने वाले लगभग सभी हॉकी मुकाबलों में उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। अक्सा बिजनौर के काजीपाड़े की रहने वाली हैं। उनके पिता मुशब्बिर कहते हैं, “बेटी के खेल में दम है और वह मेरा नाम रोशन कर रही है।” अक्सा भारतीय वीमेंस हॉकी टीम में जगह पाने के लिए मजबूत दावेदार हैं। वे कहती हैं, “बस एक मौका चाहिए, फिर मैं रहूंगी और मेरी स्टिक।”

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अक्सा मुशब्बिर

बिजनौर की रहने वाली नगमा की कहानी सबको प्रेरित करती है। उन्होंने 9वीं क्लास से हॉकी स्टिक पकड़ी और अपनी मेहनत और शानदार खेल की बदौलत वे यूपी के बेहतरीन सेंटर फॉरवर्ड खिलाड़ियों में से एक बन गईं। वीमेन्स हॉकी इंडिया की मौजूदा कप्तान रामपाल को पीछे छोड़कर किए गए गोल की याद नगमा के चेहरे पर मुस्कान ले आती है। नगमा बिजनौर की पहली लड़की हैं जिन्होंने मुश्किल हालात और तमाम दकियानूसी बातों को दरकिनार करते हुए हॉकी में राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन किया। कभी भारतीय वीमेन्स टीम में सबा अंजुम का विकल्प कही जाने वाली 26 साल की नगमा फिलहाल बिजनौर स्टेडियम में जूनियर खिलाड़ियों को हॉकी सिखाती हैं। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने जब नगमा का चयन किया था तब वह सिर्फ 14 साल की थीं। मेरठ में हुए इंटरस्कूल हॉकी चैम्पियनशिप में वे वीमेन ऑफ टूर्नामेंट बनीं। नगमा कहती हैं, “इस बेहतर खेल के बाद मेरा चयन हुआ था, मैं सबा अंजुम जैसी खिलाड़ी बनना चाहती थी, लेकिन खेल के अंदर की राजनीति ने मेरा करियर खत्म कर दिया।”

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हॉकी स्टिक के साथ नगमा

शीरीन फातिमा कहती हैं, “नगमा मेरी सीनियर हैं और दोस्त भी, जब उनके साथ हुई यह राजनीति मैंने देखी तो मैं क्रिकेट खेलने लगी, लेकिन गड़बड़ी क्रिकेट में भी है।” नगमा, शीरीन, अक्सा और वाजिदा इन सभी लड़कियों की कामयाबी का राज यह है कि उनके परिवारवालों ने उन्हें बहुत समर्थन दिया। शीरीन फातिमा के पिता बड़े व्यापारी हैं और नगमा का परिवार खुले विचारों का है। बिजनौर की नाहिद फातिमा कहती हैं कि इन लड़कियों ने दूसरी लड़िकयों के लिए मिसाल पेश की है और बहुत से बंद दरवाजों को खोल दिया है।

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