आजादी के पहले और बाद के भारत की तस्वीरें लेने वाली देश की पहली महिला फोटोग्राफर होमी व्यारावाला को गूगल ने किया याद 

आजादी के पहले और बाद के भारत के कई ऐतिहासिक क्षणों को कैमरे में कैद करने वाली होमी व्यारावाला को उनके 104वां जन्मदिनगूगल ने अपने डूडल के जरिए याद किया।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सर्च इंजन गूगल ने अपने एक डूडल के जरिये भारत की पहली महिला फोटोग्राफर होमी व्यारावाला को उनके जन्मदिन पर श्रद्धांजलि दी है। गूगल ने उन्हें ‘फर्स्ट लेडी ऑफ द लेंस’ के तौर पर सम्मानित करते हुए उनका डूडल पेश किया है। देश की पहली महिला फोटोग्राफर होमी व्यारावाला का जन्म 9 दिसंबर 1913 को गुजरात के नवसारी में एक मध्यम वर्गीय पारसी परिवार में हुआ था। मुंबई में पली बढ़ीं व्यारावाला ने शुरुआती फोटोग्राफी अपने दोस्त मानेकशां व्यारवाला से सीखी और फिर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया, जहां से उन्होंने फोटोग्राफी की बारीकियां सीखी।

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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तस्वीर लेती होमी व्यारावाला

होमी व्यारावाला ने 1930 में फोटोग्राफी के क्षेत्र में कदम रखा और इस क्षेत्र में ऐसी छाप छोड़ी जिसकी यादें आज भी सबके के जहन में जिंदा हैं। जिस दौर में व्यारावाला ने फोटोग्राफी की दुनिया में कदम रखा था उस वक्त कैमरा अपने आप में बेहद नई चीज थी। व्यारावाला की पहली तस्‍वीर बॉम्बे क्रॉनिकल में प्रकाशित हुई थी, जिसके लिए उन्हें प्रति फोटो एक रुपये मिला था। उनकी तस्वीरें टाईम, लाईफ और दि ब्‍लैक स्‍टार जैसे कई अंतर्राष्‍ट्रीय प्रकाशनों में फोटो कहानियों के रूप में प्रकाशित हुईं।

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अपने कैमरे के साथ होमी व्यारावाला

होमी व्यारावाला ब्रिटिश सूचना सेवा में एक कर्मचारी थीं। उन्होंने स्‍वतंत्रता के दौरान देश की कई तस्वीरें लीं। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद व्यारावाला ने इलस्‍ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया मैगजीन के लिए काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने इस मैगजीन के लिए 1970 तक काम किया। पति की मौत के बाद उन्होंने फोटोग्राफी छोड़ दी। 1973 में व्यारावाला वडोदरा आकर रहने लगीं। पूरी जिंदगी वह अकेले ही रहीं। साल 2011 में होमी व्यारवाला को भारत सरकार ने ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया। उन्होंने तीन दशक से अधिक समय तक फोटोग्राफी की।

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पद्म विभूषण सम्मान लेती हुईं होमी व्यारावाला

होमी व्यारावाला ने अपने कार्य के दौरान जो तस्वीरें लीं उनसे देश की कई यादें जुड़ी हुई हैं। अपनी तस्वीरों के जरिये व्यारावाला ने परिवर्तशील राष्ट्र के सामाजिक तथा राजनैतिक जीवन को दर्शाया। उनकी खींची तस्वीरों में पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर लॉर्ड माउन्टबेटन और दलाई लामा के भारत में प्रवेश से जुड़ी तस्वीरें शामिल हैं। व्यारावाला ने 16 अगस्त 1947 को लाल किले पर पहली बार फहराये गए तीरंगा, भारत से लॉर्ड माउन्टबेटन के विदाई, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री की अंतिम यात्राओं की तस्वीरें भी अपने कैमरे में कैद की।

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होमी व्यारावाला

बताया जाता है कि 2012 में होमी व्यारवाला अपने घर की सीढ़ियों से गिर गई थीं, जिससे उन्हें कूल्हे में गंभीर चोट आ गई। इस हादसे के बाद पड़ोसियों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया था। उन्हें सांस लेने में भी काफी दिक्कत हो रही थी, जिसके बाद इलाज के दौरान ही 15 जनवरी 2012 को उनका निधन हो गया। होमी व्यारावाला भले ही आज हमारे बीच ना हों लेकिन वह अपने किए गए कार्यों के जरिए आज भी सभी के दिलों में जिंदा हैं।

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Published: 09 Dec 2017, 1:18 PM