भारत-श्रीलंका क्रिकेट में प्रदूषण की वजह से हुई अंतर्राष्ट्रीय बदनामी

फिरोजशाह कोटला मैदान पर दिल्ली के वायु प्रदूषण के मामले पर अंतर्राष्ट्रीय बदनामी के बाद पीएमओ ने प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव नृपेन्द्र मिश्रा की अगुवाई में एक पैनल का गठन कर जल्दीबाजी में मीटिंग की।

फोटो: सोशल मीडिया
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महेन्द्र पांडे

3 दिसम्बर, 2017 को फिरोजशाह कोटला मैदान पर दिल्ली के वायु प्रदूषण के मामले पर अंतर्राष्ट्रीय बदनामी के बाद पीएमओ ने प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव नृपेन्द्र मिश्रा की अगुवाई में एक पैनल का गठन कर जल्दीबाजी में एक मीटिंग की। इस मीटिंग में दिल्ली और सभी पड़ोसी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए और किसानों द्वारा कृषि अपशिष्ट जलाने को रोकने के तरीकों पर चर्चा की गई।


हमेशा की तरह कुछ ठोस कदम उठाये जाने की उम्मीद करना बेकार है क्योंकि कुछ दिनों में प्रदूषण का स्तर कम होने पर सब कुछ शांत हो जाता है।


पिछले वर्ष भी सर्दियों के समय भी वायु प्रदूषण के संदर्भ में देश की ऐसी ही बदनामी हुई थी, जब अनेक देशों के राजनयिक, टूरिस्ट और बहुर्राष्ट्रीय कंपनियों के उच्च अधिकारी दूसरे शहरों में चले गये थे या अपने देश वापस चले गये थे। उस समय भी आनन-फानन में कई कदम उठाने की बात कही गई थी। सर्दियां खत्म होते ही प्रदूषण का स्तर कम हो गया और सभी विभाग/अधिकारी प्रदूषण की समस्या भूल गये।


इस वर्ष दीपावली के ठीक पहले सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में प्रदूषण कम करने के नाम पर पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी। इसे इस तरह प्रचारित किया गया मानो अब दिल्ली में वायु प्रदूषण इतिहास की किताबों तक सिमट जायेगा।


फिर 7 नवंबर को अचानक ही दिल्ली और आसपास का पूरा इलाका घने स्माग से भर गया। दिल्ली के प्रदूषण को दूर करने का कोई ठोस कवम उठाया नहीं जाता, पर बड़े नाटक जरूर शुरू हो जाते हैं। स्माग के समय भी इससे निपटने के बजाय केन्द्र और राज्य सरकार के बीच आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर चलता रहा। दूसरी तरफ, एनजीटी और दिल्ली सरकार के बीच वाहनों से संबंधित आड-इवेन योजना पर घमासान चलता रहा। स्माग का दौर खत्म होते ही यह नाटक भी खत्म हो गया।
श्रीलंका के खिलाड़ियों ने तो प्रदूषण की शिकायत कर, मास्क लगाकर या थोड़ी देर खेल रुकवाकर कोई नाटक नहीं पर पर इसके बाद जो कुछ भी हो रहा है वह एक मनोरंजक नाटक से कम नहीं है। बीसीसीआई के मुखिया, भारतीय टीम के बालिंग कोच, रवि शास्त्री और बड़बोले वीरेन्द्र सहवाग के अनुसार श्री लंका के खिलाड़ियों का व्यवहार नाटक था, वे कोहली को और अधिक रन बनाने से रोकने की योजना थी। इन लोगों के अनुसार 20000 दर्शकों को और भारतीय खिलाड़ियों को कोई समस्या नहीं थी तो मेहमान खिलाड़ियों को क्या समस्या हो सकती है? सहवाग ने तो इसे "स्माग ड्रामा" का नाम तक दे दिया।


सोशल मीडिया पर भी लंबी चर्चा चलती रही। किसी ने श्रीलंकाई खिलाड़ियों की खेल भावना पर उंगली उठाई तो किसी ने कोलम्बो के प्रदूषण का हवाला दिया। इस बीच कुछ अच्छे वक्तव्य भी आये। बीसीसीआई के सचिव ने कहा, आगे से सर्दियों के मौसम में दिल्ली में मैच कराये जाने पर पुनर्विचार किया जायेगा। गौतम गंभीर ने प्रदूषण पर ध्यान न दिये जाने को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार दोनों को आड़े हाथों लिया। गंभीर ने कहा सरकारें फिल्म रिलीज, और हम क्या खाये, पियें में ही उलझी रहती हैं या फिर केन्द्र और दिल्ली सरकार एक दूसरे से उलझने में व्यस्त रहती है।
अक्टूबर के शुरू में फीफा अन्डर-17 वर्ल्ड कप के कुछ मैच दिल्ली में आयोजित किये गये थे। इसके निदेशक, जेवियर केप्पी ने ट्विटर पर लिखा, दिल्ली में कम से कम दिवाली से फरवरी अंत तक कोई खेल आयोजन नहीं किया जाना चाहिये।


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी इस मौसम में दिल्ली में टेस्ट मैच के आयोजन की भर्स्तना की है। ऐसे प्रदूषण में पांच दिन मैदान पर रहने के दीर्घकालीन परिणाम भयानक हो सकते हैं।
गार्डियन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार दिल्ली में पीएम2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक की तुलना में 12 गुना अधिक रहता है। दिल्ली की हवा में अनेक महीन कैंसरकारी रसायन भी होते हैं जो सीधा फेफड़े तक पंहुच जाते हैं। दिल्ली में बहुचर्चित 1952 के लंदन स्माग के समय की तुलना में अधिक प्रदूषण है।


आश्चर्य तो यह है कि यह उस देश में हो रहा है जहां हम दिनरात नियमित तौर पर स्वच्छ भारत का नारा सुनते रहते हैं।

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