रोहिंग्या मुसलमानों के मानवाधिकारों का ध्यान रखे सरकार : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, ‘रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा राष्ट्रीय महत्व का है और इसे पीछे नहीं रखा जा सकता है लेकिन साथ - साथ रोहिंग्या मुसलमानों के मानवाधिकारों का भी ख्याल रखना जरूरी है।’

फोटो : Getty Images
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नवजीवन डेस्क

रोहिंग्या मुसलमानों के 21 नवंबर तक देश से नहीं निकाला जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या मुसलमानों के मामले पर सुनवाई के दौरान यह आदेश सरकार को दिया है। मामले की अगली सुनवाई अब 21 नवंबर को होगी, तब तक इनके डिपोर्टेशन यानी जबरदस्ती देश से बाहर भेजने पर रोक रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इस मामले के याचिकाकर्ताओं को यह अनुमति दी है कि किसी इमरजेंसी में सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं। इसके अलावा कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अगर उसके पास कोई आकस्मिक प्लान है तो अदालत को बताएं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि रोहिंग्या मुस्लिमों का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है और सरकार को इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की, ‘रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा राष्ट्रीय महत्व का है और इसे पीछे नहीं रखा जा सकता है लेकिन साथ - साथ रोहिंग्या मुसलमानों के मानवाधिकारों का भी ख्याल रखना जरूरी है।’ अदालत के मुताबिक ये एक सामान्य मामला नहीं है और इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और मानवाधिकार के बीच बैलेंस बनाना अहम है। इस मामले में कई बुजुर्ग, बच्चे रोहिंग्या मुसलमानों का मानवाधिकार भी जुड़ा है।

एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर तक रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर भेजने पर रोक लगा दी है, तो वहीं उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने वहां रहने वाले विदेशी नागरिकों को बाहर भेजने की मुहिम शुरू की है। सरकार की तरफ से पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि पूरे उत्तर प्रदेश में अभियान चलाकर ऐसे विदेशियों की पहचान की जाए, जिनके पास वैध कागजात नहीं हैं। राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक उत्तर प्रदेश में बिना कानूनी दस्तावेज के रहने वाले अवैध विदेशी नागरिकों को डिपोर्ट किया जाएगा।

सरकार ने प्रदेश में संदिग्ध व्यक्तियों की अवैध घुसपैठ रोकने के लिए पुलिस को सघन अभियान चलाने को कहा है। राज्य सरकार द्वारा चलाये गये इस अभियान का असर उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों पर भी पड़ सकता है।

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