हिंसाग्रस्त नेपाल से सुरक्षित लौटा प्रोफेसरों का दल, कहीं से भी मदद नहीं मिलने पर जताई निराशा
दल का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर ने कहा कि दल के सदस्यों को नेपाल की यह यात्रा जीवन भर भूले नहीं भूलेगी। उन्हें सुरक्षित वापसी का भरोसा नहीं था। उन्होंने कहा कि नेपाल से बाहर निकलने के लिए उन्होंने कई जगह सम्पर्क किया लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली।

काठमांडू में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होने गया उत्तर प्रदेश के बलिया के एक महाविद्यालय के प्रोफेसरों का एक दल नेपाल में हिंसा फैलने के तीन दिन बाद गुरुवार को सुरक्षित देश लौट आया। लेकिन नेपाल में फंसे रहने के दौरान कहीं से भी मदद नहीं मिलने पर उन्होंने निराशा जताई है।
बलिया जिला मुख्यालय के टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रोफेसर बृजेश सिंह के नेतृत्व में शिक्षकों का एक दल हाल ही में नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होने गया था। लौटने से एक दिन पहले ही नेपाल में भड़की हिंसा के बीच उसके सभी सदस्य होटल के कमरे में कैद रहे। इस दौरान भय और सिहरन के दौर से गुजरे दल ने कहीं से कोई मदद नहीं मिलने पर निराशा भी जाहिर की।
प्रोफेसर बृजेश सिंह ने गुरुवार को अपराह्न नेपाल से भारत आने के बाद 'पीटीआई' को फोन पर बताया कि उनका छह सदस्यीय दल नेपाल की राजधानी काठमांडू में 6 से 8 सितंबर तक जलवायु परिवर्तन को लेकर आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बलिया से 5 सितंबर को निकला था। दल को 9 सितंबर को लौटना था मगर 8 सितंबर को ही नेपाल में सरकार विरोधी आंदोलन के हिंसक होने से हालात बिगड़ गए।
उन्होंने बताया कि 9 सितंबर को दल के सभी सदस्य काठमांडू हवाई अड्डे पर वापसी के लिए पहुंचे तो सभी उड़ानें निरस्त होने की जानकारी हुई। नेपाली संसद और प्रधानमंत्री आवास को आग के हवाले कर दिये जाने के बाद उत्पन्न भय के माहौल के बीच दल के सभी सदस्य हवाई अड्डा परिसर में ही छह घंटे तक रहे। उसके बाद किसी तरह से हवाई अड्डे से तकरीबन एक किलोमीटर दूर पशुपति नाथ मंदिर के पास एक होटल में पहुंचे।
बृजेश सिंह ने बताया कि होटल प्रबंधन ने दल के सभी सदस्यों से अपने होटल के कमरों में ही रहने की ताकीद की। इस दौरान पास में ही स्थित पशुपति नाथ मंदिर में लूटपाट और गौशाला तथा एक पुलिस चौकी में आगजनी की जानकारी मिली। इस सूचना के बाद दल के सभी लोग और भी दहशतजदा हो गए। सिंह ने कहा कि नेपाल से बाहर निकलने के लिए उन्होंने कई जगह सम्पर्क किया लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली।
प्रोफेसर ने बताया कि घरेलू विमान सेवा शुरू होने के बाद उन्होंने पूरे दल के लिए काठमांडू से भारत की सीमा से सटे स्थित वीरगंज तक का टिकट बुक कराया। विमान ने तकरीबन दो घंटे देर से उड़ान भरी। इसके बाद दल के सदस्य वीरगंज पहुंचे और अब नेपाल की सीमा को पार करते हुए बिहार के रक्सौल जिले में दाखिल हो गए।
उन्होंने कहा कि दल के सदस्यों को नेपाल की यह यात्रा जीवन भर भूले नहीं भूलेगी। उन्हें सुरक्षित वापसी का भरोसा नहीं था, लेकिन नेपाल में हिंसा के बाद वहां की सेना ने 24 घंटे के अंदर जिस तरह से स्थिति को नियंत्रित किया उससे शिक्षकों के दल को आस जगी कि अब वे सुरक्षित बलिया पहुंच जाएंगे।
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