राहुल गांधी की चेतावनी पर देर से किया गया अमल है GST 2.0, अपनी गलती को कब तक 'गिफ्ट' कहकर पेश करती रहेगी मोदी सरकार?
राहुल गांधी ने 2017 में शेयर किए गए ट्वीट में लिखा था कि भारत को गब्बर सिंह टैक्स नहीं, सरल जीएसटी चाहिए। कांग्रेस और देश की जनता ने लड़कर कई वस्तुओं पर 28% टैक्स खत्म करवाया है। 18% कैप के साथ एक रेट के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

नेता विपक्ष राहुल गांधी पिछले 8 साल से जीएसटी पर सरकार को सलाह दे रहे हैं कि 18 फीसदी से नीचे लाओ। लेकिन 2016 में राहुल का मज़ाक उड़ाया गया। दरअसल, सरकार की तरफ से जीएसटी को लेकर कई अहम बदलाव किए गए हैं। ये सभी बदलाव 22 सितंबर से पूरे देश में लागू भी हो जाएंगे। सरकार की तरफ से जीएसटी को लेकर लाए गए नियमों से आम लोगों को काफी राहत मिलेगी। नए नियमों के अनुसार जीएसटी की दरें अब केवल 5% और 18% होंगी। वहीं 12% और 28% के स्लैब को समाप्त कर दिया गया है।
राहुल गांधी ने 8 साल पहले ही दी थी चेतावनी
जीएसटी ही नहीं कई ऐसे दूसरे मुद्दे भी हैं जिस को लेकर राहुल गांधी की बातों का पहले मजाक बनाया गया और फिर मोदी सरकार ने वही किया। किसान संबंधित बिल हो या फिर जातीय जनगणना की बात हो। मोदी सरकार ने वही किया जैसा राहु गांधी कहते रहे। अब जीएसटी के मुद्दे पर भी मोदी सरकार राहुल गांधी की बातों को ही अमल करती दिख रही है। दरअसल, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 8 साल पहले यानी 2016 में जीएसटी पर एक महत्वपूर्ण ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने कहा था- अप्रत्यक्ष कर के रूप में जीएसटी अमीर और गरीब दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। मैं जीएसटी काउंसिल से आग्रह करता हूं कि इसकी दर 18% या उससे कम रखी जाए ताकि गरीबों पर अनावश्यक बोझ न पड़े! राहुल गांधी के उस बयान का 2016 में बीजेपी और मोदी सरकार के मंत्रियों ने जमकर मजाक उड़ाया। आज मोदी सरकार वही करने को मजबूर है।
वहीं राहुल गांधी ने 2017 में शेयर किए गए ट्वीट में लिखा था कि भारत को गब्बर सिंह टैक्स नहीं, सरल जीएसटी चाहिए। कांग्रेस और देश की जनता ने लड़कर कई वस्तुओं पर 28% टैक्स खत्म करवाया है। 18% कैप के साथ एक रेट के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। अगर बीजेपी ये काम नहीं करेगी, तो कांग्रेस करके दिखाएगी।
जनता को क्यों महंगे टैक्स के बोझ तले दबाए रखा गया?
राहुल गांधी अर्थव्यवस्था की स्थिति के लिए नोटबंदी और गलत जीएसटी को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। राहुल गांधी ने बार-बार चेताया था कि बीजेपी सरकार जिस तरह बिना तैयारी के जीएसटी लागू कर ही है, वह देश की अर्थव्यवस्था और छोटे कारोबारियों के लिए गब्बर सिंह टैक्स साबित होगा। उस समय उनकी बात को सियासी बयान कहकर टाल दिया गया, लेकिन आज वही सरकार मजबूर होकर जीएसटी 2.0 के नाम पर सुधारों का ऐलान कर रही है। सवाल यह है कि अगर यह कदम अब सही है, तो फिर इतने सालों तक जनता को क्यों महंगे टैक्स के बोझ तले दबाए रखा गया?
जीएसटी लागू करने में मोदी सरकार से गलती हुई?
दरअसल, यह सुधार नहीं बल्कि सरकार की स्वीकारोक्ति है कि जीएसटी लागू करते वक्त गलती हुई थी। तब राहुल गांधी ने कहा था कि एक ही टैक्स स्लैब होना चाहिए और संरचना आसान होनी चाहिए, लेकिन मोदी सरकार ने चार-चार स्लैब बनाकर उद्योग जगत और आम जनता दोनों को उलझा दिया। आज जब महंगाई आसमान छू रही है, तब सरकार "दिवाली गिफ्ट" कहकर टैक्स घटाने का ऐलान किया गया है।
असलियत यह है कि यह सुधार नहीं, बल्कि राहुल गांधी की चेतावनी पर देर से किया अमल है। जनता को राहत तो मिलेगी, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या सरकार अपनी नीतिगत असफलताओं को स्वीकार करेगी, या हर गलती को "गिफ्ट" कहकर पेश करती रहेगी?
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